DBW-303: कई मायनों में खास है गेहूं की यह वैरायटी, ज्‍यादा पैदावार... बेहतर क्‍व‍ालिटी, बीज का इतना है दाम

DBW-303: कई मायनों में खास है गेहूं की यह वैरायटी, ज्‍यादा पैदावार... बेहतर क्‍व‍ालिटी, बीज का इतना है दाम

Wheat Variety: भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल की डी बी डब्ल्यू 303 (करण वैष्णवी) किस्म किसानों के लिए वरदान है. यह 81.2 क्विंटल/हेक्टेयर औसत उपज और 97.4 क्विंटल अधिकतम उत्पादन क्षमता देती है.

wheat Variety DBW 303wheat Variety DBW 303
प्रतीक जैन
  • Noida,
  • Sep 30, 2025,
  • Updated Sep 30, 2025, 6:35 PM IST

भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल की बनाई गेहूं की किस्म डी बी डब्ल्यू 303 (करण वैष्णवी) उत्तर पश्चिम भारत के किसानों के लिए काफी फायदेमंद है. यह किस्म वर्ष 2021 में अधिसूचित की गई थी और इसे विशेष रूप से सिंचित क्षेत्र और अगेती बुवाई के लिए उपयुक्त माना गया है. पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर छोड़कर), पश्चिमी उत्तर प्रदेश (झांसी मंडल छोड़कर), जम्मू-कश्मीर के जम्मू और कठुआ जिले, हिमाचल प्रदेश (ऊना और पांवटा घाटी) और उत्तराखंड के तराई क्षेत्रों में डी बी डब्ल्यू 303 की बुवाई की सिफारिश की जाती है. यह किस्‍म कई मायनाें में खास है. इस वैरायटी के सर्टि‍फाइड बीज बाजार में उपलब्‍ध हैं और इसका 40 किलोग्राम का बैग 1700 रुपये में उपलब्‍ध है. जानिए इस वैरायटी की विशेषता…

डीबीडब्ल्यू 303 (करण वैष्णवी) किस्म की खास‍ियत

  • औसत उपज 81.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
  • अधिकतम उत्पादन क्षमता 97.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
  • पौधे की औसत लंबाई लगभग 101 सेंटीमीटर
  • फसल अवधि करीब 125 दिन
  • अनुकूल और प्रतिकूल दोनों ही परिस्थितियों में स्थिर उत्पादन

बुवाई और उर्वरक प्रबंधन

इस किस्म की बुवाई का सही समय 25 अक्टूबर से 5 नवंबर तक माना गया है. इसके लिए प्रति हेक्टेयर 100 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है. पंक्तियों के बीच 20 सेंटीमीटर की दूरी रखनी चाहिए. उर्वरक प्रबंधन के तहत प्रति हेक्टेयर 150 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस और 40 किलोग्राम पोटाश की जरूरत होती है. नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुवाई और पहली सिंचाई में दी जाती है, जबकि शेष मात्रा दूसरी सिंचाई के समय डालनी चाहिए.

सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण

इस किस्म में कुल 5 से 6 सिंचाई की आवश्यकता होती है.

  • पहली सिंचाई बुवाई के 20-25 दिन बाद.
  • दूसरी सिंचाई 40-45 दिन बाद.
  • तीसरी सिंचाई 65-70 दिन बाद.
  • चौथी सिंचाई 90-95 दिन बाद.
  • पांचवीं सिंचाई 115-120 दिन बाद.
  • छठी सिंचाई दाना भरने की अवस्था पर.

खरपतवार नियंत्रण के लिए पेंडीमेथेलिन 400 ग्राम प्रति एकड़ बुवाई के 0-3 दिनों के भीतर प्रयोग करने की सलाह दी जाती है. संकरी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए 30-40 दिन में क्लोडिनाफॉप और फिनोक्साप्रॉप का छिड़काव करना उचित रहता है.

रोग और कीट प्रतिरोधकता

डी बी डब्ल्यू 303 को पीला, भूरा और काला रतुआ जैसे प्रमुख रोगों के प्रति प्रतिरोधी पाया गया है. साथ ही यह गेहूं ब्लास्ट जैसी गंभीर बीमारियों से भी सुरक्षित रहती है. इसमें कीट नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड, गेरूआ रोग के लिए ट्रायडिमेफॉन या हेक्साकोनाजोल और फफूंदी के लिए कार्बेन्डाजिम जैसी दवाओं का प्रयोग किया जा सकता है.

दाने की क्‍वालिटी और इस्‍तेमाल से जुड़ी खासि‍यत

इस किस्म के दानों में 12.1 प्रतिशत तक प्रोटीन पाया गया है. साथ ही सेडिमेन्ट स्कोर 7.9 और ग्लूटेन स्कोर भी बेहतर पाया गया है. इस वजह से इसका आटा रोटी, चपाती, स्नैक्स और बिस्किट जैसे खाद्य उत्पादों के लिए उपयुक्त माना गया है.

MORE NEWS

Read more!