मध्यप्रदेश में दीपावली का त्योहार किसानों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है. एक ओर जहां त्योहार से पहले कई जिलों के लाखों सोयाबीन किसानों को फसल नुकसान के लिए राहत राशि उनके बैंक खाते में भेजी गई. वहीं, दूसरी ओर प्रदेश में काले हिरण और नीलगाय से परेशान किसानों को राहत पहुंचाने का काम शुरू हो चुका है. राज्य में वन्यजीव संरक्षण और किसानों की फसलों को बचाने की दिशा में एक अभिनव पहल की गई है.
खासकर पश्चिम मध्यप्रदेश के राजस्व क्षेत्र में, काले हिरण से खेतों को नुकसान से बचाने के लिए दक्षिण अफ्रीका की “कंजरवेशन सॉल्यूशंस” संस्था और राज्य वन विभाग की संयुक्त टीम ने शाजापुर जिले में हेलीकॉप्टर और बोमा तकनीक से इन्हें पकड़ने का अभियान शुरू किया है.
मुख्य वन संरक्षक (उज्जैन) एम.आर. बघेल ने जानकारी देते हुए बताया कि अभियान के तहत शाजापुर जिले की कालापीपल तहसील के इमलीखेड़ा गांव से अब तक 34 काले हिरणों को किसानों के खेतों से सुरक्षित रूप से पकड़कर गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में छोड़ा गया है. उन्होंने बताया कि इस पहल से किसानों की फसलों को होने वाले नुकसान में उल्लेखनीय कमी आएगी. यह पहली बार है जब देश में इस उन्नत तकनीक का उपयोग वन्यजीवों को ट्रैंक्युलाइज (बेहोश) किए बिना स्थानांतरित करने के लिए किया जा रहा है.
बोमा तकनीक दक्षिण अफ्रीका में विकसित की गई है. इसमें हेलीकॉप्टर की मदद से वन्यजीवों को धीरे-धीरे एक funnel (कीप) के आकार की बाड़ की ओर बढ़ाया जाता है. इस बाड़ को घास और हरे जाल से ढका जाता है, ताकि जानवरों को डर न लगे. इसके बाद उन्हें केंद्रीय बाड़े में सुरक्षित रूप से बंद कर वाहनों में लादकर नए आवास क्षेत्र में छोड़ा जाता है.
बघेल के अनुसार, इस तकनीक से किसी भी वन्यजीव को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. शाजापुर जिले में यह अभियान 5 नवम्बर तक चलेगा, जिसमें 400 काले हिरण और 100 नीलगायों को पकड़कर ट्रांसफर करने का लक्ष्य रखा गया है. यह पहल न केवल किसानों के लिए राहत लाएगी, बल्कि राज्य में वन्यजीव प्रबंधन के क्षेत्र में एक नया अध्याय भी जोड़ेगी.
वहीं, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बुधवार को इंदौर में कहा कि समाज और सरकार के सहयोग से मध्यप्रदेश की गौ-शालाओं को गौ-मंदिर के रूप में विकसित किया जाएगा. इन गौ-शालाओं में सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी और उनका स्वावलंबन सुनिश्चित करने के लिए हर संभव मदद दी जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा और उनकी उपज पर समर्थन मूल्य के साथ अतिरिक्त राशि भी प्रदान की जाएगी.