मॉनसून लगभग देश के हर हिस्से में पहुंच चुका है, जिससे बारिश हो रही है. मौसम विभाग ने जुलाई और अगस्त में सामान्य से अधिक बारिश की भविष्यवाणी की है. अच्छी बारिश संभावनाओं को देखते हुए खरीफ सीजन के लिए धान बुवाई शुरू हो गई है. धान की बंपर पैदावार पाने के लिए जितना खेत का अच्छी तरह से तैयार होना जरूरी है उतना ही उर्वरक और सही बीज का इस्तेमाल भी जरूरी है. जबकि, किसानों के सामने कीट सबसे बड़ी समस्या के रूप में खड़े हो जाते हैं. इनकी रोकथाम के लिए कुछ जरूरी बिंदु बताए जा रहे हैं, जिनको अपनाकर किसान बंपर उपज हासिल कर सकते हैं.
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कृषि विज्ञान केंद्र ने खरीफ सीजन में धान बुवाई के लिए किसानों को सलाह दी है. जिसके अनुसार खेत तैयार करने से लेकर बीज शोधन और कीटों से बचने का तरीका बताया है. कृषि एक्सपर्ट के अनुसार धान बुवाई के लिए खेत की पहली जुताई मिटटी पलटने वाले हल से और इसके बाद भी 2-3 जुताई कल्टीवेटर से करनी चाहिए. रोपाई से पहले खेत को पानी से भरकर जुताई करनी चाहिए और जुताई करते समय खेत को समतल बनाना जरूरी है. जुताई के बाद खेत की मजबूत मेड़बंदी कर देनी चाहिए, ताकि बारिश का पानी अधिक समय तक खेत में रोका जा सके. धान की एक हेक्टेयर रोपाई के लिए बीज की मात्रा 30 से 35 किलोग्राम बीज पौध तैयार करने के लिए सही रहता है. किसान 25 किलोग्राम बीज के लिए 4 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन तथा 75 ग्राम थीरम से बीज का उपचार करने के बाद बुवाई करें.
धान की फसल में लगने वाले प्रमुख कीटों में दीमक, पत्ती लपेटक कीट, गन्धी बग, सैनिक कीट, तना बेधक जैसे कीट लगते हैं, जो फसल को बर्बाद कर देते हैं.