आपने गेहूं या सरसों में लाल रंग के कीटों को देखा होगा. इसे आम बोलचाल में लाल कीट कहते हैं और इसका पूरा नाम लाल आटा बीटल है. अंग्रेजी में इसे ट्रिबोलियम कैस्टेनम कहा जाता है. यह कीट गेहूं और मक्के के भंडारण में भारी नुकसान पहुंचाता है. यह कीट गेहूं और मक्के को अंदर से पूरी तरह से चट कर जाता है और बाहर केवल छिलका बचता है. यह कीट केवल भारत की समस्या नहीं है बल्कि सभी गर्म देशों में इसका प्रकोप देखा जाता है. यह कीट विश्व के गर्म भागों में खाद्य भंडारों में पाया जाने वाला एक गंभीर कीट है.
लाल आटा बीटल कीट मक्का, गेहूं और अन्य भंडारित अनाजों को नुकसान पहुंचाता है. इस कीट के संक्रमण से भंडारित अनाज के दानों में छेद, टूटे हुए दाने और इनका डैमेज होना स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है. अनाजों में यह नुकसान लार्वा और वयस्क कीट, दोनों द्वारा किया जाता है. अंडे से वयस्क तक का जीवन काल 30 डिग्री सेल्सियस तापमान पर 35 दिनों तक होता है. वयस्क दोपहर के समय के बाद बड़ी संख्या में उड़ते हैं. लार्वा और वयस्क आटा, पशु चारा और अन्य जमीनी सामग्री खाते हैं.
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इसके अलावा कुछ कीट कीट बीजों के पकने के समय भारी नुकसान पहुंचाते हैं. आगे ये भंडारण के समय भी अनाजों को नुकसान पहुंचाते हैं. इसमें ध्यान देने वाली बात ये है कि कीट को दूर करने के लिए अगर किसी दवा का इस्तेमाल करते हैं तो उससे पहले कीटों की सही पहचान जरूरी है. यह जानना जरूरी है कि अनाज में कीट की किस प्रजाति का अटैक हुआ है. इसके अलावा, कीटों से अनाजों को दूर रखने के लिए जगह और बोरों को सैनिटाइज करना जरूरी होता है.
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