रसायन और उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने दुनिया की नंबर-1 सहकारी संस्था इफको (IFFCO) के दो अतिरिक्त नैनो यूरिया प्लांट की शुरुआत की. बरेली में आंवला इकाई और फूलपुर में इन यूनिटों की स्थापना की गई है. इन दोनों प्लांटों की उत्पादन क्षमता प्रति दिन दो लाख बोतल नैनो यूरिया बनाने की होगी. यानी रोजाना चार लाख बोतल नैनो यूरिया बनेगी. दावा है कि नैनो यूरिया (Nano Urea) के 500 एमएल की एक बोतल 45 किलो के एक बैग सामान्य यूरिया के बराबर काम करती है. भारतीय उर्वरक क्षेत्र के इतिहास में देश के किसानों के हित में यह एक और बड़ी उपलब्धि है, जो देश को रासायनिक खाद के मामले में आत्मनिर्भर बनाने का काम करेगा.
केंद्रीय मंत्री मांडविया ने कहा कि यहां केवल नैनो यूरिया का उत्पादन ही नहीं होता बल्कि जब नैनो यूरिया बनता है तब देश को सच्चा और तरल उर्वरक मिलता है जो प्रदूषण को कम करता है, मिट्टी को बचाता है और किसानों का खर्च कम करते हुए उत्पादन बढ़ाता है. इफको नैनो यूरिया कृषि क्षेत्र के लिए एक बड़ा इनोवेशन है. उर्वरक के विकास के लिए नए मानदंड स्थापित करते हुए यह पोषक तत्व प्रबंधन में आमूलचूल बदलाव लेकर आएगा.
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इफको अध्यक्ष दिलीप संघाणी ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से नैनो यूरिया विकसित किया गया है. इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको) बीते वर्ष दुनिया का पहला नैनो यूरिया लेकर आया, जो उर्वरक नियंत्रण आदेश (एफसीओ, 1985) में शामिल है. इसे कलोल, गुजरात में इफको के नैनो बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर (एनबीआरसी) में स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है. इससे किसानों का खर्च कम होगा और उत्पादन बढ़ेगा.
इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने कहा कि नैनो यूरिया लिक्विड फसल की पोषण गुणवत्ता और उत्पादकता बढ़ाने में बहुत प्रभावी पाया गया है. इसका भूमिगत जल और पर्यावरण की गुणवत्ता पर बड़ा सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप ग्लोबल वार्मिंग में महत्वपूर्ण कमी आई है. इफको किसानों के हित में लगातार रिसर्च कर रहा है. जल्द ही देश के किसानों के लाभ और बेहतरी के लिए इफको नैनो डीएपी पेश करेगा, जिसे हाल ही में व्यावसायिक उपयोग के लिए मंजूरी मिल गई है.
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इस महीने के पहले हप्ते में ही केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने झारखंड के देवघर में इफको नैनो यूरिया के पांचवें प्लांट का भूमिपूजन और शिलान्यास किया था. करीब 30 एकड़ में बनने वाले इस प्लांट से हर साल करीब 6 करोड़ तरल यूरिया की बोतलों का निर्माण किया जाएगा. इफको सूक्ष्म पोषक तत्वों को भी लिक्विड के रूप में मार्केट में पेश करने के लिए काम कर रहा है.