देश में घट गया गेहूं का रकबा, चने और मक्के की बुवाई में भी भारी गिरावट, ये रहे आंकड़े

देश में घट गया गेहूं का रकबा, चने और मक्के की बुवाई में भी भारी गिरावट, ये रहे आंकड़े

इस रबी सीजन में एकमात्र अच्छी बात यह है कि सरसों की अधिक बुआई हुई है, जो पहले ही सामान्य क्षेत्र से अधिक हो गई है. इसका रकबा 77.78 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है. कुल मिलाकर रबी तिलहनों का रकबा 82.01 लाख बताया गया है, जिसमें मूंगफली का रकबा 27,000 हेक्टेयर कम है. 

गेहूं की बुवाई में गिरावट. (सांकेतिक फोटो)गेहूं की बुवाई में गिरावट. (सांकेतिक फोटो)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Nov 27, 2023,
  • Updated Nov 27, 2023, 4:21 PM IST

गेहूं की बुआई में लगातार दूसरे सप्ताह भी 5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. 24 नवंबर तक चालू रबी सीजन में कुल रकबे का केवल 46 प्रतिशत ही गेहूं बोया गया. इसके साथ ही इस सीजन में शीतकालीन फसलों का रकबा बढ़कर 349.99 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो सीजन के सामान्य रकबे का 54 प्रतिशत ही है. खास बात है कि यह आंकड़ा पिछले साल की समान अवधि के दौरान दर्ज किए गए 369.74 लाख हेक्टेयर से 5.3 प्रतिशत कम है.

वहीं, कृषि मंत्रालय का कहना है कि अल नीनो के प्रभाव का गेहूं की बुवाई पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है. सरकार को उम्मीद है कि इस सीजन में 60 प्रतिशत रकबे में गेहूं की बुवाई की जाएगी. हालांकि, 18 से 24 नवंबर के दौरान गेहूं का कवरेज 55.85 लाख हेक्टेयर था. जबकि, पिछले साल इसी समान अवधि में कवरेज का यह आंकड़ा 58.03 लाख हेक्टेयर था.

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बुवाई में 11.8 प्रतिशत की गिरावट 

इसी तरह रबी दलहन के रकबे में गिरावट आई है. इस साल अभी तक  94.74 लाख हेक्टेयर में ही दलहन की बुवाई हुई है, जोकि पिछले साल के 103.59 लाख हेक्टेयर से 8.5 प्रतिशत कम है. सबसे अधिक रकबे में मसूर की बुवाई की गई है. खास बात यह है कि चने के रबके में 11.8 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई है. इस साल 66.19 लाख हेक्टेयर में ही चने की बुवाई हुई है, जबकि कि पिछले साल इसका रकबा 75.07 लाख हेक्टेयर था. 

मोटे अनाज का रकबा

हालांकि, मसूर के रकबे में 5.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इस साल मसूर का रकबा बढ़ कर 12.74 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है. वहीं, बात अगर मोटे अनाज की करें, तो इसकी बुआई क्षेत्र 22.95 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 25.43 लाख हेक्टेयर था. मक्के का रकबा 17.9 प्रतिशत घटकर 4.81 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है. वहीं, जौ की बुआई भी 9.6 प्रतिशत कम होकर 3.65 लाख घंटे हेक्टेयर पर पहुंच गया है.

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