आजकल किसानों का ध्यान परंपरागत खेती से हटकर आधुनिक खेती की ओर केंद्रित हो रहा है. आधुनिक खेती के दौर में किसान अब बाजार की मांग को ध्यान में रखकर मुनाफा देने वाली चीजों की खेती करने लगे हैं. इसी के साथ किसान फल और सब्जियों की खेती करके अच्छी कमाई कर रहे हैं. यदि फलों की बात करें तो किसान फलों में अनानास की खेती करके भी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इसकी खेती पूरे बारह महीने की जा सकती है और इसकी मांग भी बाजार में पूरे बारह महीने बनी रहती है. ऐसे में ये हर तरह से फायदे का सौदा है.
भारत में मुख्य रूप से केरल, आंध्र प्रदेश, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, असम और मिजोरम में अनानास उगाया जाता है. अब बिहार और उत्तर प्रदेश के किसान भी इसका उत्पादन करने लगे हैं. कुछ राज्यों में इसकी खेती 12 महीने की जाती है.
अनानास की खेती के लिए नम जलवायु की आवश्यकता होती है. इसकी खेती के लिए अधिक बारिश की जरूरत होती है. इसमें ज्यादा गर्मी और पाला सहने की क्षमता नहीं होती है. इसके लिए 22 से 32 डिग्री तापमान उपयुक्त रहता है.
अनानास के लिए अधिक जीवांश वाली बलुई दोमट मिट्टी अच्छी होती है. इसके अलावा जल भराव वाली भूमि में इसकी खेती नहीं करनी चाहिए. इसके लिए मिट्टी का पी.एच मान 5 से 6 के बीच होना चाहिए.
भारत में अनानास की कई किस्में प्रचलित हैं. इनमें जायटन क्यू, क्वीन, रेड स्पैनिश, मॉरीशस मुख्य किस्मे हैं. अनानास की क्वीन किस्म बहुत जल्दी से पकने वाली किस्म है.
अनानास की रोपाई दिसंबर-मार्च के बीच करनी चाहिए. खेत तैयार करने के बाद खेत में 90 से.मी. दूरी पर 15 से 30 से.मी. गहरी खाई बना उसमें पौधे की रोपाई की जाती है.
एक हेक्टेयर खेत में 16 से 17 हजार पौधे लगाए जा सकते हैं. जिससे 3-4 टन अनानास का उत्पादन होता है. अनानास की प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज में काफी अच्छी मांग है. इसका उपयोग जूस, डिब्बा बंद स्लाइस आदि में होता है.
अनानास में उच्च एंटीऑक्सीडेंट होते हैं और इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है. इसके सेवन से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और साधारण ठंड से भी सुरक्षा मिलती है. इसमें क्लोरीन की भरपूर मात्रा होती है. ये गले और मूत्र के रोगों में लाभदायक है. इसके अलावा ये हड्डियों को मजबूत बनाता है.