अच्‍छी पैदावार के लिए जानी जाती हैं गाजर की ये किस्‍में, स‍ितंबर में करें बुआई

अच्‍छी पैदावार के लिए जानी जाती हैं गाजर की ये किस्‍में, स‍ितंबर में करें बुआई

भारत में गाजर की बड़े पैमाने पर खेती की जाती है. सर्दियों के सीजन में इसकी अच्‍छी मांग और खपत रही है. सर्दियों में खासकर इसका इस्‍तेमाल गाजर का हलवा बनाने में किया जाता है. देश में हरियाणा, पंजाब, यूपी, मध्‍य प्रदेश, बिहार में सबसे ज्‍यादा गाजर की खेती की जाती है.

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क‍िसान तक
  • Noida,
  • Sep 07, 2024,
  • Updated Sep 07, 2024, 5:24 PM IST

गाजर आलू की तरह ही जमीन के अंदर उगने वाली कंदीय फसल है. भारत में सालभर गाजर की मांग बनी रहती है, लेकिन ठंड के मौसम में इसका सीजन होने के कारण आवक और मांग में भारी बढ़ोतरी होती है. लोग इसे कच्‍चा, सब्‍जी, आचार, मुरब्बा, जूस और हलवे बनाने में इसका उपयोग में लेते हैं. सीजन और ऑफ सीजन दोनों समय इसकी कीमत भी ठीक रहती है. ऐसे में इसकी खेती किसानों के लिए फायदेमंद मानी जाती है. यही वजह है कि किसान बड़े पैमाने पर गाजर की खेती करते हैं. 

गाजर की खेती के लिए सितंबर का महीना एक दम उपयुक्‍त होता है. वहीं, सितंबर महीने का पहला हफ्ता बीत चुका है. ऐसे में अगर आपने भी गाजर की खेती करने का मन बना लिया है तो जल्‍द से जल्‍द इसकी तैयारी पूरी कर बुआई कर लें, लेकिन सही किस्‍म का चुनाव करना न भूलें. जानिए गाजर की उन्‍नत किस्‍मों के बारे में जिनसे अच्‍छी पैदावार और मुनाफा हासिल किया जा सकता है.

पूसा रुधिर

पूसा रुधिर गाजर का रंग लाल होता है. इसकी बुआई सितंबर में की जाती है, जिससे दिसंबर माह में उपज मिलना शुरू हो जाती है. उत्‍पादन की बात करें तो इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 300 क्विंटल तक पैदावार मिलती है. भारत में इस किस्‍म की गाजर की खेती सबसे ज्‍यादा दिल्ली में होती है.

पूसा मेघाली

सितंबर के महीने में उगाई पूसा मेघाली गाजर की फसल 100 से 120 दिनों के अंदर उपज देने के लिए तैयार हो जाती है. इसमें केरोटीन की मात्रा अधिक होती है. इसका रंग नारंगी होता है. इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 270 से 300 क्विंटल तक पैदावार हासि‍ल होती है. 

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पूसा आसिता

गाजर की पूसा आसिता किस्म  काले रंग की होती है. यह मैदानी इलाकों के लिए एक दम सही है. दरअसल, इस किस्‍म से मैदानी इलाकों में अधिक उपज हासिल होती है और इसकी फसल 100 दिनों में उपज देने के लिए तैयार भी हो जाती है. इस किस्‍म से लगभग 200 से 210 क्विंटल तक पैदावार संभव है.

पूसा केसर

पूसा केसर गाजर की एक खास वैरायटी है, जो आकार में छोटी होती है और इसका रंग गहरा लाल होता है. पूसा केसर किस्‍म बीज रोपने के 90 से 110  दिनों में उपज के लिए तैयार हो जाती है. वहीं अगर इस किस्म के उत्‍पादन की बात करें तो प्रति हेक्टेयर लगभर 300 क्विंटल पैदावार हासि‍ल हो सकती है.

गाजर उत्‍पादन में ये राज्‍य हैं आगे

गाजर के उत्‍पादन के मामले में हरियाणा, बंगाल, पंजाब, उत्‍तर प्रदेश, मध्‍य प्रदेश, बिहार और तमिलनाडु प्रमुख राज्‍य है. यहां सबसे ज्‍यादा गाजर की खेती की जाती है.

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