क‍िसानों को म‍िली बड़ी राहत, लेक‍िन बीज, खाद और कीटनाशक बनाने वाली कंपन‍ियों के होश उड़े

क‍िसानों को म‍िली बड़ी राहत, लेक‍िन बीज, खाद और कीटनाशक बनाने वाली कंपन‍ियों के होश उड़े

म‍िलावटी बीज, खाद और कीटनाशकों के इस्तेमाल से फसलों के होने वाले नुकसान पर क‍िसानों को म‍िलेगा मुआवजा. महाराष्ट्र सरकार ने बनाया कानून. खराब एग्री इनपुट बेचने वाले लोग ही देंगे क‍िसानों को मुआवजेे की रकम. एक महीने के भीतर नहीं द‍िया पैसा तो 12 फीसदी की दर से देना होगा ब्याज. जान‍िए क्या होगा प्रॉसेस?

खाद, बीज और कीटनाशकों को लेकर महाराष्ट्र सरकार का बड़ा फैसला (Photo-Kisan Tak).खाद, बीज और कीटनाशकों को लेकर महाराष्ट्र सरकार का बड़ा फैसला (Photo-Kisan Tak).
ओम प्रकाश
  • New Delhi ,
  • Oct 02, 2023,
  • Updated Oct 02, 2023, 10:40 AM IST

म‍िलावटी, सब स्टैंडर्ड या गलत ब्रांड वाले बीज, उर्वरक और कीटनाशकों से क‍िसान परेशान हैं. महाराष्ट्र में इसकी बढ़ती श‍िकायत के बीच सरकार एक ऐसा व‍िधेयक लेकर आई है ज‍िसमें ऐसा करने वाली कंपन‍ियों, डीलरों और दुकानदारों पर श‍िकंजा कसा जाएगा. ऐसे खाद, बीज और कीटनाशकों से क‍िसानों को होने वाले नुकसान के लिए उन्हें मुआवजा देना होगा. यही नहीं अगर संबंध‍ित कंपनी फैसला होने के 30 द‍िन के अंदर मुआवजे का भुगतान नहीं करती है तो फ‍िर उसे 12 फीसदी ब्याज भी किसान को देना होगा. इस व‍िधेयक के बाद बीज, खाद और कीटनाशक बनाने वाली कंपन‍ियों के होश उड़े हुए हैं. हालांक‍ि, श‍िकायत करने को लेकर क‍िसानों के ल‍िए कुछ कंडीशन भी अप्लाई किए गए हैं. खासतौर पर सामान खरीद की रसीद बहुत जरूरी है. 

मिलावटी, अमानक या गलत ब्रांड वाले बीज, उर्वरक या कीटनाशकों के उपयोग से फसलें खराब होती हैं. उपज कम हो जाती है. जिससे किसानों को आर्थ‍िक तौर पर बड़ा नुकसान होता है. व‍िधेयक में कहा गया है क‍ि इसके बावजूद अब तक किसानों को मुआवजे और ऐसे मामलों में उनकी शिकायतों के निवारण के लिए कोई प्रावधान नहीं है. इसल‍िए राज्य सरकार ऐसा गैर कानूनी काम करने वालों को दोषी ठहराकर किसानों को होने वाले ऐसे नुकसान की भरपाई के ल‍िए मुआवजा द‍िलाना चाहती है. इस कानून को बनवाने में राज्य के कृष‍ि मंत्री धनंजय मुंडे की अहम भूम‍िका रही है. 

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क‍िसानों को क्या ध्यान रखना होगा 

  • क‍िसान जब भी बीज, कीटनाशक और खाद लें तो उसका ब‍िल जरूर लें, ताक‍ि गड़बड़ी करने वाली कंपनी के ख‍िलाफ आधारतैयार हो सके.
  • किसान को शिकायत के साथ बीज, उर्वरक या कीटनाशक की खरीद से संबंधित रसीद की एक प्रति, उनके कंटेनर या बैग के साथ निशान या लेबल, यदि कोई हो तो उसे सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी के पास जमा करना होगा. 
  • अगर बीज का खराब अंकुरण हुआ है तो बुवाई के बीस दिन के भीतर श‍िकायत दाखिल करनी होगी. बीज उत्पादकों के दावों के विरुद्ध कीटों और बीमारियों के संक्रमण का मामला आता है तो घटना को नोटिस करने के बाद 48 घंटे के भीतर श‍िकायत दायर करनी होगी.
  • इसी तर‍ह उर्वरकों के मामले में, फाइटोटॉक्सिसिटी की घटना घटित होने का पता चलने के बाद 48 घंटे के भीतर श‍िकायत दाख‍िल करनी होगी.
  • कीटनाशकों के मामले में अगर स्प्रे करने के बाद भी फसल पर कीटों और बीमारियों का संक्रमण दिखाई देता है तो भी श‍िकायत 48 घंटे घंटे के भीतर दायर करनी होगी. 

