किसानों ने खरीफ सीजन में दालों की बुवाई में नया रिकॉर्ड बनाया है. हालांकि, उड़द दाल की बुवाई बीते साल की तुलना में घटी है. कृषि एक्सपर्ट का मानना है उड़द दाल किसान इस सीजन में अरहर, मूंगदाल समेत अन्य दालों की ओर शिफ्ट हो गए हैं. इसके नतीजे में कुल्थी और मोथबीन दाल की बुवाई एरिया इस सीजन बढ़ गया है. अनुमान है कि इस बार दलहन उत्पादन नए रिकॉर्ड बना सकता है. हालांकि, कई राज्यों में बारिश और बाढ़ स्थितियां दलहन फसलों के लिए मुसीबत बनी हुई हैं.
देशभर में खरीफ सीजन के दौरान किसानों ने दालों की बंपर बुवाई की है. इस बार किसानों ने अरहर और मूंग दाल की बुवाई पर खास रुचि दिखाई है. यही वजह है कि दोनों दालों का मिलाकर रकबा करीब 9 लाख हेक्टेयर बढ़ गया है. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार 2 सितंबर तक दालों का कुल रकबा 125.13 लाख हेक्टेयर पहुंच गया है. जबकि, बीते साल समान अवधि में 116.66 लाख हेक्टेयर में किसानों ने दालों की बुवाई की थी. जबकि, 5 दिनों के दौरान दालों के कुल रकबे में 2 लाख हेक्टेयर की बढ़त दर्ज की गई है, क्योंकि 27 अगस्त तक 123 लाख हेक्टेयर बुवाई दर्ज की गई थी.
बुवाई के सरकारी आंकड़े बताते हैं कि किसानों ने अरहर और मूंग दाल पर खास रुचि दिखाई है. 2 सितंबर तक अरहर दाल की बुवाई 45.78 लाख हेक्टेयर एरिया में की गई है. जबकि, पिछले सीजन में 40.74 लाख हेक्टेयर में ही अरहर बोई गई थी. यानी अरहर दाल का रकबा इस सीजन में 5 लाख हेक्टेयर से अधिक बढ़ गया है. इसी तरह मूंगदाल के रकबे में भी भारी उछाल दर्ज किया गया है और 2 सितंबर तक 34.76 लाख हेक्टेयर एरिया में इसकी बुवाई की जा चुकी है. जबकि, पिछले सीजन में 30.88 लाख हेक्टेयर एरिया में मूंग दाल की बुवाई की गई थी. इस तरह से करीब 4 लाख हेक्टेयर मूंगदाल का रकबा अधिक रहा है.
कुल्थी और मोथ बीन दाल की बुवाई क्षेत्र में इजाफा दर्ज किया गया है. कुल्थी और मोथ बीन दालों को उनकी पोषकता के चलते कई बीमारियों को ठीक करने में मददगार माना जाता है. लेकिन, रोजाना के भोजन में दोनों दालों को लोग कम ही इस्तेमाल करते हैं. लेकिन, इस बार अधिक बुवाई के देखते हुए मोथ बीन और कुल्थी दाल लोगों की थाली का हिस्सा बन सकती है. कुल्थी का रकबा बढ़कर 30 हजार हेक्टेयर पहुंच गया है, जो बीते सीजन में 28 हजार हेक्टेयर था. इसी तरह मोथबीन दाल का रकबा 1 लाख हेक्टेयर से अधिक बढ़कर 10.53 लाख हेक्टेयर पहुंच गया है. बीते सीजन में 9.40 लाख हेक्टेयर में इसकी बुवाई की गई थी.
किसानों ने इस खरीफ सीजन में उड़द दाल की बुवाई से मुंह मोड़ लिया है. यही वजह है कि उड़द की बुवाई बढ़ने की बजाय घट गई है. 2 सितंबर तक देशभर में 29.62 लाख हेक्टेयर में उड़द दाल की बुवाई की गई है. जबकि, पिछले सीजन में समान अवधि तक 31.42 लाख हेक्टेयर में उड़द दाल बोई गई थी. इस हिसाब से उड़द का 2 लाख हेक्टेयर से अधिक बुवाई एरिया घट गया है. कृषि एक्सपर्ट का मानना है कि बीते साल कीट-रोग और मौसम की वजह से उड़द दाल पर बुरा असर पड़ा था, इस वजह से किसानों ने उड़द दाल की बुवाई से मुंह मोड़ लिया है और दूसरी दालों की ओर शिफ्ट हो गए हैं.
अरहर और मूंग दाल समेत अन्य दालों की बंपर बुवाई के पीछे कई वजहों में एमएसपी कीमतों में बढ़ोत्तरी भी बड़ी वजह है. जबकि, सरकार की ओर से सभी दालों की 100 फीसदी खरीद एमएसपी पर करने की घोषणा भी वजह है. इसके अलावा खरीफ सीजन से पहले केंद्र सरकार के दालों में आत्मनिर्भर बनने के अभियान का असर भी बुवाई आंकड़ों में दिखा है. बता दें कि खरीफ सीजन 2024-25 के लिए उड़द दाल के एमएसपी में 450 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी की गई है. उड़द दाल का एमएसपी 7400 रुपये प्रति क्विंटल है. इसी तरह मूंग दाल के एमएसपी में बढ़ोत्तरी करके 8,682 रुपये प्रति क्विंटल की गई है.