Red Rot Strikes: गन्ने का कैंसर कही जाने वाली रेड रॉट बीमारी से उपज में बड़ी गिरावट, किसानों को 867 करोड़ का नुकसान

Red Rot Strikes: गन्ने का कैंसर कही जाने वाली रेड रॉट बीमारी से उपज में बड़ी गिरावट, किसानों को 867 करोड़ का नुकसान

गन्ना की 0238 एक ऐसी वैरायटी है जिसकी वजह से किसानों को न सिर्फ सबसे ज्यादा फायदा हुआ बल्कि इसने उत्तर प्रदेश को चीनी उत्पादन में भी नंबर वन बनाया. इस वैरायटी में पिछले दो सालों से रेड रॉट बीमारी की समस्या बढ़ती जा रही है, जिसके चलते किसान अब इस वैरायटी से दूरी बनाने लगे हैं. बीमारी के चलते पिछले साल के मुकाबले इस साल किसानों को 867 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है.

धर्मेंद्र सिंह
  • Bijnor,
  • May 12, 2024,
  • Updated May 12, 2024, 1:38 PM IST

गन्ने की फसल में रेड रॉट बीमारी को कैंसर के समान माना जाता है. यह बीमारी पूरी फसल को बर्बाद कर देती है फिलहाल गन्ने की सबसे चर्चित वैरायटी 0238 में यह बीमारी बुरी तरीके से यूपी के कई क्षेत्रों में लगी हुई है. इस बीमारी के चलते बिजनौर के किसानों को 40 हजार हेक्टेयर में दूसरी वैरायटी बदलने को मजबूर होना पड़ा है. 0238 एक ऐसी वैरायटी है, जिसकी वजह से किसानों को न सिर्फ सबसे ज्यादा फायदा हुआ बल्कि इसने उत्तर प्रदेश को चीनी उत्पादन में भी नंबर वन बनाया. इस वैरायटी में पिछले दो सालों से रेड रॉट बीमारी की समस्या है जिसके चलते किसान अब इस वैरायटी से दूरी बनाने लगे हैं.

बिजनौर जिले में गन्ना किसान अब 0238 की जगह 0118,13235,15023 ,14201,5009,17231,82033, 219 प्रजातियां को अपने खेतों में बुवाई कर रहे हैं. गन्ने का कैंसर माने जाने वाले रेड रॉट के चलते न सिर्फ उत्पादन प्रभावित हुआ है बल्कि किसानों का नुकसान भी हो रहा है. पिछले साल के मुकाबले इस साल 867 करोड रुपए का नुकसान किसानों को हो चुका है. इस साल चीनी मिलों को पर्याप्त मात्रा में गन्ने की उपलब्धता नहीं हो पाई है जिसके चलते उन्हें समय से पहले ही मिलो को बंद करना पड़ा है. बिजनौर के जिला गन्ना अधिकारी पी.एन सिंह ने बताया कि जिले में 96% क्षेत्रफल पर 0238 प्रजाति थी. फिलहाल किसानों को नई वैरायटी उपलब्ध कराई गई है. 

0238 में लगी रेड रॉट बीमारी

भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ के परियोजना समन्वयक डॉ. प्रदीप सिंह ने किसान तक से खास बातचीत में बताया कि सीओ-0238 प्रजाति का किसानों के बीच में जबरदस्त क्रेज है. इस प्रजाति का उत्पादन और चीनी के लिए यह सर्वोत्तम किस्म भी मानी जाती है. इसीलिए कुल गन्ने का क्षेत्रफल में इस किस्म का दबदबा आज भी कायम है. इस प्रजाति में 2016 से ही  रेड रॉट यानी लाल सड़न रोग से प्रभावित हो चुकी है. तब से लेकर इस प्रजाति की जगह दूसरी प्रजाति लगाने के लिए किसानों को सलाह दी जा रही है. उत्तर प्रदेश में लाल सड़न रोग का खतरा  सुल्तानपुर, शामली ,संभल, बिजनौर, हापुड़ जैसे कई जनपदों में तो इस प्रजाति की 80 फ़ीसदी फसल इस बीमारी के चलते बर्बाद हो चुकी है. 

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डॉ बक्शी राम ने करनाल अनुसंधान केंद्र में बतौर प्रधान वैज्ञानिक कार्य करते हुए सीओ-0238 किस्म में को 2008 में विकसित किया. गन्ने की सीओ- 0238 प्रजाति ने उत्तर प्रदेश को गन्ना उत्पादन में सबसे आगे पहुंचा दिया हैं. करनाल के गन्ना प्रजनन संस्थान के क्षेत्रीय केंद्र में रहकर डॉ. बख्शी राम ने गन्ने की सबसे ज्यादा प्रजाति को विकसित कर चुके हैं. इस वैरायटी ने उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि हरियाणा ,पंजाब के 54 फ़ीसदी हिस्से पर अपना कब्जा कर लिया हैं. डॉ. बख्शी राम को गन्ना क्रांति का पुरोधा भी माने जाते है उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब  उत्तराखंड और बिहार जैसे राज्यों में 84 फीसदी गन्ना क्षेत्रफल में सीओ- 0238 प्रजाति का कब्जा रहा है.

चीनी रिकवरी में नंबर वन है यह किस्म

गन्ने की वैसे तो बहुत सारी किस्म मौजूद हैं. किसानों के बीच गन्ने की वो किस्म सबसे ज्यादा पसंद की जाती है जिसमे चीनी की रिकवरी सबसे अच्छी होती है. सीओ-0238 किस्म में चीनी रिकवरी के मामले में नंबर वन है. इस किस्म की वजह से ही यूपी चीनी उत्पादन में नंबर वन पहुंच गया है. इस वैरायटी के आने के बाद यूपी के गन्ना उत्पादन और शुगर रिकवरी में तेजी से सुधार हुआ. 

रेड रॉट बीमारी से किसानों को भारी नुकसान

यूपी में गन्ना किसानों को 0238 में रेड रॉट बीमारी के चलते 867 करोड रुपए का नुकसान हो चुका है. पिछले साल किसानों ने चीनी मिलों को 4300 करोड रुपए का गन्ना बचा था जबकि इस बार केवल 3433 करोड रुपए का गन्ना चीनी मिलों को बेचा गया है. इस बीमारी के चलते 867 करोड रुपए का नुकसान किसानों को हुआ है. गत वर्ष की तुलना में चीनी मिलों में पेराइ ही भी कम हुई है. पिछले साल जहां 12 करोड़ 43 लाख 43000 क्विंटल गन्ना की पेराइ हुई थी जो इस बार 9 करोड़ 42 लाख क्विंटल की पेराइ हुई है. इस बार गन्ने की उपलब्धता कम होने के चलते समय से पहले चीनी मिलों को बंद करना पड़ा है.

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