जिले के किसानों के लिए अच्छी खबर है. कृषि उप संचालक श्री यू.पी. बागरी ने कहा है कि परंपरागत डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) खाद की जगह अब एनपीके (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश) और नैनो तकनीक आधारित खाद का उपयोग करना अधिक लाभदायक है. आपको बता दें डीएपी में सिर्फ दो पोषक तत्व होते हैं – नाइट्रोजन और फॉस्फोरस. लेकिन पौधों को पनपने के लिए पोटाश भी बहुत जरूरी होता है. एनपीके खाद में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस के साथ पोटाश भी होता है, जिससे पौधों की वृद्धि बेहतर होती है.
एनपीके खाद इस्तेमाल करने से किसानों को अलग से पोटाश खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती. इससे उनकी कुल लागत कम होती है और उत्पादन बढ़ता है. साथ ही मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहती है, जो फसल के लिए अच्छा है.
डीएपी की जगह सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) और एनपीके खाद का प्रयोग करना ज्यादा फायदेमंद होता है. एसएसपी से मिट्टी में सल्फर की आपूर्ति होती है, जो फसलों की सेहत के लिए जरुरी है. इसे खेत की तैयारी के समय डालना चाहिए ताकि फसल को अधिक फायदा मिले.
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डीएपी खाद में फॉस्फोरस की पूरी मात्रा पौधों तक नहीं पहुंच पाती. इसमें से केवल 39% फॉस्फोरस ही पानी में घुलकर पौधों को मिलता है. बाकी फॉस्फोरस मिट्टी में जमा हो जाता है, जिससे मिट्टी कठोर और सूखी हो जाती है. इससे जल धारण क्षमता घटती है और खेती प्रभावित होती है.
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आज के जमाने में किसानों को नैनो तकनीक आधारित उर्वरक अपनाने की सलाह दी जा रही है. ये उर्वरक पौधों को जल्दी और सीधे पोषण पहुंचाते हैं, जिससे पैदावार बढ़ती है और मिट्टी भी स्वस्थ रहती है.
इनका पत्तियों पर छिड़काव करने से पौधे जल्दी पोषक तत्व ग्रहण कर लेते हैं.
यह कीमत सामान्य खाद की तुलना में लगभग आधी है, लेकिन इसका असर अधिक होता है.