चिरौंजी, जंगलों में उपजने वाला एक फल है, लेकिन इसका इस्तेमाल मेवा की तरह होता है. इसकी खेती भी अन्य फसलों की तरह नहीं होती है. यह बात दीगर है कि चिरौंजी के बढ़ते महत्व और कीमत काे देखते हुए इसकी बागवानी खेती अब मुनाफे का सबब बन कर उभरी है. पारंपरिक तौर पर चिरौंजी की उपज का अधिकार जंगलों में रहने वाले वनवासी समुदाय के लोगों के पास रहा है. कालांतर में महुआ और चिरौंजी को जंगलों से बीनने पर रोक लगाने वाले यूपी सरकार के नियम ने वनवासी समुदायों की परेशानी को बढ़ा दिया था. सीएम योगी ने पिछली सरकारों द्वारा बनाए गए इस नियम को निष्प्रभावी कर दिया है.
योगी कैबिनेट ने चिरौंजी और महुुुआ बीनने पर लगी रोक को हाल ही में वापस लेने की घोषणा की थी. इसके बाद अब वनवासी समुदाय के लोग जंगलों से चिरौंजी और महुआ बीन सकेंगे. योगी सरकार ने अब चिरौंजी की उपज का दायरा बढ़ाने के उपाय भी शुरू कर दिए हैं.
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योगी ने जनसभा में कहा कि पहले वनवासी समुदाय के लोगों को जंगल में चिरौंजी और महुआ एकत्र करने का अधिकार फिर से मिलने के साथ ही सरकार अब पट्टे पर इसकी उपज एकत्र कराने के उपायों को तेजी से आगे बढ़ा रही है. उन्होंने कहा कि अब वनवासी समुदाय के लोगों को वनाधिकार का पट्टा दिया जाएगा. इसके लिए जिला प्रशासन को कैंप लगाकर पट्टे आवंटित करने काे कहा गया है.
इस दौरान उन्होंने सोनभद्र में कृषि विज्ञान केंद्र का शिलान्यास भी किया. उन्होंने कहा कि इस केंद्र के बनने से इस इलाके में खेती के पारंपरिक तरीकों को उन्नत बनाया जाएगा. जिससे अन्नदाता किसानों को कृषि क्षेत्र में तकनीकी और वैज्ञानिक सोच के साथ अपनी आय को बढ़ाने का अवसर मिलेगा.
योगी ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के जरिए सोनभद्र अपने नाम के अनुरूप सोने जैसा बनने की राह पर अग्रसर है. उन्होंने कहा कि बीते 6 साल में सोनभद्र के जनजातीय समुदायों को शोषण से मुक्ति मिली है और बिना किसी भेदभाव के शासन की योजनाओं का लाभ इन समुदायों को मिलने लगा है.
उन्होंने कहा कि प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर सोनभद्र क्षेत्र जल्द ही ईको टूरिज्म का बड़ा हब बनाने जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस इलाके में ग्राम पर्यटन भी विकसित होगा. योगी ने कहा कि प्राचीन ऋषि मुनियों की इस धरती का सौंदर्य देखने के लिए दुनिया भर के सैलानी आयेंगे. इसका सीधा लाभ ग्रामीण आबादी को मिलेगा.
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चिरौंजी की बढ़ती मांग को देखते हुए इसका दायरा लगातार बढ़ रहा है. नतीजतन, अब चिरौंजी जंगलों से बाहर आकर किसानों के खेत की मेंड़ पर पहुंच गई है. इसे बागवानी खेती के रूप में अपनाया जा रहा है. चिरौंजी एक सदाबहार पेड़ होता है. इसकी ऊंचाई 15 से 25 फीट तक हो सकती है. इसकी छाल बहुत मोटी और खुरदरी होती है. घनी पत्तियों वाले चिरौंजी के पेड़ में सर्दी के मौसम में छोटे अंडाकार फल लगना शुरू हाे जाते हैं.
वसंत ऋतु के बाद मार्च से अप्रैल के बीच हवा की गति बढ़ने पर फल अपने आप जमीन पर गिरने लगते हैं. वनवासी समुदाय के लोग इन्हें बीन लेते हैं. इसके फल का आकार 8 से 12 मिमी तक होता है. इस फल की गुठली को फोड़कर चिरौंजी निकाल ली जाती है. यह बाजार में अच्छी कीमत पर बिकती है. इसकी खेती को अब व्यवस्थित बनाने के लिए वनाधिकार पट्टा पद्धति से फल की तुड़ाई होती है. कमाई के लिहाज से चिरौंजी के फल, चिरौंजी की गोंद और चिरौंजी दाना तीनों ही महत्वपूर्ण हैं.