Toor Dal Price: 2 लाख टन तूर दाल आयात का समझौता खटाई में, क्या अरहर दाल की कीमत और बढ़ेगी?

Toor Dal Price: 2 लाख टन तूर दाल आयात का समझौता खटाई में, क्या अरहर दाल की कीमत और बढ़ेगी?

तूर दाल सबसे महंगी है और इसकी कीमत 150-160 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास है. खुदरा बाजारों में दाल की ऊंची कीमतों का मुख्य कारण इसकी उपलब्धता सामान्य से कम होना है. इस बीच दक्षिण अफ्रीकी देश मोजांबिक से 2 लाख टन तूर दाल आयात का समझौता खटाई में पड़ गया है. दरअसल, सरकार ही मोजांबिक से दाल आयात समझौते को रद्द करने का विचार बना रही है.

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रिजवान नूर खान
  • New Delhi,
  • Nov 23, 2023,
  • Updated Nov 23, 2023, 6:20 PM IST

तूर यानी अरहर दाल की कीमत नियंत्रित करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. इसके लिए विदेशी तूर विक्रेताओं से संपर्क साधा है. लेकिन, भारत सरकार दक्षिण अफ्रीकी देश मोजांबिक से 2 लाख टन तूर दाल आयात का समझौता रद्द करने की ओर बढ़ रही है. पहले से ही बाजार में कम उपलब्धता के चलते कीमत बढ़ी हुई और ताजा आयात करार रद्द हुआ तो कीमत पर विपरीत असर दिखने की संभावना है.  

चना दाल 90 रुपये तो तूर दाल 160 रुपये पर पहुंची 

देश में दालों की कीमतों में बीते कुछ समय में तेजी दर्ज की गई है. नवंबर माह की शुरुआत में चना दाल की खुदरा कीमतें 78-80 रुपये प्रति किलोग्राम दर्ज की गई थीं, जो दूसरे सप्ताह में दिल्ली में बढ़कर 90 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गईं. जबकि, कुछ राज्यों में खुदरा कीमतों में 2 प्रतिशत से भी ज्यादा की तेजी दर्ज की गई. वहीं, अन्य दालों में मूंग, मसूर, उड़द की कीमत 100 रुपये प्रति किलोग्राम से ऊपर रही है. जबकि, तूर यानी अरहर दाल सबसे महंगी बनी हुई है और इसकी कीमत 150-160 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास है. खुदरा बाजारों में दाल की ऊंची कीमतों का मुख्य कारण इनकी उपलब्धता सामान्य से कम होना है. 

2 लाख टन तूर दाल आयात सौदा रद्द हो सकता है 

दालों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार दक्षिण अफ्रीकी देश मोजांबिक से 2,00,000 टन तूर दाल आयात कर रही थी. लेकिन, अब यह आयात समझौत रद्द होने की कगार पर है. इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार मामले के जानकार एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मोजाम्बिक से अरहर की आपूर्ति अभी भी स्थिर नहीं है क्योंकि मोजांबिक के निर्यातक अपने देश के भीतर कुछ भ्रष्टाचार के मुद्दों से जूझ रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस वजह से हमारे पास समझौता रद्द करने पर विचार करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचा है. भारत सरकार ने मोजांबिक सरकार के प्रतिनिधियों को कई चेतावनियां जारी की हैं, लेकिन समाधान नहीं हुआ है. 

भारत मोजांबिक से तूर दाल का सबसे बड़ा खरीदार 

मोजांबिक से तूर दाल आयात करने के लिए महीनों तक इंतजार करने के बाद व्यापार निकाय भारतीय दलहन और अनाज संघ (IPGA) ने इस मामले को देखने के लिए प्रधान मंत्री कार्यालय (PMO) से मदद मांगी थी. IPGA ने कहा कि हमने पीएमओ को पत्र लिखा था कि कैसे मोजांबिक सरकार के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों ने अपने पसंदीदा निर्यातक के साथ साठगांठ की है और केवल उसे ही मोजांबिक से भारत के लिए अरहर के सभी निर्यात को नियंत्रित करने की अनुमति दी है. IPGA के अध्यक्ष बिमल कोठारी ने कहा कि भ्रष्ट अधिकारी और निर्यातक तूर की कीमतें कृत्रिम रूप से ऊंची रख रहे हैं. मोजांबिक में तूर दाल की खेती बड़े पैमाने पर होती है और भारत उससे तूर दाल खरीदने वाला प्रमुख देश है. भारतीय आयातकों का दावा है कि बड़ी मात्रा में अरहर दाल अफ्रीका के बंदरगाहों पर पड़ी हुई है. 

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दाल महंगाई दर 18.79% बढ़ी 

इस साल कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में खराब मानसून और कुछ बीमारियों के संक्रमण के चलते खाद्य महंगाई ऊंची रहने के कारण तूर दाल की कीमतें बढ़ गई हैं. हालांकि, कर्नाटक के कोप्पल और गुलबर्गा जैसे स्थानों में फसल शुरू होने के कारण घरेलू बाजार में अरहर की कीमतें नरमी दिखने लगी है. मुख्य रूप से अरहर, चना और मूंग की कीमतों में तेज बढ़ोतरी के कारण अक्टूबर में दालों की खुदरा मुद्रास्फीति सालाना आधार पर बढ़कर 18.79% हो गई. 
 

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