मिर्जापुर के राजगढ़ इलाके में टमाटर की खेती किसानों के लिए मुसीबत बन गई है. खेत में टमाटर सड़ रहा है. उसे कोई पूछने वाला नहीं है. हालात ये हैं कि टमाटर एक से डेढ़ रुपया किलो के भाव थोक व्यापारी खरीद रहे हैं. किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही है. किसान टमाटर को पशुओं को खिला रहे हैं. किसान उसे बेचने और कहीं दूर ढोने की बजाय खेतों में ही छोड़ दे रहे हैं. एक तरफ किसान मंडी में एक से डेढ़ रुपया किलो टमाटर बेचने को मजबूर है, तो दूसरी ओर बाजार में इसका भाव 10 से 20 रुपया बना हुआ है. इससे फायदा आढ़तियों और एजंटों को हो रहा है जबकि किसान और उपभोक्ता दोनों भारी घाटे में जा रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में राजगढ़ इलाक़े को टमाटर की खेती के लिए पूरे प्रदेश में जाना जाता है. कभी इस इलाके से टमाटर को खरीद कर व्यापारी प्रदेश के बड़े शहर कानपुर, प्रयागराज, लखनऊ, वाराणसी के साथ-साथ बैंगलोर और नेपाल तक भेजा करते थे. मगर इस साल यही टमाटर मिर्जापुर के किसानों के लिए मुसीबत बन गया है. राजगढ़ के पहाड़ी इलाकों में इस साल टमाटर की खेती करने वाले अपनी उपज की कीमत भी वसूल नहीं कर पाए हैं.
पिछले साल टमाटर में अच्छा खासा मुनाफा देख इस साल राजगढ़ के रहने वाले किसान किताबू ने 65 बीघा खेत बटाई पर लिया. इसके लिए छह हजार रुपये प्रति बीघा की हिसाब से करार किया गया. इस खेत में किताबू ने टमाटर की खेती की. इसकी रखवाली के लिए पांच हजार रुपये महीने का चौकीदार रखा. खेत में टमाटर की भरपूर फसल आई तो खुश का ठिकाना नहीं रहा. मगर अब पूरी टमाटर की फसल ही खेत में पड़ी है.
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टमाटर की फसल तैयार होने के बाद जब उसे मार्केट में बेचने का वक्त आया तो उसका भाव अचानक गिर गया. थोक व्यापारी 25 से 30 रुपये कैरेट टमाटर ले रहे हैं. एक कैरेट में कुल 28 किलो टमाटर आता है. खेत में मजदूरों से टमाटर तोड़वाने की कीमत ही 20 रुपये कैरेट आती है. मुसीबत यह कि किसान इस टमाटर को मंडी तक खुद लेकर जाता है. तब तक टमाटर की लागत और बढ़ जाती है और व्यापारी उसे लेने से मना कर देते हैं. व्यापारी को अधिक दाम पर टमाटर नहीं चाहिए. उधर किसान कम रेट पर अपनी उपज बेचे तो उसका पेट कैसे चलेगा.
किसान किताबू का कहना है कि अब तक 15 लाख रुपये का घाटा हो चुका है. पूरे खेत में टमाटर बिखरा पड़ा है. खेत को छोड़ दिया है. लागत ही नहीं निकल पा रही है. यही हालत राजगढ़ की रहने वाली अमरावती देवी का है. उन्होंने पांच बीघे में टमाटर की खेती की है. मगर उसे तोड़ने की नौबत ही नहीं आई क्योंकि कोई व्यापारी टमाटर लेने के लिए नहीं पहुंचा. खेत में ही टमाटर सड़ रहा है जबकि पिछले वर्ष अच्छा मुनाफा हुआ था.
इसी गांव की रहने वाली सुशीला देवी का कहना है कि इस साल पूरे इलाके में टमाटर के किसानों को घाटा हुआ है. कोई व्यपारी आ नहीं रह है. टमाटर की लगात इतनी नहीं निकल पा रही है. खेत में उसे तोड़ने के लिए भी बड़े खर्च की जरूरत है. इसलिए खेत में ही किसानों ने टमाटर को छोड़ दिया है. टमाटर की खेती में किसानों को हो रहे नुकसान का खामियाजा मजदूरों को भी भुगतना पड़ रहा है.
खेत में टमाटर तोड़ कर अपना घर चलाने वाली गीता देवी का कहना है कि दिन भर में दो सौ रुपये मजदूरी मिलती थी. खेत में टमाटर तोड़ कर गाड़ियों में ले जाया जाता था. मगर इस बार किसानों की हिम्मत ही नहीं हो रही है टमाटर तोड़ने की, क्योंकि फसल की लागत नहीं निकल पा रही है. किसानों को घाटा हो रहा है.
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टमाटर की भारी उपज और दाम नहीं मिलने से किसानों के सामने बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है. जिस टमाटर की कीमत एक से डेढ़ रुपये प्रति किलो किसानों को मिल रहा है. वही टमाटर किसान के खेत से चंद किलोमीटर दूर बाजार में 10 रुपये किलो बिक रहा है. राजगढ़ बाजार में सब्जी के ब्यापारी और टमाटर की खरीद करने वाले व्यापारी लाल बाबू केसरी का कहना है कि सस्ता टमाटर मिल रहा है, इसलिए खरीद रहे हैं. यहां टमाटर का भाव दस रुपये किलो है.(रिपोर्ट-सुरेश कुमार)