नकली और घटिया बीज, कीटनाशक और उर्वरकों से किसानों की मुश्किल बढ़ी हुई है. इससे खेतों में मिट्टी को नुकसान तो हो ही रहा है, बल्कि उपज और क्वालिटी में गिरावट भी देखी जा रही है. पंजाब के कृषि विभाग की समीक्षा बैठक में सामने आया है कि कीटनाशक, बीज और उर्वरकों के 14,600 से अधिक नमूनों की जांच के टारगेट पूरा करने से कृषि विभाग 28 फीसदी पीछे चल रहा है. अब तक करीब 300 नमूने क्वीलिटी में फेल हो गए हैं और वे घटिया पाए गए हैं.
पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुद्दियन ने मंगलवार को समीक्षा बैठक में सभी मुख्य कृषि अधिकारियों को दो सप्ताह की प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा. केंद्र और राज्य की कृषि योजनाओं की बारीकी से निगरानी और मूल्यांकन किया जाएगा और सुधार कराए जाएंगे. एजेंसी के अनुसार उन्होंने फील्ड स्टाफ से किसानों को गुणवत्तापूर्ण कृषि इनपुट सुनिश्चित करने के लिए बीज, कीटनाशकों और उर्वरकों के नमूने लेने के टारगेट पूरे करने के निर्देश दिए हैं.
राज्य के कृषि मंत्री ने कहा कि विभाग की ओर से शुरू किए गए क्वालिटी कंट्रोल कैंपेन के तहत 14,600 नमूनों की जांच करने का टारगेट है. इनमें से बीज के 6,100, कीटनाशकों के 4,800 और उर्वरकों के 3,700 नमूने लेने का टारगेट रखा गया है. उन्होंने बताया कि अब तक कुल 10,422 नमूने लिए गए हैं. इनमें से बीजों के 5,082 नमूने, कीटनाशकों के 2,867 नमूने तथा उर्वरकों के 2,473 नमूने लिए जा चुके हैं.
पंजाब कृषि विभाग ने कहा कि जांचे गए नमूनों में से करीब 300 जांच में फेल पाए गए हैं. इनमें से बीजों के 141 नमूने क्वालिटी टेस्टिंग में फेल हो पाए गए हैं. जबकि, कीटनाशकों के 81 नमूने गलत ब्रांड वाले पाए गए और उर्वरकों के 78 नमूने घटिया पाए गए. जिन डीलरों के नमूने क्वालिटी मानकों पर खरे नहीं उतरे, उनके खिलाफ विभाग ने कार्रवाई शुरू कर दी है.
बीते दिन नागपुर में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के केंद्रीय नींबू वर्गीय फल अनुसंधान संस्थान (ICAR-CCRI) के कार्यक्रम में ICAR के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने जैव कीटनाशकों में मजबूत क्वालिटी कंट्रोल की जरूरत बताई. उन्होंने कहा कि टिकाऊ खेती तरीकों, पर्यावरण के अनुकूल खेती के तरीके किसानों को अपनाने चाहिए. वहीं, धानुका एग्रीटेक के चेयरमैन डॉ. आरजी अग्रवाल ने किसानों की उपज के अनुचित मूल्य निर्धारण और बाजार में नकली कीटनाशकों को लेकर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि कृषि के लिए ये बड़ी चुनौती बनी हैं और इन्हें उजागर करना है क्योंकि ये फसलों और किसानों दोनों को खतरे में डालती हैं.