अब नारियल की मलाई से बनेंगे कपड़े, चमड़े के सामान बनाने में भी होगा इस्तेमाल

अब नारियल की मलाई से बनेंगे कपड़े, चमड़े के सामान बनाने में भी होगा इस्तेमाल

आजकल बनाना फाइबर शब्द बहुत मशहूर है. बनाना फाइबर का अर्थ है केले के तने से बना फाइबर. 'बिजनेसलाइन' की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मलाई से फाइबर बनाने का काम केरल की फैशन डिजाइनर जुजाना गोंबोसोवा ने किया है.

अब नारियल की मलाई से बनेंगे कपड़ेअब नारियल की मलाई से बनेंगे कपड़े
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Oct 28, 2023,
  • Updated Oct 28, 2023, 6:49 PM IST

आजकल बनाना फाइबर शब्द बहुत मशहूर है. बनाना फाइबर का अर्थ है केले के तने से बना फाइबर. चौंकाने वाली बात ये है कि अब इस तने से निकले फाइबर से कई तरह के फैशन प्रोडक्ट बनाए जा रहे हैं. यहां तक कि इसके रेशे से कपड़े भी बनाए जा रहे हैं. इसी कड़ी में केरल के एक रिसर्चर ने नारियल की मलाई से ऐसा फाइबर बनाया है जो जानवरों के चमड़े की जगह ले सकता है और उससे कई तरह के फैशनेबल प्रोडक्ट बनाए जा सकते हैं. इस नई रिसर्च में नारियल के पानी को फर्मेंट कर एक नए तरह का मटीरियल बनाया गया है जो फाइबर का काम करेगा.

'बिजनेसलाइन' की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मलाई से फाइबर बनाने का काम केरल की फैशन डिजाइनर जुजाना गोंबोसोवा ने किया है. जुजाना पिछले पांच साल से केरल में रहती हैं और नारियल प्रोसेसिंग यूनिट का काम करती हैं. इसके लिए उन्होंने अपना स्टार्टअप मलाई बायोमटीरियल्स डिजाइन प्राइवेट लिमिटेड शुरू किया है. उनका यह स्टार्टअप दक्षिण भारत के अलग-अलग स्थानों से बेकार नारियल पानी इकट्ठा करता है और उससे सेल्युलोज बनाया जाता है. फिर इसी सेल्युलोज से फाइबर बनता है.

नारियल पानी से बनी मलाई होते हैं कई रंग

जुजाना गोंबोसोवा कहती हैं कि हर दिन 4,000 लीटर नारियल पानी से 150-170 किलो सेल्युलोज बनाया जाता है. फिर इस सेल्युलोज को रिफाइन कर कई तरह के प्रोडक्ट बनाए जाते हैं. नारियल पानी से बनी मलाई कई अलग-अलग रंगों में होती है जिसे प्राकृतिक डाई से तैयार किया जाता है. यह मलाई शीट यानी कि चादर के रूप में तैयार की जाती है.

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केरल की जलवायु मलाई फर्मेंट के लिए उपयुक्त

हालांकि इस मलाई को बनाने में नारियल पानी के अलावा केले के तने से निकले फाइबर, भांग और सिसल का भी प्रयोग होता है. जब मलाई तैयार होती है तो वह नरम, टिकाऊ और वाटर प्रूफ होती है. जुजाना कहती हैं कि उन्होंने मलाई बनाने का काम पहले कर्नाटक में शुरू किया था, लेकिन 2018 में केरल आ गईं क्योंकि वहां का मौसम, जलवायु और तापमान मलाई को फर्मेंट करने के लिए उपयुक्त हैं.

जानवरों के चमड़े की जगह मलाई से बनेगा प्रोडक्ट

जुजाना और उनके स्टार्टअप ने अब अधिक मात्रा में सेल्युलोज और फाइबर बनाना शुरू कर दिया है. ऐसे में उनकी प्लानिंग अब फैशन दुनिया में उतरने की है. जुजाना का स्टार्टअप हर महीने मलाई से लगभग 200 वर्ग मीटर कच्चा माल बना रहा है जिसकी कीमत 2,000 से 4,000 वर्ग मीटर के आसपास है. दुनिया में आजकल नेचुरल प्रोडक्ट की बहुत मांग है और लोग इसका इस्तेमाल भी बढ़ा रहे हैं. ऐसे में जानवरों के चमड़े की जगह अगर मलाई से बना फाइबर प्रयोग किया जाए तो लोगों को और भी पसंद आएगा. कुछ यही सोचकर जुजाना ने अपने स्टार्टअप का काम बढ़ाया है.

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