
भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर) वाराणसी ने एक बड़ी पहल की है. संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा पनियारा गांव की फसलों पर ड्रोन तकनीक के माध्यम से कीटनाशक एवं पोषक तत्वों का छिड़काव किया है. संस्थान की यह पहल गांव स्तर पर आधुनिक कृषि तकनीकों के प्रचार-प्रसार की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम मानी जा रही है. आपको बता दें कि आईआईवीआर की स्थापना से लेकर अब तक कुल 138 सब्जी प्रजातियों को मंजूरी मिल चुकी है. यह संस्थान की उल्लेखनीय उपलब्धि है. साथ ही किसानों के लिए गुणवत्तापूर्ण बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करने में मदद कर रही है.
इस अवसर पर प्रधान वैज्ञानिक एवं विभागाध्यक्ष, फसल उत्पादन विभाग डॉ. अनंत बहादुर ने बताया कि पारंपरिक तरीके से जहां एक एकड़ खेत में छिड़काव करने में कई घंटे लग जाते हैं, वहीं ड्रोन के माध्यम से यह कार्य कुछ ही मिनटों में पूरा हो जाता है.
उन्होंने बताया कि इससे न केवल समय और श्रम की बचत होती है, बल्कि दवाओं का समान एवं सटीक वितरण भी सुनिश्चित होता है. परिणामस्वरूप फसलों पर रोग एवं कीट नियंत्रण अधिक प्रभावी ढंग से संभव हो पाता है तथा उत्पादकता और गुणवत्ता दोनों में सुधार होता है. डॉ. अनंत बहादुर ने आगे कहा कि ड्रोन तकनीक खेती में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है, जो किसानों की लागत घटाने और श्रम समस्या के समाधान में सहायक है.
वहीं, प्रधान वैज्ञानिक डॉ. गोविन्द पाल ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि ड्रोन से निकलने वाली दवाओं की सूक्ष्म बूंदें अत्यंत बारीकी से पूरे खेत में फैल जाती हैं. इससे फसल पर रोग और कीटों का असर शीघ्र नियंत्रित किया जा सकता है. उन्होंने इसे खेती के भविष्य के लिए अत्यंत आवश्यक और उपयोगी तकनीक बताया.
पिछले कुछ सालों खेती के क्षेत्र में भी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल बढ़ा है.ऐसे में पिछले कुछ सालों से एग्री ड्रोन को खूब प्रमोट किया जा रहा है. किसी भी फसल से अच्छी पैदावार पाने के लिए खाद-पानी उसकी पहली जरूरत होती है. कीट और रोग से सुरक्षा के लिए दवाओं का भी छिड़काव किया जाता है. अगर आप पारंपरिक तरीके की बजाय ड्रोन से खाद और कीटनाशक का इस्तेमाल करते हैं तो इसके एक-दो नहीं बल्कि कई फायदे मिलते हैं.
IIVR के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अनंत बहादुर ने बताया कि आधुनिक एग्री डोन बहुत ही कम समय में आपका काम पूरा करते हैं. आमतौर पर एक बार में ड्रोन में लगभग 10 लीटर खाद या कीटनाशक को लिक्विड फॉर्म में भरा जाता है. उन्होंने बताया कि लगभग 6 मिनट में ही आप एक एकड़ के खेत में दवाओं का छिड़काव कर लेंगे. जबकि स्प्रेयर मशीन से यही काम करने में घंटों का समय लग जाता है.
डॉ. अनंत का कहना हैं कि स्प्रेयर मशीन से खाद-कीटनाशक का छिड़काव करने वाले लोग जानते होंगे कि इसे कंधे पर टांग कर स्प्रे करना बहुत मुश्किल हो जाता है. एक तो भारी-भरकम मशीन ऊपर से पूरे खेत में चलना मेहनत भरा काम होता है. आप एग्री ड्रोन की मदद से एक जगह खड़े रहकर केवल रिमोट के माध्यम से ये काम चुटकियों में पूरा कर लेंगे.
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