Tree disease: पेड़-पौधों को सुखाकर खत्म कर देता है ये मशरूम, बचाव के लिए अपनाएं ये उपाय

Tree disease: पेड़-पौधों को सुखाकर खत्म कर देता है ये मशरूम, बचाव के लिए अपनाएं ये उपाय

अक्सर बागों या पेड़ों के पौधों की जड़ों के पास कत्थई काले के रंग के मशरूम उगते हुए देखे जाते हैं. ये मशरूम देखने में छोटे और सामान्य लग सकते हैं, लेकिन ये वास्तव में पौधों के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं. क्योंकि ये पौधों को सूखा देते हैं. इस प्रकार के मशरूम जड़ों पर आक्रमण करके पौधों की वृद्धि को रोकते हैं और उनकी सेहत को प्रभावित करते हैं.

गैनोडर्मा ल्यूसिडम मशरूम  से संक्रमित पेड़गैनोडर्मा ल्यूसिडम मशरूम से संक्रमित पेड़
जेपी स‍िंह
  • Noida,
  • Aug 17, 2024,
  • Updated Aug 17, 2024, 3:02 PM IST

अक्सर बागों या पेड़ों के पौधों की जड़ों के पास कत्थई काले के रंग के मशरूम उगते हुए देखे जाते हैं. ये मशरूम देखने में छोटे और सामान्य लग सकते हैं, लेकिन ये वास्तव में पौधों के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं. अगर इन मशरूम को समय पर नहीं हटाया गया और उचित प्रबंधन नहीं किया गया, तो ये पेड़ों और पौधों को सूखा सकते हैं. साथ ही इसके प्रकोप से पौधों की वृद्धि भी रूक जाती है. खास बात यह है कि कत्थई रंग के मशरूम को गैनोडर्मा ल्यूसिडम या कवक के रूप में जाना जाता है.

एक्सपर्ट के मुताबिक, ये पेड़ों की जड़ों के आसपास उगते हैं. ये कवक जड़ प्रणाली को प्रभावित करते हैं और कई बार इनका संक्रमण पेड़ के सूखने का कारण बन सकता है. इसके चलते पेड़ के तने में सड़न, पत्तियों का मुरझाना और फल-फूल में कमी जैसे लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं. ऐसे भारत में, गैनोडर्मा के कारण कई पेड़- पौधों की उत्पादकता में गिरावट आती है. मुख्य रूप से नारियल, सुपारी, चाय, बबूल, अल्बिज़िया, डालबर्गिया और ग्रेविया जैसी पेड़- पौधे सूख जाते हैं. भारत में जहां गर्मी के समय पेड़- पौधों में नमी के चलते तनाव रहता है, उन एरिया में पौधों को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाता है.

पेड़-पौधों को सूखा देता ये मशरूम  

प्रोफेसर डॉ. एस के सिंह, जो कि पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट ऑफ प्लांट पैथोलॉजी एवं नेमेटोलॉजी के विभागाध्यक्ष हैं और अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना के प्रधान अन्वेषक हैं, वे बताते हैं कि गैनोडर्मा ल्यूसिडम एक कवक है, जो मशरूम की तरह आकार धारण करता है. इसे आमतौर पर "लिंग्ज़ी" या "रेशी" के नाम से जाना जाता है. इसको चमकदार, लाल-भूरे और शेल्फ़ जैसे फलने वाले शरीर से पहचाना जा सकता है. इसके चलते पेड़ सूख जाते हैं.

 डॉ. एस के सिंह के मुताबिक, गैनोडर्मा ल्यूसिडम के अटैक के कारण पौधे सड़ाना शुरू कर देते हैं. इससे पेड़ के पानी और पोषक तत्व बुरी तरह से प्रभावित होते हैं. जिसके कारण कवक प्रभावित पेड़ मुरझाने लगते हैं. उनकी पत्तियों का रंग पीला पड़ने लगता है. अंत में पेड़ सूख जाते हैं.

पेड़- पौधों को कैसे बचाएं

प्रोफेसर डॉ. एस के सिंह बताते हैं कि गैनोडर्मा ल्यूसिडम एक बहुत ही हानिकारक फंगस है, जो पेड़- पौधों की जड़ों को प्रभावित करता है. उनका कहना है कि इस रोगजनक से बचने के लिए पेड़ों की नियमित निगरानी और उचित कृषि प्रबंधन अहम हैं. उन्होंने पेड़- पौधों को इस रोग से बचने के लिए कुछ अहम सुझाव दिये है.

चोटों से पेड़ को बचाएं: पेड़ के तने और जड़ों पर घाव कम से कम करें. घाव गैनोडर्मा और अन्य रोगजनकों के लिए प्रवेश करने के लिए आसान रास्ता बनाता है. बागों में काम करते समय ध्यान रखें कि पेड़ चोटिल ना हो. इन गतिविधियों के दौरान उचित देखभाल से गैर जरूरी चोटों को रोका जा सकता है.

रोग ग्रस्त चीजों को हटाएं : गैनोडर्मा से प्रभावित अतिसंवेदनशील पेड़ों को हटाने का विचार करें. इससे आगे प्रसार को रोकने में मदद मिलती है.

नियमित निगरानी: संक्रमण के लक्षणों के लिए नियमित रूप से पेड़ों का निरीक्षण करें, जिसमें तने के आधार पर कवक के फलने वाले शरीर, मुरझाई हुई पत्तियां और सड़ी हुई लकड़ी शामिल हैं. अगर कोई लक्षण दिखाई देते हैं, तो उन्हें हटा दें.

रोग के प्रसार को रोकें : जब भी पेड़- पौधे लगाएं, अच्छी जल निकासी और उचित वायु परिसंचरण वाले रोपण स्थल चुनें. रोगों के प्रति उनकी प्रतिरोधक क्षमता में सुधार के लिए उचित सिंचाई, उर्वरक और कीट नियंत्रण के माध्यम से पेड़ों के समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखें. हमेशा नियमित रूप से सूखे या संक्रमित शाखाओं की छंटाई करें. 

रूट बैरियर लगाएं: संक्रमित पेड़ों से स्वस्थ पेड़ों में फंगस के प्रसार को रोकने के लिए फिजिकल रूट बैरियर लगाए जा सकते हैं. 

चोटिल और रोगग्रस्त पौधों पर यह गैनोडर्मा फंगस तेजी से हमला करता है।

इस खतरनाक रोग का ऐसे करें नियंत्रण 

रासायनिक उपचार : पेड़ के जड़ के आधार वाले तने को नियमित रूप से साफ रखें एवं समय-समय पर साल में कम से कम दो बार 6 महीने के अंतराल पर बोर्डों पेस्ट से पुताई करें.
जैविक नियंत्रण: गैनोडर्मा से प्रतिस्पर्धा करने और पेड़ों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करने के लिए लाभकारी सूक्ष्मजीवों और माइकोरिज़ल कवक को मिट्टी में प्रयोग किया जा सकता है.
जैविक प्रतिरोधक: कुछ वृक्ष प्रजातियां गैनोडर्मा के प्रति प्राकृतिक प्रतिरोध प्रदर्शित करती हैं. प्रतिरोधी वृक्ष किस्मों को चुनने और लगाने से संक्रमण का खतरा कम हो सकता है. गैनोडर्मा ल्यूसिडम के नुकसान से बचने के लिए  उचित कृषि क्रियाओं और सतर्क निगरानी से पेड़ -पौधों को बचाया जा सकता है. 

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