प्याज की निर्यातबन्दी हुए एक महीने से ज्यादा समय हो चुका है. अब बाजार में इस फैसले का असर दिखने लगा है. महाराष्ट्र की सोलापुर मंडी में प्याज के दाम ने इस सीजन का रिकॉर्ड बना दिया है. यहां 5 जून को अधिकतम थोक दाम 33 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है, जो वर्तमान रबी मौसम का उच्चतम है. इस साल पहली बार महाराष्ट्र की किसी मंडी में किसानों को प्याज का इतना दाम मिला है. यहां आमतौर पर प्याज की बम्पर आवक होती है. खरीफ सीजन में तो रोजाना की आवक एक लाख क्विंटल के पार हो गई थी. लेकिन 5 जून को इस मंडी में सिर्फ 6446 क्विंटल प्याज ही बिकने आया. माना जा रहा है कि दाम बढ़ने एक बड़ा कारण यह भी है. हालांकि यहां न्यूनतम दाम पहले की तरह सिर्फ 1 रुपये प्रति किलो रहा. औसत थोक दाम 16 रुपये प्रति किलो रहा. अधिकांश मंडियों में आवक बहुत कम रह गई है इसलिए अधिकतम दाम 20 से 30 रुपये किलो के बीच चल रहा है, जिससे किसानों को बड़ी राहत मिली है.
कुछ मंडियों में न्यूनतम थोक दाम भी 20 रुपये किलो से अधिक हो गया है. महाराष्ट्र एग्रिकल्चरल मार्केटिंग बोर्ड के अनुसार 5 जून को राज्य की 43 में से 40 मंडियों ने प्याज का अधिकतम थोक दाम 20 रुपये प्रति किलो से ऊपर था. कल्याण मंडी में सिर्फ 3 क्विंटल प्याज बिकने के लिए आया इसलिए यहां न्यूनतम दाम भी 22 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया. किसानों को उम्मीद है कि अभी दाम इसी तरह रहेगा. क्योंकि प्याज के मुद्दे पर लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में नुकसान झेल चुकी सरकार अभी किसानों को नाराज करने वाला कोई फैसला फैसला लेने की स्थिति में नहीं दिखाई दे रही है.
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केंद्र सरकार ने पांच महीने के प्याज निर्यात बैन के बाद जब निर्यातबन्दी खत्म करने का 4 मई को फैसला लिया था तब बाजार में प्याज के दाम बहुत कम थे. अब प्याज का निर्यात होने लगा है इसलिए स्थानीय मंडियों में आवक काफी कम हो गई है. आवक में कमी के कारण अब दाम बढ़ रहे हैं. हालांकि महाराष्ट्र कांदा उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले ने निर्यातबन्दी पर लगे 550 डॉलर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य और उस पर लगी 40 प्रतिशत ड्यूटी को हटाने की मांग कर रहे हैं, जिससे कि निर्यात ज्यादा हो और किसानों को अब तक हुए नुकसान की भरपाई हो सके.
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