देश के कई हिस्सों में इस समय गेहूं की खरीद जारी है. प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में इसका दाम 2200 से 2500 रुपये प्रति क्विंटल तक चल रहा है. जबकि महाराष्ट्र में इसका दाम रिकॉर्ड बना रहा है. राज्य की अलग-अलग मंडियों में इसका दाम 2000 से लेकर 4500 रुपये प्रति क्विंटल तक है. अधिकांश मंडियों में दाम 2500 रुपये से ऊपर ही चल रहा है. महाराष्ट्र एग्रीकल्चरल मार्केटिंग बोर्ड के एक अधिकारी के अनुसार धुले जिले की दोंडाईचा मंडी में 15 मई को गेहूं का अधिकतम दाम 2850 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया. यहां आवक सिर्फ 90 क्विंटल की हुई थी. जालना जिले के अम्बाद में तो अधिकतम दाम 4500 रुपये क्विंटल तक पहुंच गया, जो राज्य में सबसे अधिक है.
आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि जब देश में गेहूं की एमएसपी 2275 रुपये और बाजार भाव 2500 रुपये तक चल रहा है तो महाराष्ट्र में इतना ज्यादा दाम क्यों है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार महाराष्ट्र में गेहूं का उत्पादन बहुत कम होता है. देश के कुल गेहूं उत्पादन में इसका योगदान लगभग 2 प्रतिशत ही है. जबकि खपत ज्यादा है. यूपी, मध्य प्रदेश और दूसरे राज्यों से यहां गेहूं ले आने पर वह महंगा हो जाता है. इसलिए महाराष्ट्र में गेहूं का मंडी भाव दूसरे राज्यों से ज्यादा होता है.
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महाराष्ट्र स्टेट एग्रीकल्चर प्राइस कमीशन के चेयरमैन पाशा पटेल के अनुसार महाराष्ट्र में पंजाब और हरियाणा के मुकाबले गेहूं की उत्पादन लागत लगभग दोगुनी है. इसलिए महाराष्ट्र में किसान गेहूं की खेती कम करते हैं. महाराष्ट्र में गेहूं एक माइनर क्रॉप है. राज्य के किसान प्याज, कपास, सोयाबीन, अनार, अंगूर और केले की खेती पर जोर देते हैं. गेहूं का उत्पादन महंगा पड़ता है. इसलिए राज्य में बिकने के लिए दूसरे राज्यों से गेहूं आता है.
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