किचन में काम करते वक्त अक्सर महिलाओं की यह शिकायत होती है कि मसालों में खुशबू नहीं है. मसाले में स्वाद नहीं आ रहा है. लेकिन जल्द ही महिलाओं की यह शिकायत दूर होने वाली है. इसके लिए सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट हार्वेस्ट इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (सीफेट), लुधियाना ने एक क्रायोजेनिक ग्राइंडर तैयार किया है. इसकी मदद से मसालों की नेचुरल खुशबू और ऑयल बरकरार रहते हैं. मसाला पीसते वक्त वो उड़ता भी नहीं है. मसालों की क्वालिटी भी बनी रहती है. सीफेट के डायरेक्टर डॉ. नचिकेता कोतवाली वाले के मुताबिक, संस्थान ने मखाना प्रोसेसिंग प्लांट भी तैयार किया है. इसे लगाकर दो तरह से इनकम की जा सकती है. एक तो यह कि इस प्लांट की मदद से आप अपने मखाने तैयार कर बेचें. साथ ही फेब्रिकेशन पर दूसरे के मखाने तैयार कर के भी पैसे कमाए जा सकते हैं. इस मशीन से एक घंटे में 15 से 20 किलो मखाने तैयार किए जा सकते हैं, जबकि मौजूदा तरीके से दिनभर में 12 से 15 किलो तक ही मखाने तैयार हो पाते हैं. इस प्लांट की कीमत 10 लाख रुपये है.
सीफेट के साइंटिस्टर डॉ. संदीप ने किसान तक को बताया कि अभी तक जिस ग्राइंडर से मसाले पीसे जाते हैं वो और मसाले गर्म हो जाते हैं. जिसकी वजह से मसालों की नेचुरल खुशबू उड़ जाती है. मसालों का ऑयल जल जाता है. मसाले बेस्वाद हो जाते हैं. लेकिन हमारे संस्थान ने एक नई टेक्नोलॉजी से इस तरह का क्रायोजेनिक ग्राइंडर तैयार किया है जिसमें मसाले लिक्विड नाइट्रोजन गैस के साथ पीसे जाते हैं.
ग्राइंडर में मसालों के साथ गैस छोड़ दी जाती है. जिससे ग्राइंडर का तापमान माइनस 50 डिग्री पर आ जाता है. इस तरह से मसाला पिसने के बाद एक डक्ट की मदद से एक ऐसी जगह आ जाता है जहां मसालों में से गैस उड़ जाती है. फिर मसालों को वाइब्रेंट तकनीक की मदद से नीचे रखे बर्तन में जमा कर लिया जाता है.
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सीफेट के डॉ. संदीप ने बताया कि लिक्विड नाइट्रोजन गैस खाने की चीजों के संपर्क में आने के बाद किसी तरह का कोई भी नुकसान नहीं पहुंचाती है. यह एक इनर्ट गैस है और इनर्ट गैस खाने की चीजों के साथ रिएक्ट नहीं करती है. इसीलिए जब मसालों में लिक्विड नाइट्रोजन गैस मिलाई जाती है तो मसाले खाने पर किसी तरह का नुकसान नहीं होता है. हालांकि ग्राइंडर में ही एक जगह लिक्विड नाइट्रोजन गैस को मसालों से अलग कर लिया जाता है.
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