कृषि जीवन की गाड़ी का वह पहिया है, जिसके बिना मानव जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती है. जहां समय के साथ मानव जीवन तकनीक के साथ आगे बढ़ रहा है. तो वहीं दूसरी ओर खेती में भी तकनीक का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. इसमें कृषि ड्रोन की बेहद खास भूमिका देखी जा रही है. जहां पुरुषों के साथ महिलाएं ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग ले रही हैं. इसमें बिहार की महिलाएं भी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही हैं. वे ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग लेकर अपनी आय को बढ़ा रही हैं. एक ऐसी ही महिला बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की रहने वाली चंदा कुमारी हैं, जो कृषि ड्रोन में अपना सुनहरा भविष्य देख रही हैं.
ड्रोन दीदी चंदा कुमारी मुजफ्फरपुर जिले के बोचहा प्रखंड के मझौलिया गांव की रहने वाली हैं. खेती से उनका नाता बचपन से रहा है. लेकिन ससुराल में आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं होने के चलते जमीन होने के बाद भी खेती नहीं करती थीं. हालांकि बीते दस साल से जीविका समूह से जुड़ने के बाद जीवन का आर्थिक पहिया तेजी से आगे बढ़ रहा है. इसमें कृषि ड्रोन उनके सपनों को एक उड़ान देने का बेहद खास कड़ी बन चुका है.
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ड्रोन दीदी चंदा कुमारी कहती हैं कि उन्होंने डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर से पिछले साल ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग ली थी. ड्रोन मिलने के बाद अभी तक पांच हजार रुपये की कमाई हुई है. लेकिन खरीफ सीजन में अधिक कमाई होने की उम्मीद है क्योंकि किसान उनसे धान की फसल पर दवा छिड़काव करने के लिए एडवांस में संपर्क कर रहे हैं. लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि अभी ड्रोन के साथ एक ही बैटरी मिली है, जो दस मिनट से अधिक समय तक नहीं चल पाती है. इस वजह से बड़े किसानों के यहां दवा का छिड़काव नहीं कर पाती हैं. अगर दो से तीन एक्स्ट्रा बैटरी मिल जाए तो कृषि ड्रोन किसानों के जीवन में काफी खुशहाली ला सकता है.
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दस साल पुरानी बातों को याद करते हुए चंदा किसान तक को बताती हैं कि उनके पास दो बीघा जमीन थी. लेकिन इतना पैसा नहीं था कि उस जमीन में आज के समय के अनुसार खेती की जाए. लेकिन समूह से जुड़ने के बाद खेती करने के लिए पैसा मिला और सब्जी की खेती शुरू की. आज पांच कट्ठा जमीन में टमाटर की खेती से चालीस हजार रुपये से अधिक की कमाई कर लेती हैं. वहीं समूह से जुड़ने के बाद ही कृषि उद्यमी के तहत खाद बीज का दुकान मिली है. आज खेती, दुकान और ड्रोन से सालाना दो लाख से अधिक की कमाई हो रही है, जो आने वाले दिनों में कृषि ड्रोन की वजह से और अधिक बढ़ेगी.