RH-725 सरसों को हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU), हिसार के प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक डॉ. रामअवतार सिंह ने विकसित किया है. यह किस्म आज भारत की नंबर 1 सरसों बन चुकी है और इसकी उपज ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. आइए जानते हैं इस बेहतरीन सरसों की किस्म की खासियतें और खेती से जुड़ी ज़रूरी जानकारी.
RH-725 की खेती के लिए 1 किलो बीज प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है. यह बीज मात्रा फसल के अच्छे विकास और उपज के लिए पर्याप्त मानी जाती है. इस किस्म को पूर्ण रूप से तैयार होने में लगभग 135 दिन लगते हैं. इसलिए बुवाई और कटाई की सही योजना बनाना जरूरी है ताकि फसल समय पर तैयार हो सके.
इस किस्म की सबसे खास बात है इसके मोटे और मजबूत दाने. ये दाने न केवल ज्यादा वजन देते हैं, बल्कि बाज़ार में भी अच्छी कीमत दिलाते हैं. RH-725 सरसों की एक फली में 17 से 20 दाने होते हैं. इससे यह साफ है कि इसकी उत्पादन क्षमता अन्य किस्मों से कहीं ज्यादा है.
अगर किसान सही देखभाल करें और समय पर खाद, सिंचाई और रोग प्रबंधन करें तो इस किस्म से 12 क्विंटल प्रति एकड़ तक उपज मिल सकती है. RH-725 सरसों खेती की दुनिया में एक क्रांति है. डॉ. रामअवतार सिंह द्वारा विकसित यह किस्म ना केवल उत्पादन में सबसे आगे है, बल्कि किसानों को बेहतर लाभ भी दिला रही है. इसकी लंबी अवधि, कम सिंचाई की जरूरत, मोटे दाने और ज्यादा दानों वाली फली इसे एक आदर्श किस्म बनाते हैं.
RH-725 सरसों की सफल खेती के लिए सही समय और सही तरीके से बुवाई करना बेहद जरूरी है. नीचे आप जानेंगे कि RH-725 सरसों की बुवाई कब और कैसे करनी चाहिए ताकि फसल से अधिकतम उपज प्राप्त की जा सके.
RH-725 एक रबी मौसम की फसल है, इसलिए इसकी बुवाई का समय अक्टूबर के मध्य से लेकर नवंबर के पहले सप्ताह तक का सबसे उपयुक्त होता है. उत्तर भारत में: 15 अक्टूबर से 5 नवंबर तक है. आपको बता दें देर से बुवाई करने पर उपज घट सकती है, इसलिए समय का ध्यान जरूर रखें.
ये भी पढ़ें:
जालना जिले में भारी बारिश से किसान तबाह... कपास, सोयाबीन और गन्ना की फसल बर्बाद
मराठवाड़ा में भारी बारिश से फसलों को नुकसान, शरद पवार ने किसानों के लिए तुरंत मुआवजे की उठाई मांग