करण वंदना (DBW 187) पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, असम और पश्चिम बंगाल के उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्रों की सिंचित समय पर बुवाई की जाने वाली गेहूं की नवीनतम किस्म है. गौरतलब है कि इन क्षेत्रों में गेहूं की किस्मों (varieties of wheat) मौजूदा किस्मों मसलन, एचडी 2967, के 0307, एचडी 2733, के 1006 और डीबीडब्ल्यू 39 की तुलना में करण वंदना (DBW 187) किस्म की पैदावार काफी अधिक है.
करण वंदना (DBW 187) पत्तों के झुलसने और उनके अस्वस्थ दशा जैसी महत्त्वपूर्ण बीमारियों के खिलाफ बेहतर प्रतिरोध करता है. बुवाई के 77 दिनों बाद करण वंदना फूल देती है और 120 दिनों बाद परिपक्व हो जाती है. वहीं, करण वंदना (DBW 187) की औसत ऊंचाई 100 सेमी है, जबकि इसकी उत्पादन क्षमता 32.8 क्विंटल प्रति एकड़ यानि करीब 82 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. इसके अलावा, औसत उपज 61.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
दिसंबर 2018 में, करण वंदना (DBW 187) किस्म उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए जारी की गई थी. अन्य राज्यों के किसानों की मांग पर यह किस्म केंद्र से मंजूरी मिलने के बाद उत्तर पश्चिमी राज्यों को जारी की जाएगी.
• इस किस्म की पैदावार लगभग 6 टन प्रति हेक्टेयरहै.
• गेहूं की यह किस्म पीले रतुआ और गेहूं ब्लास्ट रोग के लिए प्रतिरोधी है.
• गेहूं की इस किस्म को 5-6 सिंचाई की जरूरत होती है.
• पहली सिंचाई 20-25 दिन उसके बाद 20 दिन के अंतराल पर सिंचाई की जरूरत होती है.
• इसकी उत्पादन क्षमता 32.8 क्विंटल प्रति एकड़ यानि करीब 82 कुंटल प्रति हेक्टेयर है.
• औसत उपज 61.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
• ये देरी से बुवाई करने पर भी बेहतर उत्पादन देती है.
• बुवाई 5 नवंबर से 25 नवंबर तक किया जा सकता है.
• सिंचित और समय पर बुवाई की स्थिति में 77 दिनों में फूल आ जाते हैं और 120 दिनों में फसल परिपक्व हो जाती है.