मिलावटी, सब स्टैंडर्ड या गलत ब्रांड वाले बीज, उर्वरक और कीटनाशकों से किसान परेशान हैं. महाराष्ट्र में इसकी बढ़ती शिकायत के बीच सरकार एक ऐसा विधेयक लेकर आई है जिसमें ऐसा करने वाली कंपनियों, डीलरों और दुकानदारों पर शिकंजा कसा जाएगा. ऐसे खाद, बीज और कीटनाशकों से किसानों को होने वाले नुकसान के लिए उन्हें मुआवजा देना होगा. यही नहीं अगर संबंधित कंपनी फैसला होने के 30 दिन के अंदर मुआवजे का भुगतान नहीं करती है तो फिर उसे 12 फीसदी ब्याज भी किसान को देना होगा. इस विधेयक के बाद बीज, खाद और कीटनाशक बनाने वाली कंपनियों के होश उड़े हुए हैं. हालांकि, शिकायत करने को लेकर किसानों के लिए कुछ कंडीशन भी अप्लाई किए गए हैं. खासतौर पर सामान खरीद की रसीद बहुत जरूरी है.
मिलावटी, अमानक या गलत ब्रांड वाले बीज, उर्वरक या कीटनाशकों के उपयोग से फसलें खराब होती हैं. उपज कम हो जाती है. जिससे किसानों को आर्थिक तौर पर बड़ा नुकसान होता है. विधेयक में कहा गया है कि इसके बावजूद अब तक किसानों को मुआवजे और ऐसे मामलों में उनकी शिकायतों के निवारण के लिए कोई प्रावधान नहीं है. इसलिए राज्य सरकार ऐसा गैर कानूनी काम करने वालों को दोषी ठहराकर किसानों को होने वाले ऐसे नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा दिलाना चाहती है. इस कानून को बनवाने में राज्य के कृषि मंत्री धनंजय मुंडे की अहम भूमिका रही है.
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जिला प्राधिकरण के पास इन मुकदमे की सुनवाई करते समय वही शक्तियां होंगी जो सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के तहत सिविल कोर्ट के पास होती हैं. यह प्राधिकरण किसी भी प्रतिवादी या गवाह को बुला सकता है और उसकी मौजूदगी सुनिश्चित कर सकता है. वो मामले की जांच किसी उचित प्रयोगशाला से या किसी अन्य प्रासंगिक स्रोत से करवा सकता है.
जिला प्राधिकरण द्वारा दिए गए मुआवजे का भुगतान शिकायतकर्ता को निर्माता या वितरक या विक्रेता द्वारा मुआवजे के आदेश की प्राप्ति की तारीख से 30 दिनों की अवधि के भीतर किया जाएगा. देरी से भुगतान की स्थिति में 12 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज देना होगा.
जिला प्राधिकरण के आदेश से व्यथित कोई भी व्यक्ति जिला प्राधिकरण के आदेश की प्राप्ति की तारीख से तीस दिनों के भीतर निर्धारित शुल्क के साथ आयुक्त के पास अपील कर सकता है. ऐसी अपील में आयुक्त का निर्णय अंतिम होगा. आयुक्त द्वारा तब तक मामले पर विचार नहीं किया जाएगा जब तक कि अपीलकर्ता ने मुआवजे की रकम का 50 प्रतिशत जमा नहीं कर दिया हो.
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यदि निर्माता, वितरक या विक्रेता जिला प्राधिकरण के आदेश की प्राप्ति की तारीख से तीस दिनों की अवधि के भीतर मुआवजा देने में विफल रहता है, तो इसे भू-राजस्व के बकाया के रूप में वसूल किया जाएगा. हालांकि, इस अधिनियम के तहत उन शिकायतों पर विचार नहीं किया जाएगा यदि कोई शिकायतकर्ता ने किसी अन्य कानून के तहत किसी अन्य प्राधिकारी या अदालत के समक्ष उसी कारण से मुआवजे के लिए कोई शिकायत या आवेदन दायर किया है.