देश के लगभग सभी राज्यों में मॉनसून ने दस्तक दे दी है. इसके साथ ही खरीफ फसलों की खेती की भी शुरुआत हो गई है. धान खरीफ सीजन की मुख्य फसल है. वहीं, जून के अंतिम सप्ताह और जुलाई की शुरुआत में कई राज्यों के किसान धान की बुवाई शुरू कर देते हैं. ऐसे में किसान कई ऐसी किस्मों की खेती करते हैं, जो अपनी सुगंधों और स्वाद के लिए फेमस होती हैं. साथ ही किसान ऐसी किस्मों की भी खेती करते हैं जिसमें औषधीय गुण पाए जाते हैं. अगर किसान खरीफ सीजन में धान की कुछ सुगंधित और औषधीय किस्मों की खेती करना चाहते हैं तो जानते हैं कौन सी हैं वो 10 किस्में और क्या है उनकी खासियत.
1-गंधकशाला: यह धान की एक सुगंधित किस्म है. ये किस्म खरीफ सीजन में रोपाई के लिए उपयुक्त है. इसके रंग भूरे होते हैं. साथ ही इसके दाने छोटे और गोल होते हैं. वहीं, इस किस्म को तैयार होने में 150 से 180 दिनों का समय लगता है.
2-जीराकासला: जीराकासला चावल वायनाड की पारंपरिक सुगंधित चावल की किस्म है. वायनाड जीराकासला चावल की औसत अनाज उपज 2.0 से 2.7 टन प्रति हेक्टेयर और भूसे की उपज 4.0 टन प्रति हेक्टेयर है. इसके पौधे लंबे होते हैं और ये किस्म 180 से 190 दिनों में तैयार हो जाती है. ये किस्म कम प्रकाश के प्रति संवेदनशील होती है.
3-वेलुम्बाला: यह धान की एक औषधीय गुणों वाली सुगंधित किस्म है. इसके दाने सफेद, लंबे और पतले होते हैं. ये किस्म खरीफ सीजन में रोपाई के लिए उपयुक्त है. वहीं, इस किस्म को तैयार होने में 180 दिनों का समय लगता है.
4-चोमाला: यह धान की एक सुगंधित किस्म है. इस किस्म के दाने छोटे, पतले और लाल रंग के होते हैं. ये किस्म ऊंचे इलाकों में सीधी बिजाई के लिए उपयुक्त है. इसकी बुवाई के बाद ये किस्म 165 से 180 दिनों में पककर तैयार हो जाती है.
5-कायामा: ये किस्म अपने औषधीय गुणों के लिए जानी जाती है. इस किस्म के दाने भूरे रंग के और छोटे, गोल होते हैं. साथ ही ये काफी सुगंधित भी होती है. वहीं, इस किस्म को तैयार होने में 150 से 180 दिनों का समय लगता है.
7-कोथमपालारिक्कयामा: यह धान की एक सुगंधित किस्म है. ये किस्म खरीफ सीजन में रोपाई के लिए उपयुक्त है. इसके दाने के रंग काले होते हैं. साथ ही इसके दाने छोटे और पतले होते हैं. वहीं, इस किस्म को तैयार होने में 120 से 130 दिनों का समय लगता है.
8-पूक्किलाथारी: यह धान की एक औषधीय गुणों वाली सुगंधित किस्म है. इस किस्म के दाने छोटे, पतले और भूरे रंग के होते हैं. ये किस्म सीढ़ीनुमा भूमि में रोपाई के लिए उपयुक्त है. बुवाई के बाद ये किस्म 130 से 135 दिनों में पककर तैयार हो जाती है.
9-चेन्नेललु: ये धान की एक सुगंधित किस्म है. इस किस्म के दो प्रकार पाए जाते हैं, जो पीले और लाल होते हैं. पीले प्रकार में बैंगनी एपिकुलस के साथ सुनहरे पीले दाने होते हैं, जबकि लाल प्रकार में चमकीले लाल दाने होते हैं. वहीं, लाल किस्म को खरीफ मौसम के दौरान नारियल के बगीचों में उगाया जाता है, जबकि पीली किस्म को खरीफ और रबी के दौरान नम भूमि में उगाया जाता है. साथ ही ये किस्म 120 से 125 दिनों में तैयार हो जाती है.
10-नन्जवरा: ये किस्म अपने सुगंध के लिए जानी जाती है. इस किस्म के दाने लंबे, पतले और छोटे होते हैं. वहीं, इस इस के अलग-अलग प्रकार होते हैं जो पीले और काले होते हैं. पीले प्रकार में सुनहरे पीले रंग के दाने होते हैं, जबकि अन्य में यह काले रंग के होते हैं. ये किस्म उच्चभूमि में खरीफ फसल और नम भूमि में ग्रीष्मकालीन फसल के लिए उपयुक्त हैं. साथ ही ये किस्म इसलिए भी खास है क्योंकि ये काफी जल्दी यानी 70 से 75 दिनों में तैयार हो जाती है.