तिलहन की प्रमुख फसल होने के बावजूद सोयाबीन का दाम इस साल किसानों को निराश कर रहा है. देश के दूसरे सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक महाराष्ट्र में इसकी खेती करने वालों को इस बार भारी निराशा हाथ लगी है. अधिकांश मंडियों में सोयाबीन का दाम एमएसपी से कम ही चल रहा है. एमएसपी से कम दाम मिलने की स्थिति में महाराष्ट्र के किसानों को घाटा होता है. महाराष्ट्र एग्रीकल्चरल मार्केटिंग बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि 14 मई को लासलगांव विंचुर मंडी में सोयाबीन का न्यूनतम दाम सिर्फ 3000 रुपये प्रति क्विंटल था. उधर, केंद्र सरकार खुद मानती है कि किसानों को सोयाबीन की उत्पादन लागत प्रति क्विंटल 3029 रुपये आती है. इस हिसाब से महाराष्ट्र की इस मंडी में किसानों को लागत से भी कम दाम पर सोयाबीन बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा.
राज्य की अधिकांश मंडियों में सोयाबीन का दाम 3000 से लेकर 4500 रुपये प्रति क्विंटल तक चल रहा है, जबकि एमएसपी 4600 रुपये प्रति क्विंटल है. किसानों का कहना है कि कम से कम एमएसपी भी मिलता रहेगा तब भी संतोष रहेगा. महाराष्ट्र स्टेट एग्रीकल्चर प्राइस कमीशन के चेयरमैन पाशा पटेल के अनुसार 'महाराष्ट्र में सोयाबीन उत्पादन की लागत 6234 रुपये प्रति क्विंटल आती है.' इस हिसाब से महाराष्ट्र के किसानों को इस साल सोयाबीन की खेती से फायदा नहीं हो रहा है.
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अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष शंकर ठक्कर के अनुसार रूस-यूक्रेन से इस समय भारत में सस्ता सूरजमुखी का तेल आ रहा है. सस्ते आयातित तेल की वजह से कोई भी कारोबारी अधिक लागत वाला देशी सोयाबीन की पेराई करवाना नहीं पसंद कर रहा है. इस कारण सोयाबीन का मंडी भाव एमएसपी से काफी कम है. इसके अलावा पिछले कुछ वर्षों के मुकाबले इस बार आयात शुल्क कम होने की वजह से आयातित तेल भी सस्ता है, जिस कारण सोयाबीन के दाम कम हैं. हालांकि पिछले कुछ साल में सोयाबीन फसल के लिए किसानों को एमएसपी से काफी ऊंचे दाम मिलते रहे हैं.
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