देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक महाराष्ट्र की राहुरी मंडी में एक बार फिर प्याज का न्यूनतम दाम 1 रुपये और सिन्नर में सिर्फ 2 रुपये किलो रह गया है. कम दाम की परेशान सह रहे किसान इस समय इस उलझन में फंसे हुए हैं कि 31 मार्च के बाद सरकार प्याज की निर्यात बंदी खत्म करेगी या नहीं. किसानों का कहना है कि सरकार अगर एक्सपोर्ट नहीं खोलेगी तो वो बर्बाद हो जाएंगे. पूरा खरीफ सीजन निर्यात बंदी की वजह से बर्बाद हो गया. हर किसान को औसतन तीन लाख रुपये तक का नुकसान हुआ है. अब अगर रबी सीजन में भी निर्यात बंद रहता है तो किसानों की कमर टूट जाएगी. किसानों का कहना है कि अब सरकार को निर्यात खोल देना चाहिए, वरना नुकसान से परेशान होकर वो खेती और कम कर देंगे. ऐसा हुआ तो देश को दूसरे देश से प्याज आयात करना पड़ सकता है.
महाराष्ट्र में बाजार के कुछ जानकारों का कहना है कि चुनाव को देखते हुए प्याज की निर्यात बंदी 31 मार्च से आगे भी कायम रहेगी. क्योंकि सरकार नहीं चाहेगी कि चुनाव के वक्त प्याज महंगा हो और जनता को उसकी ज्यादा कीमत चुकानी पड़े. ऐसा होगा तो चुनाव में नुकसान होगा. इसलिए उम्मीद है कि प्यात का निर्यात नहीं खुलेगा. हालांकि किसानों का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि सरकार उनकी स्थिति को समझते हुए निर्यात फिर खोलेगी.
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प्याज किसानों पर पिछले आठ महीने से सरकार प्रतिबंध पर प्रतिबंध लगा रही है. जिससे प्याज की खेती करने वाले किसानों को नुकसान हो रहा है. अगस्त 2023 में जब प्याज का दाम बढ़ने लगा था तब सरकार की ओर से निर्यात पर 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगा दी गई. इससे दाम काफी गिर गए थे. इस फैसले के खिलाफ नासिक और दूसरी प्रमुख प्याज मंडियों में किसानों और व्यापारियों ने हड़ताल की थी. इसके बाद सरकार ने 800 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) लागू कर दिया. उसके बाद 7 दिसंबर की देर रात निर्यात बंदी कर दी गई. जिसके बाद न्यूनतम दाम 1, 2 रुपये किलो रह गया. अधिकतम दाम 15 से 20 रुपये किलो रह गया. जिससे किसानों का काफी नुकसान हुआ.
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