गेहूं और सरसों की खेती के ल‍िए पूसा के वैज्ञान‍िकों ने द‍िए ट‍िप्स, इन बातों का ध्यान रखें क‍िसान

गेहूं और सरसों की खेती के ल‍िए पूसा के वैज्ञान‍िकों ने द‍िए ट‍िप्स, इन बातों का ध्यान रखें क‍िसान

Advisory for Farmers: कृष‍ि वैज्ञान‍िकों ने कहा है क‍ि तापमान को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह है कि वे पछेती गेहूं की बुवाई अतिशीघ्र करें. बीज दर–125 क‍िलोग्राम प्रत‍ि हेक्टेयर रखें. नाइट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटाश उर्वरकों की मात्रा 80, 40 व 40 क‍िलोग्राम प्रति हेक्टेयर होनी चाहिए. 

Advisory for FarmersAdvisory for Farmers
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Dec 06, 2023,
  • Updated Dec 06, 2023, 1:27 PM IST

पूसा के कृष‍ि वैज्ञान‍िकों ने रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं की खेती के ल‍िए ट‍िप्स द‍िए हैं. इसमें बताया गया है क‍ि जिन किसानों की गेहूं की फसल 21-25 दिन की हो गई हो, वे अगले पांच दिनों तक मौसम की संभावना को ध्यान में रखते हुए पहली सिंचाई करें. सिंचाई के 3-4 दिन बाद उर्वरक की दूसरी मात्रा डालें. तापमान को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह है कि वे पछेती गेहूं की बुवाई अतिशीघ्र करें. बीज दर–125 क‍िलोग्राम प्रत‍ि हेक्टेयर रखें. इसकी उन्नत प्रजातियां- एचडी 3059, एचडी 3237, एचडी 3271, एचडी 3369, एचडी 3117, डब्ल्यूआर 544 और पीबीडब्ल्यू 373 हैं.

बुवाई से पूर्व बीजों को बाविस्टिन @ 1.0 ग्राम या थायरम @ 2.0 ग्राम प्रति क‍िलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें. जिन खेतों में दीमक का प्रकोप हो किसान क्लोरपाईरिफास (20 ईसी) @ 5.0 लीटर प्रत‍ि हेक्टेयर की दर से पलेवा के साथ या सूखे खेत में छिड़क दे. नाइट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटाश उर्वरकों की मात्रा 80, 40 व 40 क‍िलोग्राम प्रति हेक्टेयर होनी चाहिए. 

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सरसों की फसल में करें व‍िरलीकरण का काम

देर से बोई गई सरसों की फसल में विरलीकरण तथा खरपतवार नियंत्रण का कार्य करें. औसत तापमान में कमी को ध्यान में रखते हुए सरसों की फसल में सफेद रतुआ रोग की नियमित रूप से निगरानी करें. इस मौसम में तैयार खेतों में प्याज की रोपाई से पहले अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद तथा पोटास उर्वरक का प्रयोग अवश्य करें. हवा में अधिक नमी के कारण आलू तथा टमाटर में झुलसा रोग आने की संभावना है. इसल‍िए फसल की नियमित रूप से निगरानी करें. लक्षण दिखाई देने पर डाईथेन-एम-45 को 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.

पत्ती खाने वाले कीटों की करें निगरानी

जिन किसानों की टमाटर, फूलगोभी, बन्दगोभी और ब्रोकली की पौधशाला तैयार है, वह मौसस को ध्यान में रखते हुए पौधों की रोपाई कर सकते हैं. गोभी वर्गीय सब्जियों में पत्ती खाने वाले कीटों की निरंतर निगरानी करते रहें. यदि संख्या अधिक हो तो बी. टी.@ 1.0 ग्राम प्रति लीटर पानी या स्पेनोसेड दवा @ 1.0 एमएल प्रत‍ि 3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. इस मौसम में किसान सब्जियों की निराई-गुड़ाई करके खरपतवारों को नष्ट करें, सब्जियों की फसल में सिंचाई करें तथा उसके बाद उर्वरकों का बुरकाव करें.  

पराली का क्या करें क‍िसान

किसानों को सलाह है कि खरीफ फ़सलों (धान) के बचे हुए अवशेषों (पराली) को न जलाएं. क्योंकि इससे वातावरण में प्रदूषण ज़्यादा होता है. इससे उत्पन्न धुंध के कारण सूर्य की किरणें फसलों तक कम पहुचती हैं. जिससे फसलों में प्रकाश संश्लेषण और वाष्पोत्सर्जन की प्रकिया प्रभावित होती है. ऐसा होने से भोजन बनाने में कमी आती है. इस कारण फसलों की उत्पादकता व गुणवत्ता प्रभावित होती है. किसानों को सलाह है कि धान की बची पराली को जमीन में मिला दें. इससे म‍िट्टी की उर्वकता बढ़ती है.  

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