महाराष्ट्र में पहली बार एक किसान नीले आलू की खेती में सफलता हासिल की है. अम्बेगांव तालुका के तहत आने वाले मंचर गांव के किसान शांताराम लिंबाजी थोराट को इस आलू की खेती में सफलता मिली है. थोराट ने एक प्रयोग के तहत इस आलू की खेती की थी और उन्हें पहले ही प्रयोग में सफलता हासिल हुई है. बताया जा रहा है कि उनकी सफलता से बाकी किसानों को औषधीय गुणों से भरपूर आलू की खेती करने की प्रेरणा मिलेगी.
वेबसाइट द ब्रिज क्रोनिकल्स की एक रिपोर्ट के अनुसार किसान शांताराम लिंबाजी थोराट ने पांच गुंठा जमीन पर 1.5 टन शुगर-फ्री कुफरी नीलकंठ नीले आलू की सफलतापूर्वक खेती की है. कुफरी नीलकंठ नीला आलू अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है. साथ ही यह डायबिटीज और दिल की बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए भी फायदेमंद है. आलू के असाधारण नीले रंग ने बड़ी संख्या में स्थानीय किसानों को आकर्षित किया. ये किसान थोराट की सफल फसल को देखने के लिए भारी तादाद में पहुंचे थे.
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शांताराम थोराट के परिवार की चार पीढ़ियां मंचर में पिछले कई सालों से आलू की खेती से जुड़ी हुई हैं. थोराट खुद भी आधुनिक खेती तकनीकों को अपनाते हैं और अपने साथी किसानों का भी इस दिशा में सक्रिय तौर पर मार्गदर्शन करते हैं. इसके अलावा उनका इस किस्म की खेती के लिए एक नया नजरिया भी है. थोराट ने आलू को बोने से पहले खेत को अच्छे से तैयार किया था. उन्होंने खेत को गाय के गोबर और पोल्ट्री खाद का प्रयोग करके तैयार किया था.
इसके बाद उन्होंने छोटे आलू के बीजों को सीडर मशीन की मदद से छह इंच की दूरी पर लगाया गया था. रोपण के समय 50 किलोग्राम रासायनिक खाद भी डाली गई थी. थोराट ने फसल के लिए बेहतर जल प्रबंधन के लिए ड्रिप सिंचाई का सहारा लिया. 25वें दिन निराई की गई और एक महीने बाद बेहतर विकास के लिए 20 किलोग्राम उर्वरक और डाला गया. साथ ही उन्होंने एक बार फफूंदनाशक और कीटनाशक का छिड़काव भी किया था. फसल 45 दिनों के अंदर तैयार हो गई और तीन महीने बाद इसकी कटाई की गई. आलू का वजन 150-175 ग्राम था और कुल उत्पादन 1,600 किलोग्राम था.
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थोराट ने इन आलू को 12-14 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेचा. रोपण, मजदूरी और उर्वरक सहित फसल पर कुल खर्च 9000 रुपये था. जबकि इसकी खेती से थोराट ने 12,000 रुपये का नेट प्रॉफिट कमाया. थोराट ने शुगर फ्री आलू पर करीब एक साल तक रिसर्च की. उन्हें पता लगा कि उत्तर प्रदेश कानपुर के किसान दो साल से इस किस्म की खेती कर रहे हैं. वर्तमान समय में लोगों को इनके बारे में ज्यादा मालूम नहीं है और ऐसे में ये आलू भी सामान्य आलू की कीमत पर ही बेचे जा रहे हैं. थोराट का मानना है जब लोगों को इसके बारे में पता चलेगा तो शुगर फ्री आलू मौजूदा बाजार भाव से तीन से चार गुना ज्यादा कीमत पर बिक सकता है.