कपास में सफेद मक्खी की रोकथाम के लिए आजमाएं ये 6 उपाय, भारी नुकसान से बच जाएंगे

कपास में सफेद मक्खी की रोकथाम के लिए आजमाएं ये 6 उपाय, भारी नुकसान से बच जाएंगे

अगर किसान सफेद मक्खी रोग से बचना चाहते हैं, तो बीटी कपास किस्मों की बुवाई करें. वहीं, नाइट्रोजन उर्वरकों का इस्तेमाल अधिक मात्रा में नहीं करें. यदि आप कपास के खेत में नाइट्रोजन उर्वरकों का इस्तेमाल अधिक करते हैं, तो सफेद मक्की का आक्रमण और तेजी से बढ़ेगा.

कपास की फसल में सफेद मक्खी रोग का प्रकोप. (सांकेतिक फोटो)कपास की फसल में सफेद मक्खी रोग का प्रकोप. (सांकेतिक फोटो)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Dec 22, 2023,
  • Updated Dec 22, 2023, 12:25 PM IST

भारत में करीब 9.4 मिलियन हेक्टेयर में किसान कपास की खेती करते हैं. गुजरात सबसे बड़ा कपास उत्पादक राज्य है. इसके अलावा तमिलनाडु, ओडिशा, राजस्थान, तेलंगाना और हरियाणा में भी किसान कपास उगाते हैं. यही वजह है कि देश में लाखों किसानों के घर का खर्च कपास की खेती से चल रहा है. लेकिन कई बार किसानों को कपास की खेती में नुकसान भी उठाना पड़ता है, क्योंकि फसल में रोग लग जाते हैं. इससे कपास का उत्पादन गिर जाता है. ऐसे सफेद मक्खी सबसे अधिक कपास की फसल को नुकसान पहुंचाता है. लेकिन अब किसानों को सफेद मक्खी को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है. नीचे बता गए विधि को अपना कर किसान सफेद मक्खी से कपास की फसल को बचा सकते हैं.

दरअसल, सफेद मक्खी एक तरह का कीट होता है, जो कपास की फसल को सबसे अधिक प्रभावित करता है. यह देखने में पीले रंग का होता है, लेकिन इसका पंख सफेद होता है. यह हवा में तेजी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर उड़ता है. इसके प्रकोप से पौधों में काली फफूंदी लग जाती है. खास बात यह है कि सफेद मक्खी पौधे के रस को चूसकर फसल को नुकसान पहुंचाते हैं. कभी- कभी इसके प्रकोप से 50 से 60 प्रतिशत तक फसल प्रभावित हो जाती है.

किसान रहें सतर्क

खास बात यह है कि पंजाब और हरियाणा में सफेद मक्खी का प्रकोप कुछ ज्यादा ही देखने को मिलता है. पिछले साल हरियाणा में 40 हजार हेक्टेयर और पंजाब में 20 हजार हेक्टेयर में कपास की फसल के ऊपर सफेद मक्खी का असर देखने को मिला था. लेकिन इस बार किसानों को सफेद मक्खी को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है. 

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खेतों के आसपास साफ- सफाई रखें

अगर किसान सफेद मक्खी रोग से बचना चाहते हैं, तो बीटी कपास किस्मों की बुवाई करें. वहीं, नाइट्रोजन उर्वरकों का इस्तेमाल अधिक मात्रा में नहीं करें. यदि आप कपास के खेत में नाइट्रोजन उर्वरकों का इस्तेमाल अधिक करते हैं, तो सफेद मक्खी का आक्रमण और तेजी से बढ़ेगा. इसके अलावा सफेद मक्खी और मिलीबग से कपास की फसल को बचाने के लिए खेतों के आसपास साफ- सफाई रखें.

एजा पावर प्लस का करें छिड़काव

एक्सपर्ट के मुताबिक, सफेद मक्खी का अटैक बैंगन, खीरा और टमाटर सहित कई तरह की सब्जियों पर भी होता है. इसलिए कपास के खेत के आसपास इन सब्जियों की खेती नहीं करें. वहीं, कापस के खेत का सर्वेक्षण अप्रैल महीने से ही शुरू करें, ताकि सफेद मक्खी को नियंत्रित किया जा सके. अगर आप चाहें, तो कपास के खेत में प्रति एकड़ 40 पीला स्टिकी ट्रैप जरूर लगाएं. इससे सफेद मक्खी का प्रकोप कम हो जाता है. इसके अलावा आप कपास के खेत में एजा पावर प्लस कीटनाशक का छिड़काव भी कर सकते हैं. इससे भी फसल को सफेद मक्खी से नुकसान नहीं पहुंचाएगा और उत्पादन बेहतर होगा.

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