Seed Treatment: बुवाई करने से पहले क्यों जरूरी है बीज उपचार? जानिए इसकी प्रक्रिया और सावधानियां

Seed Treatment: बुवाई करने से पहले क्यों जरूरी है बीज उपचार? जानिए इसकी प्रक्रिया और सावधानियां

बीज उपचार इसलिए करना चाहिए क्योंकि इससे प्राकृतिक रूप से रोग और कीट नियंत्रण किया जा सकता है. बीज उपचार में बुआई से पहले बीजों को रसायनों, जैविक एजेंटों और दूसरी चीजों से उपचारित किया जाता है. इसलिए हम आपको बीज उपचार करने के लिए सही तरीका बता रहे हैं.

फसलों का बीजोपचारफसलों का बीजोपचार
क‍िसान तक
  • नोएडा,
  • Sep 29, 2025,
  • Updated Sep 29, 2025, 7:20 AM IST

किसी भी किसान की फसल कैसी होगी ये इस बात पर निर्भर होता है कि बीज कितना उमदा है. खेतों में ये बीज कितने अच्छे से अंकुरित होगा ये इस बात पर निर्भर होता है कि बीच उपचार कितना अच्छे से किया गया है. यही वजह है कि बुवाई से पहले बीज उपचार एक आवश्यक कृषि प्रक्रिया है. बीज उपचार में बुआई से पहले बीजों को रसायनों, जैविक एजेंटों और दूसरी चीजों से उपचारित किया जाता है. ऐसा करने से किसान बीजों को मिट्टी से होने वाले रोगों, कीटों, फफूंद और कई तरह के संक्रमणों से बचा सकते हैं.

क्यों करें बीज उपचार?

बुवाई से पहले बीज उपचार इसलिए करना चाहिए क्योंकि इससे प्राकृतिक रूप से रोग और कीट नियंत्रण किया जा सकता है. इससे बीज जनित रोग और कीटों को पनपने से पहले रोका जा सकता है. ऐसे में बीज उपचार करने से किसान की फसल तो बेहतर होती ही है, साथ ही रोग नियंत्रण करने में लागत भी बहुत हद तक घट जाती है. सबसे अच्छी बात ये है कि रसायन कम इस्तेमाल होने से बीज होता है और इससे पैदावार भी अधिक होती है.

इसका दूसरा फायदा बीज के अंकुरण में मिलता है. जब खेत में उपचारित किए हुए बीज डाले जाते हैं तो बीज बेहतर तरीके से अंकुरित होते हैं, जिससे फसल मजबूत और एकसमान विकसित होती है. इसके साथ ही खेती में रसायनों की भी बचत होती है. फसल पर रसायन स्प्रे करने की जगह बीज को उपचार करना ज्यादा लागत-प्रभावी और प्राकृतिक तरीका और पर्यावरण अनुकूल है.

कब और कैसे करें बीज उपचार?

बुआई से ठीक पहले किसान जरूरी जैविक तत्वों से बीज उपचार करते हैं. एक बार बीज उपचारित हो जाए तो इसे तुरंत बोना चाहिए. अगर उपचारित बीज रखे छोड़ दिए तो इसकी प्रभावशीलता कम हो सकती है. अब बीज उपचार भी 2 तरह से किया जाता है-

  1. जैविक विधि: इस विधि में बीजों को उपचारित करने के लिए ट्राइकोडर्मा वीरिडी जैसी जैव कवकनाशी का इस्तेमाल किया जाता है. ये चीजें बीज में मिलाकर इसके बाद तुरंत बुवाई करना चाहिए.
  2. रासायनिक विधि: इस तरह से बीजों को उपचारित करने के लिए बीज के हिसाब से पहले निर्धारित मात्रा में फंगीसाइड या फिर कीटनाशक का घोल बनाया जाता है. फिर इस घोल से बीजों को उपचारित करके छाया में सुखाना होता है. फिर बुवाई की जाती है. अगर छोटे पैमाने पर बीज उपचार करना है तो घड़ा विधि से करें और अगर बड़े पैमाने पर करना है तो सीड ड्रेसर मशीन का इस्तेमाल कर सकते हैं.

बीज उपचार करते वक्त बरतें ये सावधानियां

  • सबसे जरूरी है कि मात्रा का ध्यान रखें. उपचारित करते वक्त अनुशंसित मात्रा से ज्यादा दवा का उपयोग न करें.
  • अगर आप जैविक खेती कर रहे हैं तो बीजों के रासायनिक उपचार के बजाय जैविक एजेंटों का ही उपयोग करें.
  • बीज उपचार करते वक्त किसान उपकरण और सुरक्षा का ध्यान रखें. दस्ताने पहनें और उपचारित बीज को अलग रखें.
  • उपचारित बीजों को सुखाने के लिए इन्हें छाया में सुखाएं.

कुछ रबी फसलों के लिए बीज उपचार

  • गेहूं: स्मट, रस्ट, दीमक, एफिड्स के लिए कार्बेन्डाजिम, मैनकोजेब, थिरम, टेब्यूकोनाजोल, इमिडाक्लोप्रिड
  • सरसों: अल्टरनारिया ब्लाइट, स्क्लेरोटिनिया रॉट, सफेद रतुआ के लिए थिरम, कैप्टान, मेटलैक्सिल
  • चना: विल्ट, रूट रॉट, नेमाटोड के लिए कार्बेन्डाजिम, थिरम, ट्राइकोडर्मा वीरिडी
  • मटर: पाउडरी मिल्ड्यू, रूट रॉट, डाउनी मिल्ड्यू के लिए कैप्टान, थिरम, कार्बेन्डाजिम, ट्राइकोडर्मा वीरिडी
     

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