कश्मीर में घटिया कीटनाशकों ने सेब का पैदावार गिराया, किसानों को भारी नुकसान

कश्मीर में घटिया कीटनाशकों ने सेब का पैदावार गिराया, किसानों को भारी नुकसान

हाल ही में जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सरकार द्वारा पेश किए गए आंकड़ों से पता चला है कि जम्मू के मुकाबले कश्मीर में घटिया कीटनाशकों और उर्वरकों का प्रचलन ज़्यादा है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जनवरी 2024 से फरवरी 2025 तक जम्मू में 384 कीटनाशकों के नमूनों में से सिर्फ़ 1 घटिया पाया गया, जबकि कश्मीर संभाग में 1,654 नमूनों में से 57 घटिया पाए गए.

सेब उत्पादकों को हो रहा नुकसानसेब उत्पादकों को हो रहा नुकसान
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Mar 26, 2025,
  • Updated Mar 26, 2025, 4:29 PM IST

कश्मीर घाटी में किसानों के लिए एक गंभीर समस्या पैदा हो गई है. घाटियों में कीटनाशकों और उर्वरकों का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है, जो सेब की खेती को नुकसान पहुंचा रहा है. घटिया खाद न केवल कृषि उत्पादन को प्रभावित कर रहे हैं, बल्कि किसानों को आर्थिक रूप से भी भारी नुकसान हो रहा है. 

कीटनाशकों और उर्वरकों की जांच

हाल ही में जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सरकार द्वारा पेश किए गए आंकड़ों से पता चला है कि जम्मू के मुकाबले कश्मीर में घटिया कीटनाशकों और उर्वरकों का प्रचलन ज़्यादा है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जनवरी 2024 से फरवरी 2025 तक जम्मू में 384 कीटनाशकों के नमूनों में से सिर्फ़ 1 घटिया पाया गया, जबकि कश्मीर संभाग में 1,654 नमूनों में से 57 घटिया पाए गए. इसी तरह कश्मीर में 317 उर्वरक नमूनों में से 28 घटिया पाए गए, जबकि जम्मू में ऐसा कुछ नहीं मिला.

रेगुलेटरी सिस्टम में कमी

हालांकि, कश्मीर में भी कीटनाशकों और उर्वरकों की क्वालिटी की जांच के लिए एक समान रेगुलेटरी सिस्टम (Regulatory Mechanism) है, फिर भी यहां खराब प्रोडक्ट की संख्या ज्यादा है. इससे यह साफ होता है कि कश्मीर में गुणवत्ता नियंत्रण, बाजार रेगुलेटरी सिस्टम और कार्रवाई में कुछ खामियां हो सकती हैं.

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कृषि मंत्री का बयान

20 मार्च को कृषि मंत्री जावेद अहमद डार ने विधानसभा में बताया कि जम्मू-कश्मीर में कीटनाशकों और उर्वरकों की गुणवत्ता की जांच की जाती है. केवल मानकों पर खरे उतरने वाले उत्पादों को ही घाटी में भेजने की अनुमति है. उन्होंने बताया कि कश्मीर में प्रवेश के लिए लोअर मुंडा में एक चेकपॉइंट है, जहां सामान के दस्तावेजों की जांच की जाती है और स्रोत की जांच की जाती है. इसके अलावा थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं से भी रैंडम सैंपल लिए जाते हैं और उनकी क्वालिटी की जांच की जाती है.

किसान को हुआ नुकसान

इसके बावजूद बाजार में घटिया कीटनाशक और खाद पहुंच रहे हैं, जिससे कश्मीर के सेब उत्पादक किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. 2020 में नकली कीटनाशकों के कारण कश्मीर में फैली स्कैब महामारी ने सेब के बागों को तबाह कर दिया था. कोविड-19 के दौरान लगाए गए लॉकडाउन का फायदा उठाकर धोखेबाजों ने सेब उत्पादकों को नकली कीटनाशक बेचे, जिससे 80 फीसदी से ज्यादा उपज बर्बाद हो गई. इस महामारी के कारण सेब की गुणवत्ता गिर गई और पहले दर्जे के सेब को 'बी' और 'सी' ग्रेड में बदलना पड़ा, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ.

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डीलर्स का बयान

पेस्टीसाइड एंड फर्टिलाइजर डीलर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष पीरजादा शब्बीर अहमद ने कहा कि वे घटिया कीटनाशकों और उर्वरकों के वितरण को रोकने के लिए हमेशा कानूनी एजेंसियों के साथ मिलकर काम करते हैं. उनका कहना है कि वे पूरी कोशिश करते हैं कि किसानों तक सिर्फ अच्छे उत्पाद ही पहुंचें ताकि किसानों को नुकसान न उठाना पड़े.

घाटी में घटिया कीटनाशकों और उर्वरकों का बढ़ता प्रचलन कश्मीर के सेब उत्पादकों के लिए चिंता का बड़ा कारण बन गया है. हालांकि सरकार ने इस समस्या को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन क्वालिटी चेकिंग सिस्टम को और मजबूत करना महत्वपूर्ण है ताकि किसानों को और नुकसान न उठाना पड़े. किसानों को अच्छे उत्पाद उपलब्ध कराने के लिए सभी संबंधित विभागों और एजेंसियों को एकजुट होकर काम करना होगा.

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