यूपी के ऊर्जा विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार जीआईएस में 33 लाख 50 हजार करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों पर एमओयू किया गया है. इनमें सर्वाधिक निवेश अक्षय ऊर्जा क्षेत्र को मिला है. निवेश संबंधी राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक प्रस्तावित निवेश का 15 प्रतिशत अक्षय ऊर्जा क्षेत्र से है. इस क्षेत्र में कुल 4,47,310 करोड़ रुपये निवेश के 144 प्रस्तावों पर एमओयू हुआ है. इस क्षेत्र में प्रस्तावित निवेश करने वाली कंपनियों का दावा है कि इस निवेश से प्रदेश में रोजगार के 1,11,334 अवसर पैदा होंगे. इससे उत्साहित योगी सरकार ने अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में छप्परफाड़ निवेश के प्रस्तावों को लागू करने की कार्ययोजना को अंतिम रूप दे दिया है.
प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने कहा कि अक्षय ऊर्जा भावी संभावनाओं वाला क्षेत्र है. इसमें निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के साथ निवेश के करार हुए हैं. इस क्षेत्र में भारतीय कंपनी एबीसी क्लीनटेक ने 50 हजार करोड़ रुपये और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनटीपीसी ने 42,280 करोड़ रुपये के निवेश के प्रस्ताव का करार किया है. एबीसी क्लीनटेक मिर्जापुर में और एनटीपीसी सोनभद्र, प्रयागराज और झांसी में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश करेगी.
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इसके अलावा जर्मनी की कंपनी यूनीकॉर्न एनर्जी ने लखनऊ और जौनपुर में 41,500 करोड़ रुपये का निवेश करने का करार किया है. भारतीय कंपनियाें जीएमआर ग्रुप, हिंदुजा ग्रुप और आरजी स्ट्रेटजीस ने भी अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश करने के करार किए हैं. शर्मा ने कहा कि प्रदेश के अब तक पिछड़े इलाकों में शुमार रहे क्षेत्रों में अक्षय ऊर्जा क्षेत्र की इकाईयां लगने से ये इलाके विकास की मुख्य धारा से जुड़ेंगे.
शर्मा ने कहा कि अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश होने से प्रदेश के पिछड़े इलाके सर्वाधिक लाभान्वित होंगे. साथ ही निवेश में आये प्रोजेक्ट जैसे-जैसे धरातल पर उतरेंगे उनसे युवा वर्ग को रोजगार मिलेगा. किसानों की आये में वृद्धि होगी. कुशल, अर्द्धकुशल व अकुशल श्रमिकों को भी अपने आसपास ही काम मिलेगा. इससे उन्हें अब अपनी जीविका की तालाश में अपने घर से दूर नहीं जाना होगा. शर्मा ने बताया कि इस निवेश से पश्चिमी यूपी में पैदा होने वाले गन्ने के अपशिष्ट से बननी वाली बायो प्लेटस व बायोगैस के निर्माण हेतु प्रोजेक्ट लगाये जायेंगे. इससे गन्ना किसानों की आय में वृद्धि होगी. तराई क्षेत्र में मिलने वाले हाईबायोमास पोटेन्शियल से बायोगैस का निर्माण होगा.
शर्मा ने कहा अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश का लाभ प्रदेश के अन्य इलाकों को भी होगा. उन्होंने तमाम कंपनियों के निवेश प्रस्तावों के हवाले से बताया कि मध्य क्षेत्र में अमोनिया, यूरिया तथा ग्रीन हाइड्रोजन के निर्माण की इकाईयां लगना संभावित है. इसके अलावा इस इलाके में नहरों पर जल परियोजनाएं भी संचालित की जा सकेगी.
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प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र में कृषि अपशिष्ट से बायोगैस का निर्माण एवं वितरण की इकाईयां लगने की उम्मीद है. इसके अलावा पम्पड हाइड्रो परियोजनाएं लगायी जाएंगी. इसी प्रकार बुन्देलखण्ड क्षेत्र में उच्च सौर विकिरण क्षमता होने से वहां के गैर कृषि क्षेत्रों में सौर ऊर्जा संयंत्र लगाये जायेंगे. इससे प्रदेश में ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर बनाने में भी मदद मिलेगी. यह कॉरीडोर हरित ऊर्जा के नेटवर्क से प्रदेश के सभी इलाकों को जोड़ेगा. हालांकि उन्होंने अभी इस कॉरीडोर के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी.
शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी के निर्देश पर ऊर्जा एवं नगर विकास विभाग में आये निवेश को धरातल पर शीघ्र उतारने के लिए निवेशकों को साथ लेकर एक कार्ययोजना बनाई जा रही है. इसके अलावा निवेश के रास्ते में आने वाली तकनीकी बाधाओं एवं अन्य समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश दिए गए हैं. ये अधकिारी निवेशकों को हरसंभव सहायता मुहैया कराएंगे. जिससे निवेश को जमीनी स्तर पर यथाशीघ्र उतारा जा सके.
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