झारखंड के किसानों के लिए मौसम विज्ञान विभाग की तरफ से सलाह जारी की गई है. इन सलाहों का पालन करके किसान आने वाले दिनों में मौसम संबंधी बदलावों से अपने फसलों को नुकसान से बचा सकते हैं और अच्छी उपज हासिल कर सकते हैं. चूंकि मौसम विभाग का अनुमान है कि झारखंड के कई जिलों में 24 जनवरी को बारिश हो सकती है. इसके साथ ही न्यूनतम तापमान में दो से तीन डिग्री सेल्सियस की गिरावट देखी जा सकती है. साथ ही एक दो दिनों तक सुबह के वक्त घना कोहरा छाया रह सकता है. इसे देखते हुए मौसम विभाग की तरफ से सलाह जारी की गई है.
किसानो के लिए जारी किए गए सामान्य सलाह में कहा गया है कि कम तापमान और सूखे मौसम की स्थिति में फसलों में तनाव हो सकता है. इससे पौधों को बचाने के लिए सुबह के वक्त खड़ी फसलों में हल्की सिंचाई करें. इसके साथ ही कम तपामन के कारण खराब अंकुरण से बचने के लिए सब्जियों की नर्सरी के ऊपर कम लागत वाले पॉलिथीन का कवर करें. इसके साथ ही जिन किसानों ने हाल में ही रबी फसलों की बुवाई की है वो अपने नए पौधों को तनाव से बचाने के लिए निरंतर हल्की सिंचाई करते रहें. इसके अलावा जिन खेतों में नमी की कमी है और पौधों में फूल आ रहे हैं तो दो प्रतिशत डीएपपी और एक प्रतिशत एमओपी का छिड़काव पत्तियों पर करें. हालांकि किसान दवाओं का खाद का छिड़काव करने से पहले यह सुनिश्चित करें की मौसम सूखा है.
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इसके अलावा अगर गेहूं की फसल में दीमका का प्रकोप दिखाई दे रहा है किसान क्लोरपॉयरीफॉस 20 ईसी का 2 लीटर पानी और 20 किलोग्राम बालू के साथ मिलाकर शाम के समय खेतों में छिड़काव करें और इसके बाद सिंचाई करें. चने के खेत में इस वक्त फली छेदक कीट का प्रकोप हो सकता है. इससे बचाव के लिए फेरोमेन ट्रैप का इस्तेमाल करें.प्रति एकड़ तीन से चार ट्रैप का इस्तेमाल करें. इसके साथ ही जिन खेतों में 25-35 फीसदी फूल खिल चुके हैं उन खेतों में टी आकार का डंडा गाड़ दें. जिससे की चिड़ियां वहां पर आकर बैठ सकें. ऐसे मौसम में सरसों में चेंपा कीट का प्रकोप हो सकता है इसलिए लगातार खेत की निगरानी करते रहें.
मिर्च की फसल में मकड़ी के प्रकोप की संभावना होती है. कीट के प्रकोप के कारण नीचे की ओर मुड़ने लगती हैं और सिकुड़ने लगती है. साथ ही पौधा बौना दिखाई देता है. ऐसे में मिर्च की फसल में घुन के प्रबंघन के लिए इथियन 50 ईसी का 600 मिली प्रति एकड़ या स्पाइरोफेरोमिन 22.9एससी का200 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें. कोहरे और ठंड के कारण आलू में झुलसा रोग हो सकता है. इसके प्रबंधन के लिए मैंकोजेब या कार्बेंडाजिम का छिड़काव करें. साथ ही वर्तमान समय में बोई गई प्याज में थ्रिप्स का प्रकोप हो सकता है इसलिए इसकी लागातार निगरानी करते रहें.
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