भारत में कपास की खेती बड़े पैमाने पर होती है. साथ ही विश्व में कपास की आपूर्ति में भारत का अहम योगदान है. आर्थिक महत्व के कारण इसे सफेद सोना भी कहा जाता है. देश में लगभग 67 प्रतिशत कपास की खेती वर्षा आधारित इलाकों में और 33 प्रतिशत सिंचित क्षेत्रों में की जाती है. वैश्विक स्तर पर और देश में कपास की मांग लगातार बढ़ रही है. ऐसे में इसकी उन्नत किस्मों को विकसित किया जा रहा है, जो ये बीमारी से लड़ने में सक्षम हों और कम लागत में ज्यादा उपज हासिल हो सके. ऐसे में हम आपको कपास की वैरायटी सुरक्षा कवच के बारे में बताएंगे जो कम खर्च में अधिक पैदावार देती है.
आइए जानते हैं कपास की एक विकसित किस्म 'सुरक्षा कपास' के बारे में. 'सुरक्षा कपास' एक हाई क्वालिटी वाले फाइबर (रेशों) के लिए बढ़िया किस्म है. यह सेंट्रल और साउथ जोन में ऑर्गेनिक कपास उत्पादन और प्राकृतिक खेती के लिहाज से उपयुक्त है. इस किस्म को महाराष्ट्र के ICAR- सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर कॉटन रिसर्च ने विकसित किया है.
इस किस्म की फसल में प्रति हेक्टेयर 40 क्विंटल तक पैदावार संभव है. कपास की इस वैरायटी का गिनिंग टर्न आउट 34 प्रतिशत है. यहां गिनिंग टर्न आउट का मतलब कपास के बीज से कपास के रेशों से अलग करना है. इसकी फसल 165 दिन में तैयार हो जाती है.
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ICAR से मिली एक जानकारी के मुताबिक, इस कपास से प्राप्त होने वाले रेशे की लंबाई 32 मिली मीटर होती है. इसके रेशे के माइक्रोनेयर की बात करें तो यह 3.7 है. यहां माइक्रोनेयर से रेशे की सुंदरता और परिपक्वता के बारे में पता चलता है. रेशे की मजबूती 34.3 g/tex है और स्पिनेबिलिटी 70s काउंट है.
कपास की खेती लंबे समय तक ठंड से मुक्त गर्म और धूप वाली जलवायु में होती है. कपास की फसल गर्म और आर्द्र जलवायु परिस्थितियों में सबसे ज्यादा उपज देती है. कपास की खेती कई प्रकार की मिट्टियों में संभव है. इसमें उत्तरी इलाकों में अच्छी तरह सूखी गहरी जलोढ़ मिट्टी, मध्य क्षेत्र में काली मिट्टी और दक्षिणी क्षेत्र में मिश्रित काली और लाल मिट्टी शामिल हैं.
देश में जिस तरीके से कपड़े की मांग बढ़ रही है, उसे देखते हुए कपास की खेती का दायरा बढ़ना लाजिमी है. यही वजह है कि खेती से जुड़े रिसर्च सेंटर नई-नई कपास की किस्मों का इजाद कर रहे हैं. इसी में एक है सुरक्षा कॉटन जो किसानों को कम खर्च में अधिक उपज दे सकता है. जहां तक कपास की मांग की बात है तो अक्टूबर 2023 से सितंबर 2024 तक कपड़ा उद्योग में कपास की खपत इस दशक में देखी गई सबसे ज्यादा खपत में से एक है. इस लिहाज से कपास की यह वैरायटी किसानों के साथ कपड़ा उद्योग के लिए भी मददगार साबित हो सकती है.