गेहूं के दाम देश में रिकॉर्ड ऊंचाई पर चल रहे हैं. आलम ये है कि गेहूं के दाम MSP से 40 फीसदी अधिक दर्ज किए गए हैं. ऐसे में सरकार के लिए आगामी फसल चक्र में गेहूं की खरीद एक चुनौती बनी हुई है. आलम ये है कि गेहूं के रिकॉर्ड दामों के बीच खाद्य सुरक्षा और अनाज की आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार को आगामी फसल वर्ष में कम से कम 16 मिलियन टन (एमटी) गेहूं की खरीद करने की जरूरत है.
पिछले साल गेहूं की खरीद 15 साल के निचले स्तर पर पहुंचने के बाद केंद्र ने कुछ राज्यों में रोटी की जगह चावल खाने को कहा गया था. इसे देखते हुए सरकार के पास यह सुनिश्चित करने के लिए इस साल सीमित विकल्प है कि इस बार खरीद में कोई कमी ना रखी जाए.
इससे पहले, सरकार 7.5 मिलियन टन के बफर और रणनीतिक आरक्षित मानदंड के मुकाबले 1 अप्रैल को गेहूं के स्टॉक के लगभग 12.6 मिलियन टन होने की उम्मीद कर रही थी. हालांकि ओपन मार्केट सेल स्कीम (ओएमएसएस) के तहत 30 लाख टन की बिक्री के फैसले को देखते हुए नया सीजन शुरू होने पर स्टॉक 1 करोड़ टन से नीचे आ सकता है.
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) और अन्य योजनाओं के लिए वार्षिक आवश्यकता 18 मिलियन टन है. अधिकारी आकड़ों के मुताबिक बफर स्टॉक के मानक को बनाए रखने के लिए 1 अप्रैल से शुरू होने वाले अगले सत्र में अतिरिक्त 1.59 करोड़ टन की खरीद करनी होगी. हालांकि, ओएमएसएस को चलाने के लिए 2-3 मिलियन टन अतिरिक्त खरीद होनी चाहिए, जो कुल मिलाकर न्यूनतम 19 मिलियन टन हो. यह लगभग 10 मिलियन टन के कैरीओवर स्टॉक के हिसाब से है. 44.4 मिलियन टन के लक्ष्य के मुकाबले 2021-22 की फसल से आधिकारिक खरीद 18.79 मिलियन टन थी.
ये भी पढ़ें: UP: रामपुर में साठा धान पर लगा प्रतिबंध, पीलीभीत का गिरता भूजल स्तर बना वजह
जिस पर पहले से ही, निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और सरकार ने संकेत दिया है कि इसे जल्द ही कभी भी खोले जाने की संभावना नहीं है. व्यापारियों को पता है कि अगर वे MSP से ऊपर खरीद करते हैं, तो सरकार किसी भी समय स्टॉक की सीमा लगा सकती है और घरेलू बाजार में उतारने के लिए कहने पर नुकसान का सामना करना पड़ेगा.
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार MSP से अधिक बोनस की घोषणा करने पर विचार कर रही है, खाद्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने ऐसी संभावना से इंकार नहीं किया. हालांकि, उन्होंने कहा कि नई फसल के आने से पहले क्या कदम उठाए जा सकते हैं, यह अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी. उन्होंने कहा, 'देखते हैं कि मार्च-अप्रैल में मौसम कैसा रहता है.' केंद्र ने 2010-11 के फसल वर्ष में गेहूं की MSP के ऊपर 50 रुपये प्रति क्विंटल के बोनस की घोषणा की थी.
व्यापारियों के मुताबिक ओएमएसएस के तहत गेहूं जारी करने के फैसले से गेहूं की कीमतों में तुरंत ₹200/क्विंटल की कमी आने की संभावना है और वास्तविक स्टॉक बाजार में आने के बाद अगले कुछ दिनों में और गिरावट आएगी. एगमार्कनेट पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान पैन-इंडिया औसत खुदरा मूल्य गेहूं के लिए 29-41/किग्रा और विभिन्न क्षेत्रों में आटा (गेहूं का आटा) के लिए 34-46/किग्रा है.
ये भी पढ़ें: कपास के दामों में आ सकता है उछाल, अप्रैल में 11000 रुपये क्विंटल तक जा सकते हैं भाव!