अब नकली अल्‍फांसो की खैर नहीं! यूआईडी कोड के साथ बाजार में उतरा देवगढ़ हापुस आम  

अब नकली अल्‍फांसो की खैर नहीं! यूआईडी कोड के साथ बाजार में उतरा देवगढ़ हापुस आम  

महाराष्‍ट्र के देवगढ़ से आने वाले अल्‍फांसो यानी हापुस आम दुनिया भर में मशहूर हैं. यहां के अल्‍फांसो को जीआई टैग भी मिला हुआ है. वहीं यह बात भी सच है कि इस समय बाजार में 80 फीसदी से ज्‍यादा हापुस आम ऐसे हैं जिनके बारे में दावा किया जाता है कि ये देवगढ़ के हैं. जबकि ये आम नकली हापुस हैं.

अब ग्राहक खाएंगे सिर्फ असली हापुस अब ग्राहक खाएंगे सिर्फ असली हापुस
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Apr 02, 2025,
  • Updated Apr 02, 2025, 8:23 PM IST

आम का सीजन आ चुका है और बाजार में कुछ खास आम जैसे अल्‍फांसो नजर आने लगे हैं. जब बात अल्‍फांसो की होती है तो महाराष्‍ट्र के देवगढ़ से आने वाले अल्‍फांसो यानी हापुस आम दुनिया भर में मशहूर हैं. यहां के अल्‍फांसो को जीआई टैग भी मिला हुआ है. वहीं यह बात भी सच है कि इस समय बाजार में 80 फीसदी से ज्‍यादा हापुस आम ऐसे हैं जिनके बारे में दावा किया जाता है कि ये देवगढ़ के हैं. ऐसे में देवगढ़ तालुका आम उत्पादक सहकारी समिति लिमिटेड ने देवगढ़ हापुस आमों के लिए छेड़छाड़-प्रूफ यूआईडी सील (टीपी सील) सिस्‍टम को लागू करने की मंजूरी दी है. 

ताकि ग्राहक को मिले सिर्फ असली आम 

समिति की तरफ से कहा गया है कि यह कदम देवगढ़ अल्फांसो (हापुस) आमों की प्रामाणिकता की रक्षा के लिए उठाया गया है.  देवगढ़ तालुका आम उत्पादक सहकारी समिति लिमिटेड अल्फांसो जीआई टैग के रजिस्‍टर्ड प्रोपराइटर हैं. इस पहल का मकसद देवगढ़ हापुस के तौर पर लगातार बाजार में आ रहे नकली आमों की बिक्री को खत्म करना है. साथ ही यह सुनिश्चित करना है कि उपभोक्ताओं को देवगढ़ से सिर्फ देवगढ़ अल्फांसो या देवगढ़ हापुस के तौर पर ओरिजिनल जीआई सर्टिफाइड आम ही हासिल हों. 

80 फीसदी से ज्‍यादा नकली हापुस 

देवगढ़ तालुका आम उत्पादक सहकारी समिति लिमिटेड के बोर्ड सदस्य ओमकार सप्रे के अनुसार, देवगढ़ अल्फांसो ने एक सदी से भी ज्‍यादा समय से अपने लिए एक नाम बनाया है. साथ ही अपनी खास सुगंध और स्वाद के लिए बाजार में प्रीमियम आम का दर्जा हासिल किया है. सप्रे के अनुसार आज देवगढ़ हापुस के तौर में बेचे जा रहे 80 फीसदी ज्‍यादा आम वास्तव में देवगढ़ से नहीं हैं. इसलिए, देवगढ़ तालुका आम उत्पादक सहकारी समिति लिमिटेड, अल्फांसो जीआई के रजिस्‍टर्ड प्रोपराइटर के तौर पर जियोग्राफिकल इंडीकेशन एक्‍ट 1999 के नियमों के तहत सोसायटी को उपलब्ध अधिकारों और शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह कदम उठाने के लिए मजबूर हुई. 

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सोसायटी ने सख्त आईडी सिस्‍टम शुरू करने के लिए पेटेंटेड यूआईडी टेक्निक में विशेषज्ञता रखने वाली मुंबई स्थित कंपनी सन सॉल्यूशंस के साथ पार्टनरशिप की है. सोसायटी ने देवगढ़ के हर जीआई-रजिस्‍टर्ड किसान को उनके पेड़ों की संख्या और उनकी उत्पादन क्षमता के बराबर टीपी सील यूआईडी जारी की है. किसानों से अपेक्षा की जाती है कि वे बाजार में भेजे जाने वाले अपने हर आम पर ये यूआईडी लगाएं. 

कैसे काम करेगा UID कोड 

हर स्टिकर में एक असाधारण अल्‍फान्यूमेरिक कोड है जो दो हिस्‍सों में बंटा होगा, एक स्टिकर के ऊपर और दूसरा स्टिकर के नीचे. कंज्‍यूमर मैसेजिंग ऐप के जरिए स्टिकर की तस्वीर भेजकर अपने आमों की प्रामाणिकता की पुष्टि कर सकते हैं. सिस्टम स्टिकर को पढ़ता है और यूजर से पीछे की ओर मौजूद नंबर का दूसरा भाग लिखने के लिए कहता है. स्टिकर हटाने पर अपने आप दो भागों में बंट जाता है.

अगर पूरा कोड सिस्टम में टीपी सील यूआईडी से मैच होता है तो उपभोक्ता को ऑटोमेटेड रिएक्‍शन मिलता है. इसमें किसान या वेंडर का नाम, मूल गांव और जीआई रजिस्‍ट्रेशन नंबर जैसी जानकारियां होती हैं. सप्रे को उम्‍मीद है कि सत्यापन से उपभोक्ताओं का विश्वास बढ़ेगा और अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर मशहूर देवगढ़ अल्फांसो आम की प्रतिष्‍ठा भी सुरक्षित रहेगी. 

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