नदी के बहते पानी से बिजली बना रहा कॉलेज ड्रॉपआउट, 24 घंटे गांव हो रहा रोशन

नदी के बहते पानी से बिजली बना रहा कॉलेज ड्रॉपआउट, 24 घंटे गांव हो रहा रोशन

झारखंड के केदार स्नातक कर रहे थे, लेक‍िन इस दौरान उन्होंने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी. फिर उन्होंने अपनी मेहनत से कमाए हुए पैसे से नया प्रयोग शुरू क‍िया. आज इनके प्रयोग का ही नतीजा है की गांव के मंदिर और मस्जिद समेत अन्य सामूहिक स्थल 24 घंटे जगमगा रहे हैं.

केदार प्रसाद महतो का बनाया हुआ प्लांट फोटोः किसान तक
क‍िसान तक
  • Ranchi,
  • Mar 20, 2023,
  • Updated Mar 20, 2023, 4:02 PM IST

ऊर्जा आज इंसानी सभ्यता की सबसे बड़ी जरूरत है. विकास के लिए ऊर्जा को सबसे अधिक जरूरी माना जा रहा है. आज के दौर में प्रदूषणमुक्त ऊर्जा पैदा करना सबसे बड़ी चुनौती है. इसको लेक‍र कई प्रयोग जारी हैं. वहीं ऐसे में युवाओं के अभ‍िनव प्रयोग आने वाले समय में काफी लाभदायक साबित हो सकते हैं. झारखंड के किसान परिवार से संबंध रखने वाले युवा केदार ने अपनी सूझबूझ से एक ऐसा बिजली संयत्र बनाया है, जो नदी के बहने वाले पानी से 24 घंटे बिजली पैदा करने में सक्षम है. यह एक ऐसा प्रयोग है, जिसके जरिए झारखंड के नदी किनारे रहने वाले किसानों को 24 घंटे बिजली मुहैया कराई जा सकती है.

कॉलेज ड्रापआउट हैं केदार

रामगढ़ जिले के बियांग गांव के युवक केदार प्रसाद महतो ने नदी के बहते पानी से ब‍िजली बनाने की तकनीक ईजाद की है. केदार प्रसाद वैसे तो कॉलेज ड्रॉपआउट हैं. आर्ट्स व‍िषय से केदार स्तानक कर रहे थे, लेक‍िन इसके बाद उन्होंने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी. फिर अपने मेहनत से कमाए हुए पैसे से नया प्रयोग करने लगे. आज इनके प्रयोग का ही नतीजा है की गांव के मंदिर और मस्जिद समेत अन्य सामूहिक स्थलों पर इनके जलाए बल्ब से रोशनी होती है. साथ ही दो एचपी के दो मोटर भी चलते हैं, जिससे सिंचाई का कार्य किया जाता है. 

बांस और कबाड़ से बनाई मशीन

केदार बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही इलेक्ट्रि‍क कार्य करने का शौक था, इसलिए उन्होंने बिजली का कार्य सीखा और बिजली वायरिंग का कार्य भी करते थे. इसके बाद उनके दिमाग में आइडिया आया की गांव के पास से बहने वाली नदी में सालों भर पानी रहता है, वहां से बहते हुए पानी का इस्तेमाल करके बिजली पैदा की जा सकती है. इसके बाद उन्होंने सीमेंट का एक स्ट्रक्चर नदी के बीचों बीच तैयार किया. वहां तक पहुंचने के लिए बांस की चचरी का इस्तेमाल किया गया है. इस तरह से नदी के उपर बांस का एक पुल है जो बीच नदीं में बने हुए बिजली संयत्र तक पहुंचाता है.

राज्य के किसानों को मिल सकता फायदा

इस बिजली संयत्र मे पांच केवीए बिजली का उत्पादन होता है. इससे 25 बल्ब जलते है साथ ही दो एचपी के दो मोटर चलते हैं. इसमें टरबाइन के जरिए पानी के बहाव से उत्पन्न हुई उर्जा को विद्युत उर्जा में बदला जाता है. केदार प्रसाद बताते है कि इसे तैयार करने में उन्होंने तीन लाख रुपये खर्च किए हैं, जो उनकी जमापूंजी थी, इसके अलावा ग्रामीणों से भी उन्हें सहयोग मिला है. उनके इस मॉडल को देखकर नाबार्ड ने भी उनके साथ काम करने की इच्छा जाहिर की है. नाबार्ड का मानना है कि केदार के द्वारा जो म़ॉडल तैयार किया गया है वह राज्य के किसानों के लिए एक बेहतरीन मॉडल साबित हो सकता है. इससे किसानों को सिंचाई के लिए बिजली की समस्या नहीं रहेगी. 

 

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