फसलों में पोषक तत्वों की कमी और बीमारियों की कैसे करें पहचान? ये है किसानों के लिए आसान गाइड

फसलों में पोषक तत्वों की कमी और बीमारियों की कैसे करें पहचान? ये है किसानों के लिए आसान गाइड

फसलों में पोषक तत्वों की कमी और बीमारियों की पहचान करना किसानों के लिए बेहद जरूरी है. आयरन, सल्फर, जिंक, तांबा, कैल्सियम जैसे तत्वों की सही मात्रा रखकर इल्ली, फंगस, वायरस और कीटों से आसानी से बचाव किया जा सकता है. जानें, किस पोषक तत्व की कमी से कौन-से लक्षण दिखते हैं और फसल का नुकसान कैसे रोका जाए.

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क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Dec 08, 2025,
  • Updated Dec 08, 2025, 5:08 PM IST

फसल में किस पोषक तत्व की कमी है, और उस कमी से फसल में कौन सी बीमारी लगी है, इसे जानना आसान है. कुछ जरूरी टिप्स को समझ कर आप फसलों की बीमारी और उसमें पोषक तत्वों की कमी को समझ सकते हैं. पोषक तत्वों की कमी से फसल की उपज मारी जाती है. किसानों की मेहनत चौपट हो जाती है. तो आइए आसान टिप्स जान लेते हैं जिससे पोषक तत्वों की कमी और बीमारी का पता लगाया जा सकता है.

आयरन हो तो इल्ली नहीं

फसलों में इल्ली की समस्या बहुत गंभीर होती है. इल्ली फसलों को पूरी तरह चट कर जाती है. इससे बचने का साधारण उपाय है आयरन. फसल में आयरन का मात्रा बनाए रखें तो इल्ली नहीं आएगी.

सल्फर होगा तो फंगस नहीं

फसल में सल्फर की कमी होगी तो फंगस का अटैक अधिक होगा. फंगस फसलों की बड़ी बीमारियों में एक है. इससे बचाव के लिए फसल में सल्फर डालें. इससे फंगस का प्रसार नहीं होगा.

जिंक हो तो वायरस का प्रकोप नहीं

फसल में  जिंक होगा तो कोई भी वायरस का प्रकोप नही होगा. वायरस से फसल को बचाने के लिए जिंक की मात्रा सही बनाए रखें. जिंक की कमी दिखे तो तुरंत डालें.

तांबा की कमी से ब्लास्ट रोग

फसल में तांबा और मैगनीज होगा तो बैक्टीरियल ब्लास्ट जैसी बीमारी नहीं लगेगी. फसल में जब पोषत तत्व डालें तो उसमें तांबा और मैगनीज की जरूरी मात्रा रखें. 

कैल्सियम से रसचूसक कीट नहीं

फसलों में रसचूसक कीट का प्रकोप आम बात है. ऐसे कीट पत्तियों से लेकर फूल और फल तक के रस चाट जाते हैं. इससे भारी नुकसान होता है. कैल्सियम डालने से यह समस्या खत्म हो जाएगी.

अब आइए ये जान लेते हैं कि पोषक तत्व की कमी से फसल में क्या कमी आती है. किस पोषक तत्व की कमी से फसल में क्या लक्षण दिखते हैं, आइए जान लेते हैं.

फसल में बोरोन और कैल्सियम की कमी होगी तो उसमें नई कोपलें नहीं आएंगी और फूल नहीं लगेंगे. साथ ही फल भी फटते हैं.
फसल में फॉस्फोरस की कमी हो या फॉस्फोरस नहीं हो तो उसके पत्ते टेढ़े-मेढ़े हो जाएंगे. फसल भी छोटी होगी क्योंकि लंबाई रुक जाएगी.

फसल में पोटास नहीं होगा तो फसल में कल्ले नहीं लगेंगे. पोटास की कमी से फल कम लगते हैं और फल छोटे रह जाते हैं. 
फसल में जिंक सल्फर की कमी होगी तो फलों में स्वाद नहीं आएगा. इसी कमी से फल बेस्वाद या कड़वे से लगते हैं.

अगर इन सभी बातों का ध्यान रखते हुए फसलों में पोषक तत्वों का बैलेंस बनाए रखें, किसी तत्व की कमी दिखने पर उसकी भरपाई करें तो किसान नुकसान से बच सकते हैं.

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