भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां पर किसान खेती के साथ-साथ मछली पालन भी करते हैं. इससे उन्हें अच्छी कमाई हो जाती है. बिहार, पश्चिम बंगाल, उडिशा और झारखंड सहित कई राज्यों में किसान खेतों में तालाब बनाकर बड़े स्तर पर मछली पालन करते हैं. खास बात यह कि इन राज्यों में सरकार की ओर से मछली पालन को बढ़ावा भी दिया जा रहा है. इसके लिए किसानों को सब्सिडी भी दी जाती है. लेकिन देश में कई ऐसे भी किसान हैं, जिनके पास तालाब बनवाने के लिए जमीन नहीं है. ऐसे में वे मछली पालन से वंचित रह जाते हैं. पर अब उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है. वे घर के अंदर भी RAS तकनी से मछली पालन कर सकते हैं.
रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम को RAS तकनीक कहा जाता है. इस तकनीक की मदद से किसान अपने घर के अंदर ही कम जगह में मछली पालन शुरू कर सकते हैं. साथ ही 8 से 10 गुना ज्यादा उत्पादन भी हासिल कर सकते हैं. इसके लिए आपको घर के अंदर या छत पर आयताकार या वृताकार टैंक बनवाना होगा. फिर आप इन टैंकों में मछली पालन का कारोबार शुरू कर सकते हैं. RAS तकनीक की खासियत यह होती है कि इसमें मछली पालन में दूषित हुए पानी को बॉयो फिल्टर टैंक में डाला जाता है. इसके बाद फिर इसे फिल्टर करके वापस मछली वाले टैंक में डाल दिया जाता है. इससे पानी की बर्बादी भी नहीं होती है.
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ऐसे भारत में परंपरागत रूप से मछली पालन करने पर प्रति हेक्टेयर दो से पांच मीट्रिक टन मछली का उत्पादन होता है. वहीं, RAS तकनीक से इसका बिजनेस शुरू करने पर 1/8 हेक्टेयर क्षेत्र या 1/6 हेक्टेयर क्षेत्र से लगभग 60 मीट्रिक टन मछली का उत्पादन होता है. इस तकनीक की खासियत यह है कि आप बाजार की मांग के अनुसार मछली का उत्पादन कर सकते हैं. क्योंकि इस तकनीक में उत्पादन को स्केल और मॉड्यूल किया जा सकता है. इस आरएएस तकनीक में पानी की जरूरत भी बहुत कम होती है. आप मोटर से भी टैंक में पानी भर सकते हैं.
RAS तकनीक कई प्रकार के डिजाइन में उपलब्ध है. मछली पालक भौगोलिक, जलवायु और मौसम की स्थिति के अनुसार मछली पालन के लिए ईकाई के डिजाइन का चयन कर सकते हैं. इसमें मछलियों को रोग लगाने खतरा बहुत कम होता है. अगर रोग लग भी जाता है तो उसे असानी से नियंत्रित किया जा सकता है. यही वजह है कि RAS तकनीक से मछली पालन करने पर 8 से 10 गुना मछली का उत्पादन होता है. इससे कमाई भी 8 से 10 गुना बढ़ जाती है. लेकिन तकनीक बहुत खर्चीला है. क्योंकि इसके लिए 24 घंटे बिजली की जरूरत होती है.
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