Economic Survey: कृष‍ि और सहकार‍िता म‍िलकर मजबूत करेंगे ग्रामीण भारत, AI से बदलेगी क‍िसानों की ज‍िंदगी 

Economic Survey: कृष‍ि और सहकार‍िता म‍िलकर मजबूत करेंगे ग्रामीण भारत, AI से बदलेगी क‍िसानों की ज‍िंदगी 

इस समय भारत कृषि क्षेत्र में एक नए युग की ओर बढ़ रहा है, जहां सहकारी संस्थाएं इसकी रीढ़ होंगी और आर्ट‍िफि‍श‍ियल इंटेलीजेंस (AI) इसका ईंधन होगी. बहरहाल, इस समय कृषि आय में सालाना 5.23 फीसदी की बढ़ोतरी हो रही है. अमूल, इफको और कृभको जैसी सहकारी संस्थाओं ने यह साब‍ित किया है कि किसान-नेतृत्व वाले संगठन ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बना सकते हैं. 

एग्रीकल्चर और सहकार‍िता मामलों के व‍िशेषज्ञ ब‍िनोद आनंद. एग्रीकल्चर और सहकार‍िता मामलों के व‍िशेषज्ञ ब‍िनोद आनंद.
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Jan 31, 2025,
  • Updated Jan 31, 2025, 5:53 PM IST
  • ब‍िनोद आनंद

साल 2025 में प्रवेश करते ही भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को तेजी से बदलने का काम शुरू हुआ है. आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25  यह दर्शाता है कि भारत की राष्ट्रीय आय का 46 फीसदी आज भी ग्रामीण भारत और कृषि क्षेत्र से आता है. देश के 85 फीसदी किसान छोटे और सीमांत श्रेणी के हैं, जिनके सामने मूल्य अस्थिरता, जलवायु परिवर्तन और बाजार की सीमित पहुंच जैसी चुनौतियां हैं. अब समय आ गया है कि सब्सिडी और मौसमी राहत से आगे बढ़कर किसानों, सहकारी संस्थाओं और कृषि व्यापार नेटवर्क को एक संगठित आर्थिक पारिस्थितिकी तंत्र में बदला जाए, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत @2047 विजन से जुड़ें.  

इस समय भारत कृषि क्षेत्र में एक नए युग की ओर बढ़ रहा है, जहां सहकारी संस्थाएं इसकी रीढ़ होंगी और आर्ट‍िफि‍श‍ियल इंटेलीजेंस (AI) इसका ईंधन होगी. बहरहाल, इस समय कृषि आय में सालाना 5.23 फीसदी की बढ़ोतरी हो रही है. इसके और बढ़ाने के ल‍िए सहकार‍िता क्षेत्र को मजबूत करना होगा, ज‍िस पर सरकार बहुत तेजी से काम कर रही है. भारत में सहकारिता केवल वित्तीय संस्थाएं भर नहीं है बल्कि एक आंदोलन और सामूहिक चेतना है. अमूल, इफको और कृभको जैसी सहकारी संस्थाओं ने यह साब‍ित किया है कि किसान-नेतृत्व वाले संगठन न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बना सकते हैं, बल्कि वैश्विक व्यापार में भी प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं.   

ग्रामीण उद्योगों में संभावनाएं 

आर्थिक सर्वेक्षण-2024-25 के अनुसार, सरकार ने सहकारी समितियों को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की हैं. अब तक 63,000 से अधिक प्राथमिक कृषि ऋण समितिया (PACS) डिजिटल हो चुके हैं, जिससे किसानों को लोन और बाजार की सुविधाएं तेजी से मिल रही हैं. एग्रीकल्चर लोन का वितरण 20 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है. सहकारी समितियों में 14 फीसदी की वृद्धि देखी गई है. भारत के खाद्य प्रसंस्करण निर्यात में र‍िकॉर्ड 23 फीसदी की वृद्धि हुई है, जो बताता है क‍ि ग्रामीण उद्योगों में बहुत संभावनाएं हैं.

कोऑपरेट‍िव कमोड‍िटी जोन की वकालत 

हालांक‍ि, केवल यहीं रुकना सही नहीं होगा. अब जरूरत है पैक्स को और बड़ा करने की. इन्हें कोऑपरेट‍िव कमोड‍िटी जोन में बदलने की भी जरूरत है. ताक‍ि किसान केवल फसल उगाने तक सीमित न रहें, बल्कि वो प्रोसेस‍िंग, पैकेजिंग और व्यापार में भी भागीदार बने. कल्पना कीजिए कि मध्य प्रदेश के दाल उत्पादक, केरल के मसाला किसान और राजस्थान के बाजरा किसानसीधे वैश्विक खरीदारों से जुड़ सकें. ब‍िचौलियों की भूमिका समाप्त हो जाए. यही कोऑपरेट‍िव कमोड‍िटी जोन की ताकत होगी. यही हमारा भविष्य होना चाहिए.  

कृष‍ि क्षेत्र में बड़ा बदलाव करेगा AI

भारत में कृषि व्यापार लंबे समय से बिचौलियों, अस्थिर बाजार मूल्यों और पारंपरिक व्यापार प्रणालियों पर निर्भर रहा है. मंडी प्रणाली किसानों के लिए एक आवश्यक लेकिन कभी-कभी नुकसानदेह प्रणाली भी रही है. लेकिन अब आर्ट‍िफि‍श‍ियल इंटेलीजेंस यानी AI इस व्यवस्था को बदलने वाला है. अब ऐसा संभव हो गया है कि तेलंगाना का एक मिर्च उत्पादक अपने उत्पाद की वैश्विक मांग का सटीक विश्लेषण कर सकता है. गुजरात की एक सहकारी समिति यह भविष्यवाणी कर सकती है कि मूंगफली को बेचने का सबसे अच्छा समय कब होगा. 

इसी तर‍ह बिहार का एक PACS अपने चावल उत्पादन को सीधे अफ्रीकी खरीदारों को बेच सकता है. आर्थिक सर्वेक्षण-2024-25 के अनुसार, AI-आधारित ई-मार्केट्स ने किसानों की आमदनी में 22 फीसदी तक की वृद्धि की है.  देश की 1260 मंडियां ई-नाम (e-NAM) प्लेटफार्म से जुड़ चुकी हैं, और इनका कुल व्यापार 2.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है.  

जलवायु-अनुकूल कृषि कार्यक्रम 

विकास अगर सतत नहीं है, तो उसका कोई मतलब नहीं. आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में  पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ESG) सिद्धांतों को कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण अंग बताया गया है. AI अब मृदा स्वास्थ्य, जल उपयोगऔर कार्बन उत्सर्जन पर नजर रखने में सक्षम है, जिससे किसान जलवायु-अनुकूल कृषि को अपनाने में सक्षम हो रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकसित भारत @2047 विजन में जैव-ऊर्जा आधारित विकास को एक केंद्रीय भूमिका दी है. सरकार इथेनॉल उत्पादन, कंप्रेस्ड बायोगैस (CBG), और जैविक उर्वरकों को बढ़ावा दे रही है. शुगरकेन सहकारी समितियां अब भारत के इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम  में योगदान दे रही हैं, जिससे ईंधन की विदेशी निर्भरता घट रही है. CBG प्लांटों से कृषि कचरे को ईंधन में बदला जा रहा है जिससे किसानों को अतिरिक्त आय का स्रोत मिल रहा है.

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 (लेखक वर्ल्ड कोऑपरेशन इकोनॉम‍िक फोरम के कार्यकारी अध्यक्ष हैं)

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