अब ज्यादातर खरीफ सीजन वाली फसलें तैयार होने लगी हैं और इनकी कटाई भी शुरू होने लगी है. सितंबर के आखिरी सप्ताह और अक्टूबर की शुरुआत से ज्यादातर खरीफ वाली फसलें पूरी तरह से पक जाती हैं, लेकिन कई बार इन दिनों बेमौसम बारिश किसानों का खेल बिगाड़ सकती है. कई बार पूरी तरह से तैयार फसल बर्बाद हो जाती है. इन दिनों ज्यादातर किसानों के सोयाबीन की फसल तैयार हो रही है इसकी कटाई से पहले प्रबंधन का तरीका समझ लेते हैं ताकि किसी तरह के नुकसान से बचा जा सके.
सबसे जरूरी है सही समय पर कटाई करना. आप पौधे की पत्तियां देख कर अंदाजा लगा सकते हैं कि फसल कटाई के लिए तैयार हुई या नहीं. अगर पौधे की पत्तियां पीली पड़ गई हैं, फल्लियों के भीतर के दाने तोड़कर देखें अगर मैच्योर हो गए हैं तो काट सकते हैं. कटाई के लिए पूरी तरह से फसल सूखने का इंतजार ना करें इससे बालियां चटक जाती हैं और दाने खे में ही झड़ जाते हैं. कटाई के बाद कम से कम 1 दिन तक फसल को खेत में छोड़ना अच्छा माना जाता है. इससे फसल सूख जाती है और इसका प्रबंधन आसान हो जाता है.
कई बार बारिश के कारण आपकी तैयार फसल बेकार हो जाती है. फसल की कटाई के बाद लगातार मौसम के पूर्वानुमान की जानकारी लेते रहें. अगर बारिश का अनुमान बताया जा रहा है तो फसल को सुरक्षित करने के इंतजाम करें और खुले में फसल को ना छोड़ें. इसके अलावा अगर तेज हवा चल रही है तो कटाई के बाद फसल के बोझे बनाने चाहिए. इससे आप फसल को सुरक्षित रख सकते हैं. आइए और भी जरूरी बातें जान लेते हैं.
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आपको बता दें कि फसल की थ्रेसरिंग के बाद सोयाबीन के अवशेष को जानवरों के लिए भूसा के रूप में यूज किया जा सकता है. इसके अलावा तना और पत्तियां कम्पोस्ट या बायोगैस प्लांट में डाली जा सकती हैं. आप खुद इस्तेमाल कर सकते हैं या फसल के अवशेष की बिक्री भी कर सकते हैं. सोयाबीन की जड़ें मिट्टी में नाइट्रोजन के स्तर को बढ़ाने में भी मददगार होती हैं.