 श‍िकायत पर सरकार क्या करेगी?  

  • शिकायत प्राप्त होने के बाद, तालुका कृषि अधिकारी मामले की जांच के लिए तुरंत जांच समिति को भेजेगा. फसल नुकसान के आकलन और मूल्यांकन के लिए जांच समिति प्रशासन गठ‍ित करेगा. जांच समिति में कृषि विभाग के अधिकारी, संबंधित कृषि विश्वविद्यालय या कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक और कीटनाशक, उर्वरक या बीज, जो भी प्रासंगिक अधिनियम होगा उसके निरीक्षक शामिल होंगे. तालुका कृषि अधिकारी के पद से नीचे का अध‍िकारी सम‍ित‍ि में शाम‍िल नहीं होगा. 
  • शिकायत प्राप्त होने के तुरंत बाद जांच समिति विस्तृत जांच के लिए शिकायतकर्ता के संबंधित क्षेत्र का दौरा करेगी. जांच समिति उत्पादक और शिकायतकर्ता किसान के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में निरीक्षण करेगी. जांच समिति आवश्यक जांच करेगी, जैसा वह उचित समझेगी. 
  • समिति अपने निष्कर्षों की एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी और तालुका कृषि अधिकारी द्वारा शिकायत प्राप्त होने के दस दिनों के भीतर विचार के लिए जिला प्राधिकरण को भेज देगी. 
  • जिला प्राधिकरण, जांच समिति की रिपोर्टों और उसके समक्ष प्रस्तुत अन्य दस्तावेजों पर विचार करने के बाद और शिकायतकर्ता के साथ-साथ निर्माता, वितरक या विक्रेता को सुनवाई का अवसर देने के बाद, शिकायतकर्ता को उचित मुआवजा दे सकती है.  निर्माता, वितरक या विक्रेता द्वारा लिखित में कारण दर्ज करने के बाद इसे अस्वीकार किया जा सकता है. 
  • जिला प्राधिकरण, जांच समिति की रिपोर्ट प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर या तो मुआवजे की रकम पार‍ित करेगा या शिकायत को खारिज कर देगा.  

प्राध‍िकरण के पास स‍िव‍िल कोर्ट की पावर 

जिला प्राधिकरण के पास इन मुकदमे की सुनवाई करते समय वही शक्तियां होंगी जो सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के तहत सिविल कोर्ट के पास होती हैं. यह प्राध‍िकरण किसी भी प्रतिवादी या गवाह को बुला सकता है और उसकी मौजूदगी सुनिश्चित कर सकता है. वो मामले की जांच क‍िसी उचित प्रयोगशाला से या किसी अन्य प्रासंगिक स्रोत से करवा सकता है.

जिला प्राधिकरण द्वारा दिए गए मुआवजे का भुगतान शिकायतकर्ता को निर्माता या वितरक या विक्रेता द्वारा मुआवजे के आदेश की प्राप्ति की तारीख से 30 दिनों की अवधि के भीतर किया जाएगा. देरी से भुगतान की स्थिति में 12 प्रतिशत प्रत‍ि वर्ष की दर से ब्याज देना होगा.

जिला प्राधिकरण के आदेश से व्यथित कोई भी व्यक्ति जिला प्राधिकरण के आदेश की प्राप्ति की तारीख से तीस दिनों के भीतर निर्धारित शुल्क के साथ आयुक्त के पास अपील कर सकता है. ऐसी अपील में आयुक्त का निर्णय अंतिम होगा. आयुक्त द्वारा तब तक मामले पर विचार नहीं किया जाएगा जब तक कि अपीलकर्ता ने मुआवजे की रकम का 50 प्रतिशत जमा नहीं कर दिया हो. 

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कहीं और दायर क‍िया है केस तो शर्त लागू 

यदि निर्माता, वितरक या विक्रेता जिला प्राधिकरण के आदेश की प्राप्ति की तारीख से तीस दिनों की अवधि के भीतर मुआवजा देने में विफल रहता है, तो इसे भू-राजस्व के बकाया के रूप में वसूल किया जाएगा. हालांक‍ि, इस अधिनियम के तहत उन शिकायतों पर विचार नहीं किया जाएगा यदि कोई शिकायतकर्ता ने किसी अन्य कानून के तहत किसी अन्य प्राधिकारी या अदालत के समक्ष उसी कारण से मुआवजे के लिए कोई शिकायत या आवेदन दायर किया है. 


 

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