
सर्दियों के मौसम में तुलसी का पौधा बहुत ज्यादा सेंसटिव हो जाता है. दिसंबर और जनवरी में ठंडी हवाएं, धुंध और कम तापमान इसकी ग्रोथ पर सीधा असर डालते हैं. कई बार पौधे में पत्तियां झड़ने लगती हैं, रंग फीका पड़ जाता है या तने सूखने लगते हैं. पौधे की खराब हालत देखकर घबराने से अच्छा है कि सर्दियों में आप उन खास तरीकों को फॉलो करें जिससे आपका पौधा हमेशा हरा-भरा रह सकता है. आइए आपको बताते हैं कि कैसे थोड़ी सी देखभाल और सही तरीके आपके तुलसी के पौधे को पूरी सर्दी में हरा-भरा बनाए रख सकते हैं.
दिसंबर-जनवरी की ठंड में तुलसी का पौधा जल्दी कमजोर हो जाता है. जानें कैसे सही धूप, पानी, मिट्टी और सुरक्षा के उपाय अपनाकर आप अपनी तुलसी को पूरी सर्दी हरा-भरा रख सकते हैं. हम आपको ऐसे 5 टिप्स बताते हैं जिसके बाद आपका तुलसी का पौधा ठंड में भी हरा-भरा रहेगा.
सर्दी में सबसे बड़ी समस्या तेज ठंड और पाला है. तुलसी का पौधा 10 डिग्री से कम तापमान में जल्दी कमजोर होने लगता है. इसलिए कोशिश करें कि रात के समय पौधे को घर के अंदर, गैलरी या किसी ढंके हुए स्थान पर रखें. दिन में धूप मिलने के बाद ही फिर से बाहर रखें. अगर गमला बड़ा है और उठाना मुश्किल है तो पौधे को बोरी, गत्ते या प्लास्टिक की शीट से ढककर पाला लगने से बचाया जा सकता है.
तुलसी को ताजी और हल्की धूप बहुत पसंद है. दिसंबर-जनवरी में दिन छोटे और धूप कम होती है, इसलिए कोशिश करें कि पौधा कम से कम 3 से 4 घंटे तक धूप जरूर पाए. अगर धूप कम पड़ती है, तो पौधा पीला पड़ने लगता है और पत्तियां छोटी रह जाती हैं.
सर्दियों में तुलसी को अधिक पानी देना बिल्कुल नहीं चाहिए. मिट्टी में पहले से ही नमी रहती है और ज्यादा पानी देने पर जड़ें सड़ सकती हैं. इसलिए पानी तभी दें जब मिट्टी ऊपर से 1 इंच तक सूखी महसूस हो. सुबह के समय हल्का-सा पानी देना सबसे अच्छा रहता है. रात में पानी बिल्कुल न दें, क्योंकि ठंडी मिट्टी पौधे को और कमजोर कर देती है.
सर्दियों में मिट्टी सख्त हो जाती है, जिससे जड़ों को हवा नहीं मिलती. हर 10 से 12 दिन में गमले की मिट्टी को हल्के हाथों से थोड़ा सा ढीला कर दें. इससे जड़ों को ऑक्सीजन मिलती है और पौधे की ग्रोथ बनी रहती है. सर्दियों में तुलसी को ज्यादा खाद की जरूरत नहीं होती. अगर पौधा कमजोर दिखे, तो महीने में एक बार घर की बनी खाद जैसे कि गोमूत्र का बहुत हल्का घोल, वर्मी कम्पोस्ट की थोड़ी मात्रा, गुनगुने पानी में घुला हुआ सरसोंखली पानी (बहुत हल्का) का प्रयोग किया जा सकता है. इस बात का ध्यान रखें कि किसी भी खाद का उपयोग अधिक मात्रा में न करें.
ठंड में पौधे पर धूल और नमी जम जाती है जिससे फंगस का खतरा बढ़ जाता है. हर सप्ताह थोड़े पानी से पत्तियों को हल्के हाथों से साफ कर दें. इससे पौधा ताजा और स्वस्थ रहता है. मुरझाई पत्तियों और सूखे तनों को काटते रहें और जो पत्तियां पीली या सूखी हों, उन्हें तुरंत हटा दें. सूखे तनों को ऊपर से थोड़ा काटने पर नए और हरे-भरे पत्तों की ग्रोथ फिर से शुरू हो जाती है. साथ ही सर्दियों में खिड़कियां बंद रहती हैं, जिससे पौधे के आसपास फंगस का खतरा बढ़ जाता है. दिन में 1–2 घंटे के लिए पौधे को ताजी हवा मिलने दें.
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