इस कीट के अटैक से काला पड़ जाता है आम का पूरा पेड़, बचाव का अभी जान लें उपाय

इस कीट के अटैक से काला पड़ जाता है आम का पूरा पेड़, बचाव का अभी जान लें उपाय

मधुआ कीट आम का बहुत ही खतरनाक और विनाशकारी कीट है जो अटैक करते ही पेड़ को बर्बाद करना शुरू कर देता है. इस कीट के बच्चे और प्रौढ़ आम के मंजर और फूलों को चूसते हैं. इससे पूरा मंजर चौपट हो जाता है. दहिया कीट आम के मुलायम तनों से रस चूसते हैं. इसके प्रभाव से आम की मंजरियां मुरझा जाती है और भूरी हो जाती हैं और गिर जाती हैं.

मिलीबग कीट का सफायामिलीबग कीट का सफाया
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Apr 02, 2025,
  • Updated Apr 02, 2025, 5:09 PM IST

आम सीजन शुरू हो गया है. अब मंजरों से दाने निकलने शुरू हो गए हैं. ऐसे में किसानों को आम की बागवानी को लेकर अधिक सतर्क रहना चाहिए. किसान अगर व्यावसायिक तौर पर बागवानी कर रहे हैं तो उन्हें और भी ज्यादा सावधान रहना चाहिए क्योंकि एक बार पेड़ों पर कीट या रोगों का अटैक हो जाए तो पूरा बाग चौपट हो जाएगा. इस तरह किसान की सालभर की मेहनत पर पानी फिर जाएगा. ऐसा ही एक कीट है मधुआ जो आम को सबसे अधिक प्रभावित करता है.

मधुआ कीट आम का बहुत ही खतरनाक और विनाशकारी कीट है जो अटैक करते ही पेड़ को बर्बाद करना शुरू कर देता है. इस कीट के बच्चे और प्रौढ़ आम के मंजर और फूलों को चूसते हैं. इससे पूरा मंजर चौपट हो जाता है. दहिया कीट आम के मुलायम तनों से रस चूसते हैं. इसके प्रभाव से आम की मंजरियां मुरझा जाती है और भूरी हो जाती हैं और गिर जाती हैं. 

मधुआ कीट का हमला

मधुआ कीट से प्रभावित वृक्षों पर फल कम लगते हैं. यह कीट एक प्रकार का स्त्राव निकालता है जिसपर सूर्य की किरणें पड़ने पर पत्ते चमकीले दिखाई देते हैं. अगर मधुआ कीट का हमला गंभीर हो जाए और इसका प्रभाव अधिक बढ़ जाए तो पूरा पेड़ काला पड़ जाता है. 

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आम का एक और खतरनाक कीट है जिसका नाम है दहिया कीट. इस कीट के शिशु पौधे से रस चूसते हैं जिसके कारण मुलायम तने और मंजरियां सूख जाती हैं और अधपके फल गिर जाते हैं. पौधे पर काले फफूंद पनप जाते हैं, जिससे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया
रुकने लगती है. इस प्रक्रिया के रुकने पर आम की पत्तियां खाना नहीं बना पातीं जिससे पेड़ धीरे-धीरे मरने की ओर बढ़ता जाता है. कीट के आक्रमण का समय पर इलाज नहीं किया गया तो पूरा पेड़ सूख जाता है.

किसानों को सलाह दी जाती है कि वे हमेशा अपने बाग में आम के पड़े की निगरानी करें और देखते रहें कि किसी तरह के कीट का आक्रमण तो नहीं हुआ है. अगर कीट की पहचान हो जाए तो फौरन उसका इलाज किया जाना चाहिए. तो आइए जानते हैं कि इन दोनों कीटों से आम के बाग को कैसे बचाएं.

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मधुआ और दहिया कीट से बचाव

  • बाग की नियमित साफ-सफाई पर ध्यान दें.
  • दहिया कीट के प्रबंधन के लिए पेड़ के आस-पास की मिट्टी की निकाई-गुड़ाई और जुताई करने से इस कीट के अंडे नष्ट हो जाते हैं. जोती गई मिट्टी में विप्रोफेजीन-एसीफेट 50 डब्लूडी का 100 ग्राम/पेड़ की दर से मिला देना चाहिए. पौधे के मुख्य तने की जमीन के पास वाले भाग पर 30 से मी चौड़ी अल्काथीन या प्लास्टिक की एक पट्टी लपेट देने और उस पर कोई चिकना पदार्थ जैसे ग्रीस आदि लगाने से इस कीट के शिशु पेड़ पर नहीं चढ़ पाते हैं.
  • आम की तुड़ाई के बाद बागों की जुताई करें.
  • कीट की रोकथाम के लिए इमीडाक्लोप्रीड 17.8 एसएल का 1 मिली प्रति 3 लीटर पानी या डेल्टामेथ्रीन 2.8% ईसी का 1 मिली प्रति 3 लीटर पानी या थायोमेथाक्साम 25% डब्लूजी का 1 ग्राम प्रति 5 लीटर पानी या बाइकेंथिन 10% ईसी का 1.5 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर वृक्ष पर छिड़काव करें. 15 दिनों के बाद फिर से छिड़‌काव करें.
  • इस तरह मधुआ और दहिया कीट से आम के मंजर और फलों का बचाव किया जा सकता है. किसान पेड़ पर इस कीट की निगरानी करें और ऊपर बताए गए उपाय को अपनाएं.

 

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