सोयाबीन की कटाई के बाद फसल प्रबंधन करना सीखें, नहीं तो हो सकता है भारी नुकसान

सोयाबीन की कटाई के बाद फसल प्रबंधन करना सीखें, नहीं तो हो सकता है भारी नुकसान

सितंबर-अक्टूबर में कई बार अचानक बारिश होते देखा गया है. इन दिनों अधिकांश फसलें तैयार होने लगती हैं और मौसम की बेरुखी के चलते पूरी तरह से बर्बाद भी हो जाती हैं. इस खबर में आपको फसल मैनेजमेंट का तरीका बताने जा रहे हैं.

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नयन त‍िवारी
  • Noida,
  • Sep 25, 2025,
  • Updated Sep 25, 2025, 12:51 PM IST

अब ज्यादातर खरीफ सीजन वाली फसलें तैयार होने लगी हैं और इनकी कटाई भी शुरू होने लगी है. सितंबर के आखिरी सप्ताह और अक्टूबर की शुरुआत से ज्यादातर खरीफ वाली फसलें पूरी तरह से पक जाती हैं, लेकिन कई बार इन दिनों बेमौसम बारिश किसानों का खेल बिगाड़ सकती है. कई बार पूरी तरह से तैयार फसल बर्बाद हो जाती है. इन दिनों ज्यादातर किसानों के सोयाबीन की फसल तैयार हो रही है इसकी कटाई से पहले प्रबंधन का तरीका समझ लेते हैं ताकि किसी तरह के नुकसान से बचा जा सके. 

फसल कटाई को लेकर जरूरी बात

सबसे जरूरी है सही समय पर कटाई करना. आप पौधे की पत्तियां देख कर अंदाजा लगा सकते हैं कि फसल कटाई के लिए तैयार हुई या नहीं. अगर पौधे की पत्तियां पीली पड़ गई हैं, फल्लियों के भीतर के दाने तोड़कर देखें अगर मैच्योर हो गए हैं तो काट सकते हैं. कटाई के लिए पूरी तरह से फसल सूखने का इंतजार ना करें इससे बालियां चटक जाती हैं और दाने खे में ही झड़ जाते हैं. कटाई के बाद कम से कम 1 दिन तक फसल को खेत में छोड़ना अच्छा माना जाता है. इससे फसल सूख जाती है और इसका प्रबंधन आसान हो जाता है. 

कटाई के बाद प्रबंधन 

कई बार बारिश के कारण आपकी तैयार फसल बेकार हो जाती है. फसल की कटाई के बाद लगातार मौसम के पूर्वानुमान की जानकारी लेते रहें. अगर बारिश का अनुमान बताया जा रहा है तो फसल को सुरक्षित करने के इंतजाम करें और खुले में फसल को ना छोड़ें. इसके अलावा अगर तेज हवा चल रही है तो कटाई के बाद फसल के बोझे बनाने चाहिए. इससे आप फसल को सुरक्षित रख सकते हैं. आइए और भी जरूरी बातें जान लेते हैं. 

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  • कटाई के बाद जब फसल सूख जाए तो सोयाबीन की फलियों की मड़ाई करें. 
  • मड़ाई का मतलब है कि पौधों से बालियों को तोड़कर अलग करना है.
  • दानों को धूप में 10–12 फीसदी नमी तक सुखाएं, अगर नमी रहेगी तो भंडारण में नुकसान होगा.

इन बातों का भी रखें ध्यान

आपको बता दें कि फसल की थ्रेसरिंग के बाद सोयाबीन के अवशेष को जानवरों के लिए भूसा के रूप में यूज किया जा सकता है. इसके अलावा तना और पत्तियां कम्पोस्ट या बायोगैस प्लांट में डाली जा सकती हैं. आप खुद इस्तेमाल कर सकते हैं या फसल के अवशेष की बिक्री भी कर सकते हैं. सोयाबीन की जड़ें मिट्टी में नाइट्रोजन के स्तर को बढ़ाने में भी मददगार होती हैं.

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