खरीफ सीजन की शुरुआत हो चुकी है. ऐसे में इन दिनों खेतों में धान की नर्सरी लहलहा रही है. धान की खेती का यह शुरुआती दौर होता है, जिसके बाद पौधों के बड़े होने पर उनकी रोपाई की जाती है. लेकिन इस बीच मौसम में हुए अचानक बदलाव यानी पिछले हफ्ते बढ़ी गर्मी से कई राज्यों में नर्सरी सूखने और पौधों में रोग लगने की समस्या शुरू हो गई है. इससे किसान बेहद परेशान हैं, लेकिन किसानों को अब परेशान होने की जरूरत नहीं है. नर्सरी में आ रही तमाम समस्याओं से निजात पाने के लिए कुछ तरीके को अपनाया जा सकता है. कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो इन तरीकों को अपनाने के बाद नर्सरी में आने वाली समस्याओं से छुटकारा मिलेगा. आइए जानते हैं.
किसानों द्वारा पिछले महीने लगाई गई धान की नर्सरी में लगे पौधों में दिक्कत आ रही है या तो पौधे की पत्तियां भूरे या पीले रंग की हो रही हैं या पौधे का विकास ही बिल्कुल रुक गया है, जिससे किसानों को उत्पादन में कमी की चिंता सता रही है तो फौरन इसका उपाय करना चाहिए. इसके लिए कृषि एक्सपर्ट की मानें तो खाद का प्रयोग करके भी इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है.
इसके अलावा जिन किसानों की नर्सरी में पौधे पीले पड़ रहे हैं या सूख रहें वो खेत में नमी बनाए रखें. इसमें आर्द्र गलन की समस्या आती है, जिसमें पौधा जमीन के पास से ही सड़ कर सूखने और गिरने लगता है. इसके लिए फफूंदी नाशक का छिड़काव एक बार जरूर करें. इसके अलावा एक बार 5 फीसदी जिंक सल्फेट का उपयोग जरूर कर दें. नर्सरी में बड़ी बीमारी जिंक की कमी के कारण आती है, जिसे खैरा रोग कहा जाता है. इससे बचने के लिए भी फफूंदी नाशक का छिड़काव करें.
धान की नर्सरी में एक और बड़ी समस्या सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी है. इसके लिए बाजार में सूक्ष्म पोषक तत्वों का पाउडर मल्टीप्लेक्स मिलता है, जिसके छिड़काव से इन परेशानियों से बचा जा सकता है. इसके अलावा इस समय बहुत तेज गर्मी पड़ रही है, इसलिए सिंचाई करते रहें. अगर खेत में नमी या समय पर पानी नहीं दिया जाएगा तो कई समस्या आ सकती है. इसलिए पौधों को तंदरूस्त रखने के लिए समय पर सिंचाई करें.