किसानों को खेती संबंधी समस्याओं या जानकारियों को अब चुटकी में बताया जा सकेगा. दरअसल, कृषि मंत्रालय की ओर से संचालित 17 किसान कॉल सेंटर में से 6 में एआई तकनीक से लैस चैटबॉट 'कृषि साथी' का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसे वाधवानी एआई (Wadhwani AI) ने विकसित करने में मदद की है. इसकी मदद से किसान के कॉल करते ही उसकी आइडेंटिटी, लोकेशन, मौसम और इलाके में होने वाली सर्वाधिक फसल को एनालाइज कर तेज और सटीक जवाब देने में मदद मिलेगी. इससे किसानों को जवाब पाने के लिए फोन पर कई मिनट तक इंतजार करने की समस्या से मुक्ति मिल जाएगी. 2.5 लाख से ज्यादा किसानों के सवालों को हल किया जा चुका है. चैटबॉट में मंडियों, उपज दाम और ताजा मौसम और सरकारी स्कीम्स की सटीक जानकारी की सुविधा से लैस किया जा रहा है.
वाधवानी एआई (Wadhwani AI) कृषि निदेशक जेपी त्रिपाठी ने 'किसान तक' से विशेष बातचीत में कहा कि वह केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय के साथ मिलकर कृषि में तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए 5 सॉल्यूशन पर काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि पीएम किसान सम्मान निधि के चैटबॉट को उनकी कंपनी ने विकसित करने में मदद की है. जबकि, एनपीएसएस राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली और इसे एनसीआईपीएम द्वारा बनाया गया है और हमने इसमें अपने एआई मॉडल साझा करके योगदान दिया है. अब वह सरकार के किसान कॉल सेंटर पर किसानों के सवालों का सटीक और तेज जवाब देने के लिए चैटबॉट 'कृषि साथी' को एआई तकनीक के जरिए और विकसित कर रहे हैं.
जेपी त्रिपाठी ने बताया कि केंद्र सरकार के जरिए किसानों की मदद के लिए देशभर में करीब 17 किसान कॉल सेंटर चलाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि कॉल सेंटर्स में किसानों के सवालों के जवाब देने के लिए जो एडवाइजर्स हैं, उन्हें कृषि की अच्छी जानकारी होती है. लेकिन, कई बार यह प्रक्रिया काफी लंबी चलती है. किसान कॉल आने, उसके सवाल को समझने और फिर सवाल को हल करने के लिए जवाब देने में कई मिनट लग जाते हैं. इस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए वाधवानी एआई ने 'कृषि साथी' चैटबॉट बनाया है.
उन्होंने बताया कि जब किसान सवाल कर रहा होगा तब कई सारी डिटेल्स पहले से ही कॉल सेंटर को मिल जाती हैं. जैसे वह कौन है, कहां से है. उदाहरण के लिए अगर किसान महाराष्ट्र के मुंबई से है तो फिर यह समझने में आसानी होगी कि वहां 4 फसलें ही होती हैं, जो इस समय बोई जा रही हैं. एआई की मदद से यह समझने में आसानी होती है कि फिर इसके आसपास के ही सवाल किसान पूछने वाला है. एआई तकनीक की मदद से हम यह भी सुविधा देंगे कि किसान को नजदीकी मंडियों और वहां फसल पर मिल रहे ताजा दाम के बारे में भी जानकारी दी जा सके. तकनीक की मदद से किसान के सवाल पर जवाब देने का समय कम करने में भी मदद मिलेगी और सॉल्यूशन भी सटीक दिया जा सकेगा.
जेपी त्रिपाठी ने बताया कि अभी फिलहाल चैटबॉट कृषि साथी में हमने आईएमडी की मौसम एडवाइजरी को जोड़ा है. आने वाले समय में इसके अंदर मंडी प्राइसिंग, क्रॉप प्रोटेक्शन और सरकारी स्कीम्स की जानकारी भी एड करने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि कृषि साथी चैटबॉट की मदद से अब तक 2.5 लाख से ज्यादा क्वेरीज को सॉल्व किया जा चुका है और आने वाले समय में इसका विस्तार होना है. उन्होंने कहा कि 'कृषि साथी' चैटबॉट को 6 किसान कॉल सेंटर्स में स्टैब्लिश कर दिया गया है, जबकि बाकी 11 में जल्द ही यह सुविधा दी जाएगी.