नाराज गुजरात के किसानगुजरात में बेमौसम बारिश के कारण खेतों में तैयार फसलों को काफी नुकसान हुआ है. राज्य सरकार ने पूरे राज्य में बेमौसम बारिश के कारण फसलों को हुए नुकसान के बारे में एक सर्वेक्षण कराया, जिसके बाद राज्य के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने किसानों के लिए 10 हजार करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की. इस राहत राशि के घोषणा के बाद महिसागर जिला भारतीय किसान संघ सरकार के राहत पैकेज से नाखुश हैं और सरकार से किसानों के फसल लोन और कर्ज माफ करने की मांग को लेकर उग्र हो गई है. महिसागर जिला भारतीय किसान संघ ने पाटीदार समाज के एक किसान के घर उन्मुख बैठक का आयोजन किया, जिसमें किसानों ने भाग लिया और सरकार के इस राहत पैकेज को किसानों के लिए सिर्फ एक मजाक बताया.
किसान प्रवीण भाई पटेल ने सरकार के फैसले पर नाराजगी जताते हुए कहा कि किसान ग्रीष्मकालीन खेती में बारिश के कारण संघर्ष कर रहे थे, तब किसानों की उम्मीदें थीं कि उन्हें धान, सोयाबीन और मकई की खेती में लाभ मिलेगा, लेकिन उम्मीद पर पानी फिर गया. अब किसान को धान की खेती में भी रोने की बारी आई है. धान, सोयाबीन और मकई की फसलें तैयार थीं और कटाई का समय था लेकिन गुजरात में बेमौसम बारिश हुई और महिसागर जिले के किसानों को धान की कटाई के समय भी भारी नुकसान हो गया. उन्होंने बताया कि अब सर्दियों की खेती सीजन की फसलों की खेती करने में भी दिक्कते आ रही हैं, इसलिए महिसागर जिले के किसान सरकार से फसल लोन और कर्ज माफ करने की मांग कर रहे हैं.
एक दूसरे किसान रविन्द्र पटेल ने बताया कि जिले में धान की कटाई मुख्य रूप से मॉनसून में की जाती है. यदि हम ट्रैक्टर से 16 गुंठा बता दें कि 40 गुंठा में 1 एकड़ खेत) की जुताई तक की गणना करते हैं, तो कुल 22 हजार रुपये का खर्च आता है. इसमें से किसान को 40 से 50 मन फसल मिलती है, जबकि सरकार इसे 472 रुपये के समर्थन मूल्य पर खरीदती है. इसमें से किसान को केवल 18 हजार से 23 हजार रुपये ही मिलते हैं.
कुल मिलाकर किसान पीड़ित हैं. ऐसे में भारतीय किसान संघ और किसान मांग कर रहे हैं कि सरकार किसानों के फसल लोन और कर्ज को तुरंत माफ़ करे. अगर सरकार उद्योगपतियों के कर्ज माफ कर सकती है, तो दुनिया के किसान भी तो खेती करके उद्योगपतियों और सरकार का पेट भर रहे हैं. फिर सरकार को इन किसानों की पीड़ा क्यों नहीं दिखती? सरकार से किसानों के फसल लोन तुरंत माफ़ करने की मांग तेज हो गई है. (वीरेन कुमार जोशी की रिपोर्ट)
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