थ्रेशर में फीडिंग और ड्रम का क्या काम है? गेहूं की मड़ाई में दोनों कैसे करते हैं मदद?

थ्रेशर में फीडिंग और ड्रम का क्या काम है? गेहूं की मड़ाई में दोनों कैसे करते हैं मदद?

छोटे आकार के थ्रेशरों में सिलेंडर के बाहर ड्रम कवर में लोहे की चादर का बना फीडर पैन लगा होता है. इस पर बंडल को रखकर सिलेंडर में पहुंचाया जाता है. बड़े आकार के थ्रेशरों में बंडलों को फीड कैरियर पर रखा जाता है. फीड कैरियर बंड़लों को मड़ाई करने वाली इकाई में ले जाता है.

Thresher Machine
प्राची वत्स
  • Noida,
  • May 10, 2024,
  • Updated May 10, 2024, 1:30 PM IST

बालियों या फलियों से दानों को अलग करने की प्रक्रिया को मेडाई कहते हैं. और इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए जिस मशीन का इस्तेमाल किया जाता है उसे थ्रेशर मशीन कहते हैं. यह मशीन मुख्य रूप से फसल की बालियों को पीटकर/ तोड़कर/ रगड़कर पौधे से दाने निकालने का काम करता है. सामान्यतः अनाज में नमी की मात्रा 15-17 प्रतिशत तक कम हो जाने पर मड़ाई की जाती है. यदि समय पर थ्रेसिंग नहीं की गई तो किसानों द्वारा की गई सारी मेहनत और फसल के लिए दी गई लागत बर्बाद हो जाती है. पारंपरिक विधि में मानव थ्रेशिंग के लिए 150-230 व्यक्ति/घंटा/हेक्टेयर की आवश्यकता होती है. इसमें बहुत खर्च होता है. पशुओं द्वारा मड़ाई करने की पारंपरिक विधि बहुत धीमी है और उपज कम होती है.

क्या है थ्रेसर मशीन का काम

अनाज की हानि के कारण उत्पादन कम होने के साथ-साथ संचालन लागत भी अधिक होती है. इन कठिनाइयों पर काबू पाने में गेहूं थ्रेसर बहुत फायदेमंद साबित हुए हैं. आपको बता दें थ्रेशर के सभी भाग लोहे के बने पर लगे होते हैं. सभी भाग का अलग-अलग काम होता है. इसी प्रकार थ्रेशर में फीडिंग और ड्रम भी लगे होते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं क्या है इसका काम और मड़ाई में दोनों कैसे करते हैं मदद.

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क्या है फीडिंग और ड्रम का काम

छोटे आकार के थ्रेशरों में सिलेंडर के बाहर ड्रम कवर में लोहे की चादर का बना फीडर पैन लगा होता है. इस पर बंडल को रखकर सिलेंडर में पहुंचाया जाता है. बड़े आकार के थ्रेशरों में बंडलों को फीड कैरियर पर रखा जाता है. फीड कैरियर बंड़लों को मड़ाई करने वाली इकाई में ले जाता है. यदि बंडल बंधे होते हैं, तो मड़ाई में पहुंचने से पहले बंडलों को खोलने के लिये गांठ काटने वाले भाग उन्हें काट देते हैं. बालियों की मात्रा को नियंत्रित करने के लिये एक विशेष यंत्रा लगा होता है, जो गवर्नर  कहलाता है. यह  गवर्नर  गति  को नियंत्रित करता है. बंडलों को नीचे गिरने से रोकने के लिये पफीडिंग इकाई के साथ बराबर में तख्ते लगे होते हैं. ये बालियों को नीचे गिरने से रोकते हैं. फीड कैरियर द्वारा डंठलों/बालियों को फीडर पैन तक पहुंचाया जाता  है, जहां से वे बेलन के अन्दर पहुंच जाते हैं.

इन बातों का रखें विशेष ध्यान

  • फसल की मड़ाई के लिए किसानों को थ्रेशर को समतल जमीन पर या तो जमीन में खोदकर या खूंटे की सहायता से रखना चाहिए. मशीन की दिशा बहती हवा की दिशा के तरफ होनी चाहिए.
  • गेहूं के बंडलों को थ्रेशर में समान रूप से डालना चाहिए ताकि मशीन की कार्य क्षमता सही बनी रहे. मशीन में गेहूं के बंडल डालते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि फसल के साथ कोई लकड़ी या लोहे का टुकड़ा न हो.
  • मशीन के छेदों की समय-समय पर जांच और सफाई करनी चाहिए. बेयरिंग और अन्य कार्यशील भागों पर ग्रीस या तेल लगाना चाहिए ताकि वे चिकने रहें.
  • फसल की गहाई करते समय या मशीन में डालने से पहले यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि फसल पूरी तरह सूखी हो ताकि मड़ाई और छनाई का काम आसान हो जाए.
  • भोजन खिलाते समय, संचालक को अपने हाथ भोजन कुंड में बहुत अंदर तक नहीं डालने चाहिए.
  • 8-10 घंटे तक लगातार काम करने के बाद मशीन को दोबारा इस्तेमाल करने से पहले थोड़ा आराम देना चाहिए.
  • जब थ्रेसिंग का कार्य समाप्त हो जाए तो मशीन को कुछ देर तक खाली अवस्था में चलाते रहना चाहिए ताकि उसके अंदर जो भी अवशेष बचा हो वह साफ हो जाए.
  • यदि थ्रेशर में अनाज टूट रहा हो तो ऐसी स्थिति में सिलेंडर के प्रति मिनट चक्करों की संख्या कम कर देनी चाहिए और अवतल या सिलेंडर के बीच की दूरी बढ़ा देनी चाहिए.
  • थिसिंग कार्य पूरा हो जाने के बाद जब मशीन का उपयोग नहीं करना हो तो उसकी सभी बेल्टें हटा देनी चाहिए और मशीन को किसी ढके हुए स्थान पर रख देना चाहिए.
  • यदि सिलेंडर का स्पाइक या हथौड़ा घिस जाए तो उसे तुरंत बदल देना चाहिए.

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