तूर यानी अरहर दाल की कीमत नियंत्रित करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. इसके लिए विदेशी तूर विक्रेताओं से संपर्क साधा है. लेकिन, भारत सरकार दक्षिण अफ्रीकी देश मोजांबिक से 2 लाख टन तूर दाल आयात का समझौता रद्द करने की ओर बढ़ रही है. पहले से ही बाजार में कम उपलब्धता के चलते कीमत बढ़ी हुई और ताजा आयात करार रद्द हुआ तो कीमत पर विपरीत असर दिखने की संभावना है.
देश में दालों की कीमतों में बीते कुछ समय में तेजी दर्ज की गई है. नवंबर माह की शुरुआत में चना दाल की खुदरा कीमतें 78-80 रुपये प्रति किलोग्राम दर्ज की गई थीं, जो दूसरे सप्ताह में दिल्ली में बढ़कर 90 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गईं. जबकि, कुछ राज्यों में खुदरा कीमतों में 2 प्रतिशत से भी ज्यादा की तेजी दर्ज की गई. वहीं, अन्य दालों में मूंग, मसूर, उड़द की कीमत 100 रुपये प्रति किलोग्राम से ऊपर रही है. जबकि, तूर यानी अरहर दाल सबसे महंगी बनी हुई है और इसकी कीमत 150-160 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास है. खुदरा बाजारों में दाल की ऊंची कीमतों का मुख्य कारण इनकी उपलब्धता सामान्य से कम होना है.
दालों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार दक्षिण अफ्रीकी देश मोजांबिक से 2,00,000 टन तूर दाल आयात कर रही थी. लेकिन, अब यह आयात समझौत रद्द होने की कगार पर है. इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार मामले के जानकार एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मोजाम्बिक से अरहर की आपूर्ति अभी भी स्थिर नहीं है क्योंकि मोजांबिक के निर्यातक अपने देश के भीतर कुछ भ्रष्टाचार के मुद्दों से जूझ रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस वजह से हमारे पास समझौता रद्द करने पर विचार करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचा है. भारत सरकार ने मोजांबिक सरकार के प्रतिनिधियों को कई चेतावनियां जारी की हैं, लेकिन समाधान नहीं हुआ है.
मोजांबिक से तूर दाल आयात करने के लिए महीनों तक इंतजार करने के बाद व्यापार निकाय भारतीय दलहन और अनाज संघ (IPGA) ने इस मामले को देखने के लिए प्रधान मंत्री कार्यालय (PMO) से मदद मांगी थी. IPGA ने कहा कि हमने पीएमओ को पत्र लिखा था कि कैसे मोजांबिक सरकार के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों ने अपने पसंदीदा निर्यातक के साथ साठगांठ की है और केवल उसे ही मोजांबिक से भारत के लिए अरहर के सभी निर्यात को नियंत्रित करने की अनुमति दी है. IPGA के अध्यक्ष बिमल कोठारी ने कहा कि भ्रष्ट अधिकारी और निर्यातक तूर की कीमतें कृत्रिम रूप से ऊंची रख रहे हैं. मोजांबिक में तूर दाल की खेती बड़े पैमाने पर होती है और भारत उससे तूर दाल खरीदने वाला प्रमुख देश है. भारतीय आयातकों का दावा है कि बड़ी मात्रा में अरहर दाल अफ्रीका के बंदरगाहों पर पड़ी हुई है.
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इस साल कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में खराब मानसून और कुछ बीमारियों के संक्रमण के चलते खाद्य महंगाई ऊंची रहने के कारण तूर दाल की कीमतें बढ़ गई हैं. हालांकि, कर्नाटक के कोप्पल और गुलबर्गा जैसे स्थानों में फसल शुरू होने के कारण घरेलू बाजार में अरहर की कीमतें नरमी दिखने लगी है. मुख्य रूप से अरहर, चना और मूंग की कीमतों में तेज बढ़ोतरी के कारण अक्टूबर में दालों की खुदरा मुद्रास्फीति सालाना आधार पर बढ़कर 18.79% हो गई.