विश्‍व बाजार में चावल की कीमतें दो साल के निचले स्‍तर पर, भारत ने ब्रोकेन राइस पर लगा एक्‍सपोर्ट बैन हटाया

विश्‍व बाजार में चावल की कीमतें दो साल के निचले स्‍तर पर, भारत ने ब्रोकेन राइस पर लगा एक्‍सपोर्ट बैन हटाया

वैश्विक बाजार में चावल की कीमतें दो साल के निचले स्तर पर पहुंच गई हैं. इसके पीछे कमजोर मांग, ज्‍यादा स्टॉक और उत्‍पादक किसानों, व्यापारियों और एक्‍सपर्ट के बीच चल रही कड़ी प्रतिस्पर्धा है. इस बीच, केंद्र सरकार ने टूटे चावल के निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटा लिया है. सितंबर 2022 से केंद्र ने इस चावल के निर्यात पर बैन लगाया था.

Broken Rice Export Ban LiftedBroken Rice Export Ban Lifted
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Mar 08, 2025,
  • Updated Mar 08, 2025, 11:03 PM IST

वैश्‍विक बाजार में चावल की कीमतों का हाल कोई बहुत अच्‍छा नहीं है, क्‍योंकि ये दो साल के निचले स्‍तर पर पहुंच गई हैं. इस बीच, केंद्र सरकार ने टूटे चावल के निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटा लिया है. सितंबर 2022 से केंद्र ने इस चावल के निर्यात पर बैन लगाया था. अब सरकार निर्यात बढ़ाना चाहती है, क्‍योंकि भारत में चावल का अच्‍छा स्‍टॉक है और उत्‍पादन भी बढ़ने का अनुमान है. न्‍यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, विदेश व्यापार महानिदेशालय ने नोटिफिकेशन जारी कर टूटे चावल की निर्यात से बैन को हटाने की जानकारी दी है. निर्यातकों ने पहले सरकार से इसके निर्यात से बैन हटाने की मांग की थी, क्‍योंकि इन्वेंट्री में बढ़ोतरी हो गई थी. 

पिछले साल, केंद्र सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर 490 डॉलर प्रति टन के मिनिमम एक्‍सपोर्ट प्राइस (एमईपी) को हटाते हुए इस किस्म के शिपमेंट पर बैन  हटा लिया था. चावल के निर्यात पर लगे प्रतिबंधों को हटाने से वित्त वर्ष 2025 में भारत को कृषि निर्यात को 50 बिलियन डॉलर से अधिक करने में मदद मिल सकती है. सरकार ने वर्ष 2024-25 के खरीफ सीजन में रिकॉर्ड 119.93 मीट्रिक टन चावल उत्पादन का अनुमान लगाया है. ये उपाय ऐसे समय में किए गए हैं जब देश में सरकारी गोदामों में चावल का पर्याप्त भंडार है और खुदरा कीमतें भी नियंत्रण में हैं.

वैश्‍विक बाजार में चावल की कमजोर मांग

वहीं, ‘बिजनेसलाइन’ में छपी एक खबर के मुताबिक, वैश्विक बाजार में चावल की कीमतें दो साल के निचले स्तर पर पहुंच गई हैं. इसके पीछे कमजोर मांग, ज्‍यादा स्टॉक और उत्‍पादक किसानों, व्यापारियों और एक्‍सपर्ट के बीच चल रही कड़ी प्रतिस्पर्धा है. वहीं, ज्‍यादा उत्‍पादन कैरीओवर स्‍टॉक के अनुमान के चलते हालात और बिगड़ गए हैं. वैश्विक बाजार में अपना चावल बेचने के लिए कई देशों ने प्रतिस्‍पर्धा करते हुए दाम बहुत कम कर दिए हैं.

इस रेस में सबसे आगे पाकिस्‍तान है और फिर वियतनाम. हालांकि, थाईलैंड महंगी कीमत पर ही चावल की बिक्री कर रहा है, जि‍सकी कीमत अन्‍य देशों कम से कम प्रति टन 30 डॉलर ज्‍यादा है और भारत से भी थोड़ी ज्‍यादा है. लेकिन, सामान्य रूप से कमजोर डिमांड और कड़ी निर्यात प्रतिस्पर्धा के चलते फरवरी में सफेद और उबले चावल की कीमतों में गिरावट जारी रही. जिसके बाद थाईलैंड के 5 प्रतिशत टूटे चावल की कीमतें दो साल के नए निचले स्तर पर पहुंच गई और महीने के अंत में स्थि‍रता की ओर आईं. 

भारत-पाकिस्‍तान में प्रत‍िस्‍पर्धा

‘बिजनेसलाइन’ ने वियतनाम खाद्य संघ के हवाले से बताया कि हनोई 5 प्रतिशत टूटे हुए सफेद चावल 389 डॉलर प्रति टन के भाव से बेच रहा है, जबकि‍ पाकिस्तान 378 डॉलर, भारत 405 डॉलर और थाईलैंड 412 डॉलर में यह चावल ऑफर कर रहा है.  वहीं, उबले चावल के व्‍यापार क्षेत्र में भारत और पाकिस्तान में कड़ी प्रतिस्पर्धा चल रही है. नई दिल्ली के एक एक्‍सपोर्टर राजेश पहाड़िया जैन ने बिजनेसलाइन से कहा कि भारत के पास उबले चावल के लिए ही ज्‍यादा ऑर्डर आ रहे हैं, अन्‍य चावल के लिए कम ऑर्डर्स हैं. वहीं, कुछ खरीदारों के पास बहुत ज्‍यादा स्टॉक मौजूद है.

वहीं, चावल निर्यातक संघ के अध्यक्ष बी.वी. कृष्ण राव ने कहा क‍ि उनके मुख्य खरीदार इंडोनेशिया और फिलीपींस हैं, लेकिन उनके पास पहले से स्टॉक रखा हुआ है. इसके अलावा एएमआईएस के लैटेस्‍ट मार्केट मॉनिटर के अनुमान के मुताबिक, 2024-25 में वैश्विक चावल उत्पादन 543 मिलियन टन (एमटी) पहुंच सकता है. 

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